2023-01-06 07:10:01
प्रशासक समिति (Reg. ESWS)
धर्मशिक्षा - ३५४
धार्मिक कृति - ३५९
आचारधर्म - १०१
भोजन के संदर्भ आचार - ७८
रसोई के आचार - ०९
मंद आंच पर अन्न पकाने के लाभआज के इस आधुनिक समय में भोजन पकाने के बहुत से उपकरण उपलब्ध हैं, जैसे भाप के दबाव से खाना पकाने का बर्तन (प्रेशर कुकर), सूक्ष्म तरंग चूल्हा (माइक्रोवेव ओवन) इत्यादि। पूर्वकाल में धीमी आंच पर ही अन्न पकाया जाता था।इसके लाभ आगे दिए अनुसार हैं।
१. अन्न पदार्थों की जीवरस-संबंधी रिक्तियों में विद्यमान घटक जागृत होना
अन्न पदार्थों की जीवरस-संबंधी (आरोग्य के लिए पूरक एवं पोषक रस) रिक्तियों में विद्यमान घटक मंद अग्नि की सहायता से आवश्यकतानुसार रजोगुण ग्रहण करते हुए जागृत अवस्था में आते हैं।
२. जीवद्रव्यों का ह्रास टलना
मंदाग्नि केवल अन्न पकाने हेतु और उसके जीवद्रव्यों का संवर्धन कर उन्हें सक्रिय बनाने हेतु आवश्यक उत्तेजना प्रदान कर अन्न को आगे की प्रक्रिया हेतु तुरंत सिद्ध करती है।इससे रूपांतरित प्रक्रिया में होने वाले जीवद्रव्यों का ह्रास टालने में मनुष्य सफल हो जाता है।
३. सूक्ष्म प्राणशक्तिदायी वायु का ह्रास होना
उचित पद्धति से प्राकृतिक स्तर पर उष्ण ऊर्जा की सहायता से अन्न में भाप का संचय करने में सहायता मिलती है।इसलिए अन्न से सूक्ष्म स्तर पर धीरे-धीरे उत्सर्जित सूक्ष्म प्राण शक्तिदायी वायु का भी ह्रास नहीं होता; अपितु वह निरंतर कार्यरत अवस्था में रहती हैं।
४. देह के पंचप्राणों को कार्यरत करना
ऐसे अन्न का सेवन करने पर देह के पंचप्राणों को कार्यरत कर तथा जठराग्नि को प्रदीप्त कर उसी में विलीन होकर देह को दीर्घकाल तक अपने पोषण संबंधी मूल्यों से लाभान्वित कराता है। इसी से मंद आंच पर अन्न पकाने का महत्त्व समझ में आता है।’
आगे : - तरकारी (सब्जी) काटने की उचित पद्धति
Ref : hindujagruti.org/hindi/
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