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Abhijeet Srivastava

टेलीग्राम चैनल का लोगो askabhijeet — Abhijeet Srivastava A
टेलीग्राम चैनल का लोगो askabhijeet — Abhijeet Srivastava
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India First, Contributing My Small Capacity to Build the Dream "New INDIA" ❤️🇮🇳

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नवीनतम संदेश 49

2021-08-07 18:55:25
आज देश में जो कुछ भी अच्छा हो रहा है उसके पीछे मोदीजी की दूरदर्शिता है... साफ नियत से किये गये सही प्रयास है... दो कौड़ी के सस्ते चुटकुलों का अनुसरण करने वाले मोदीजी की दूरदर्शिता कहां समझेंगे...

यह भाषण 2013 में दिया गया था, मोदीजी ने जो कहा है वो किया है, उन्हे फेंकू कहने वालों की बौद्धिकता पर मुझे तरस आता है... मोदीजी जैसा प्रेरक व्यक्तित्व इस देश को प्रधानमंत्री के रूप में मिला है, यह इस देश का सौभाग्य है...

That's Why #ModiMatters

#Olympics #Gold #NeerajChopra #JaiHindKiSena
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2021-08-07 18:55:05
लिब्रांडु ये जानकर सदमें में है की ओलंपिक में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा भी भक्त है!

लिब्रांडुओ का ये दर्द खतम काहे नहीं होता बे..
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2021-08-07 16:14:23
2016 - Junior World Championships GOLD

2017 - Asian Championships GOLD

2018 - Commonwealth Games GOLD

2018 - Asian Games GOLD

2021 - TOKYO OLYMPICS GOLD

THE GOLDEN ARM

#NeerajChopra | #JavelinThrow | #Athletics | #Gold
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2021-08-07 15:10:41 भारत ने जीता पहला गोल्ड, नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो में जीता गोल्ड मेडल!
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2021-08-07 13:23:05 1960-65 में:

टीचर: खेल रत्न पुरस्कार किसके नाम पर है?

बालक मोदी: मेजर ध्यानचंद

टीचर: गलत जवाब!

बालक मोदी: हम इसे देखेंगे...

2021 में:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: खेल रत्न पुरस्कार का नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है!

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2021-08-07 11:03:42 मोदी सरकार किसानों को अपनी उपज देश में कहीं भी बेचने की आजादी दे रही है!

मोदी सरकार किसानों की उपज को देश के कोने कोने में बेचने के लिए किसान रेल चला रही है, जिसमे किराए पर भारी सब्सिडी दे रही है!

23 करोड़ से अधिक किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड दिए गए है, मृदा परीक्षण के लिए मोदी सरकार ने 11531 प्रयोगशाएं स्थापित की है!

किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सके इसके लिए ईनाम पोर्टल बनाया है!

वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान, कुल 37.73 लाख किसान और वित्त वर्ष 2021-22 (30 जून 2021 तक) के दौरान कुल 8.78 लाख किसानों ने अपनी कृषि उपज बेचने के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम) प्लेटफॉर्म का उपयोग किया है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई):

23 करोड़ किसानों के आवेदनों के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के कार्यान्वयन को 4 साल पूरे हो गए हैं और इससे 7.2 करोड़ आवेदक लाभान्वित हुए हैं। इस अवधि के दौरान, किसानों ने अपने हिस्से के रूप में लगभग 17,450 करोड़ रुपये के प्रीमियम का भुगतान किया, जिसके एवज में किसानों को 87,000 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया। इसका मतलब है कि किसानों द्वारा प्रत्येक 100 रुपये के प्रीमियम के भुगतान के एवज में उन्हें दावों के रूप में 532 रुपये का भुगतान मिला है।

किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से 2.5 करोड़ किसानों को 2 लाख करोड़ रुपये का रियायती कर्ज देने की योजना बनाई गई है।

कृषि अवसंरचना कोष बनाया गया है!

10000 एफपीओ बनाए जा रहे है!

कुल 6,865 करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान के साथ 29.02.2020 को 10,000 एफपीओ के गठन और प्रोत्साहन की योजना पेश की गई है। इस योजना के अंतर्गत, 2023-24 तक पांच साल की अवधि में 10,000 एफपीओ के गठन का लक्ष्य तय किया गया है, वहीं एफपीओ को निर्माण के बाद पांच साल तक पर्याप्त समर्थन दिया जाएगा जो 2027-28 तक जारी रहेगा। 2020-21 में एफपीओ की स्थापना के लिए 40.16 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की जा चुकी है।

राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत वर्ष 2015-16 से अभी तक देश में सूक्ष्म सिंचाई के दायरे में अतिरिक्त 50.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र लाया जा चुका है। 2015-16 के बाद से पीएमकेएसवाई के अंतर्गत केन्द्रीय सहायता के रूप में 13,309 करोड़ रुपये की धनराशि राज्यों को उपलब्ध कराई जा चुकी है।

नाबार्ड के साथ मिलकर 5,000 करोड़ रुपये का एक सूक्ष्म सिंचाई कोष बनाया गया है। इस कोष का उद्देश्य विशेष और नवीन परियोजनाओं के माध्यम से सूक्ष्म सिंचाई के विस्तार के लिए संसाधन जुटाने में राज्यों को सहायता देना है। सूक्ष्म सिंचाई कोष (एमआईएफ) और नाबार्ड की संचालन समिति 12.53 लाख हेक्टेयर जमीन को कवर करने के लिए3,805.67 करोड़ रुपये लागत की परियोजनाओं को स्वीकृति दे चुकी है।

कृषि मशीनीकरण!

कृषि के आधुनिकीकरण और कृषि से जुड़े परिचालन में कठिन परिश्रम के बोझ को कम करने के लिए कृषि का मशीनीकरण बेहद अहम है। सरकार इस संबंध में कई पहल कर रही है। 2014-15 से 2020-21 तक की अवधि के दौरान कृषि मशीनीकरण के लिए 3,606.72 करोड़ रुपये का आवंटन किया जा चुका है। इसमें से किसानों को सब्सिडी पर 11,62,437 मशीनें और उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं, 10,209 विशेष भर्ती केन्द्रों, 255 हाई-टेक हब और 7,828 कृषि मशीनरी बैंकों की स्थापना की गई है।

आपदा राहत मानकों में बदलाव!

सभी श्रेणियों में सहायता धनराशि में डेढ़ गुनी तक बढ़ोतरी जैसे आपदा राहत मानकों में बड़े बदलाव किए गए थे।
पहले 50 प्रतिशत से ज्यादा फसल के नुकसान पर ही मुआवजा दिया जाता था, अब सिर्फ 33 प्रतिशत नुकसान पर ही मुआवजा दिया जाता है।
प्राकृतिक आपदा के पीड़ितों के परिजनों को मिलने वाली धनराशि 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 लाख रुपये कर दी गई है।
स्वीकार्यता के सभी मामलों में सहायता एक हेक्टेयर से बढ़ाकर दो हेक्टेयर कर दी गई है।

स्टार्टअप इकोसिस्टम की स्थापना के तहत किस्तों में 45.38 करोड़ रुपये के वित्तपोषण के लिए कृषि और सहायक क्षेत्रों में 424 स्टार्ट-अप्स का चयन किया गया और इन स्टार्ट-अप्स के वित्तपोषण के लिए पहली किस्त के रूप में 19.70 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं।

ये नया कृषि कानून भी मोदी सरकार ने किसानों के भविष्य को ध्यान में रखकर उनके भले के लिए ही लाया है! क्योंकि पुराने कृषि कानून से किसानों का भला तो हुआ नहीं..

अब इसके बाद भी अगर इस लड़के की आंख न खुलती तो ये लड़का भविष्य में प्रधानमंत्री नहीं बस एक हसी का पात्र बनकर रह जायेगा!

#TrustNaMo #ModiMatters #ForFarmers

Abhijeet Srivastava
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2021-08-07 11:03:42 आंदोलनजीवी अपनी घटिया राजनीति के लिए देश के भविष्य को किस तरह गुमराह कर रहे है उसका जीता जागता उदाहरण ये बच्चा है! ये बच्चा बोलता बहुत अच्छा है! लेकिन ये धूर्त विपक्ष की घटिया राजनीति में गुमराह होकर गलत मार्ग पर चला गया है! ये किसानों के हित की बात कर तो रहा है लेकिन इसे ये नहीं समझ आ रहा की जिसे वो किसान हितैषी समझ रहा है असल में वो लोग ही सारी समस्या की जड़ है! अगर उन लोगों ने किसान हितैषी काम किया होता तो आज मोदी सरकार को ये नया कृषि कानून लाना ही नहीं पड़ता, लाखों किसानों को आत्महत्या नहीं करनी पड़ती! देश का अन्नदाता शोषित, वंचित नहीं होता!

माइक और कैमरा लेकर इस बच्चे से सवाल पूछने वाले, रिपोर्टर कहलाने के लायक नहीं हैं... मैं होता तो इससे कुछ प्रश्न पूछता...

क्या आप बता सकते है की 2009 से 2014 तक एमएसपी पर केंद्र सरकार ने कितने मिट्रिक टन धान, गेंहू खरीदा था और आज कितना खरीदा जा रहा है ?

क्या आप बता सकते है की 2009 से 2014 तक एमएसपी का कितना पैसा किसानों को दिया गया था और आज कितना दिया जा रहा है ?

क्या आप बता सकते है की 2009 से 2014 तक देश के किसानों ने कितना खाद्यान्न उत्पादन किया और आज कितना कर रहे है ?

क्या आप बता सकते है की 2009 से 2014 तक कृषि बजट आवंटन कितना था और आज कितना है ?

जब ये मेरे प्रश्नों के जवाब में आंकड़े बता देता... तो मैं इसको बताता की बेटा...

2014 से 2019 तक इतने मिट्रिक टन अनाज देश के किसानों से खरीदा गया और इतना रूपया सीधा उनके बैंक खातों में भेजा गया और इतना मिट्रिक टन खाद्यान्न देश के किसानों ने पैदा किया!

एमएसपी पर खाद्यान्न खरीद:

धान: 2009 से 2014 के दौरान 1768 लाख मिट्रिक टन धान की खरीद की गई। 2014 से 2019 के दौरान 3069 लाख मिट्रिक टन धान की खरीद की गई।

गेहूं: 2009 से 2014 के दौरान 1395 लाख मिट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई। 2014 से 2019 के दौरान 1627 लाख मिट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई।

दलहन और तिलहन: 2009 से 2014 के दौरान 7.28 लाख मिट्रिक टन दलहन एवं तिलहन की खरीद की गई। 2014 से 2019 के दौरान 168.64 लाख मिट्रिक टन दलहन एवं तिलहन की खरीद की गई।

एमएसपी भुगतान:

धान: 2009-10 से 2013-14 तक की अवधि की तुलना में पिछले पांच साल के दौरान किसानों को धान के लिए एमएसपी का भुगतान बढ़कर 2.4 गुना हो गया है। एमएसपी भुगतान 2009 से 2014 तक 2.06 लाख करोड़ रुपये की तुलना में बढ़कर 2014 से 2019 तक 4.95 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

गेहूं: गेहूं के लिए किसानों को 2009-10 से 2013-14 तक की अवधि की तुलना में 1.77 गुना एमएसपी का भुगतान किया गया है, 2009 से 2014 तक 1.68 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 2014 से 2019 तक 2.97 लाख करोड़ रुपये के एमएसपी का भुगतान किया गया है।

दलहन: 2009-10 से 2013-14 तक की अवधि की तुलना में पिछले पांच साल के दौरान दालों के लिए किसानों को एमएसपी का भुगतान 75 गुना तक बढ़ गया। पिछले पांच साल के दौरान 2009 से 2014 तक 645 करोड़ रुपये की तुलना में 2014 से 2019 तक 49,000 करोड़ रुपये के एमएसपी का भुगतान किया गया।

तिलहन: 2009-10 से 2013-14 तक की अवधि की तुलना में पिछले पांच साल के दौरान तिलहनों और नारियल के लिए किसानों को एमएसपी का भुगतान बढ़कर 10 गुना हो गया। पिछले पांच साल के दौरान 2009 से 2014 तक 2,460 करोड़ रुपये की तुलना में 2014 से 2019 तक 25,000 करोड़ रुपये के एमएसपी का भुगतान किया गया।

खाद्यान्न उत्पादन:

खाद्यान उत्पादन वर्ष 2010-14 के 255.59 मि. टन से बढ़ कर वर्ष 2017-18 में 279.51 मि. टन से अधिक हो गया।

खाद्यान्न उत्पादन 2015-16 के 25.154 करोड़ टन से बढ़कर 2019-20 में 29.75 करोड़ टन के स्तर पर पहुंच गया, जो अभी तक हुआ सबसे ज्यादा खाद्यान्न उत्पादन है।

2020-21 में खाद्यान्न उत्पादन 30.544 करोड़ टन रहने का अनुमान है।

बजट आवंटन:

पिछली सरकार के वर्ष 2009 से 2014 तक के कृषि बजट को देखें तो यह 1,21,082 करोड़ था जो कि मोदी सरकार के 5 वर्षों (2014-19) में बढ़कर 2,11,694 करोड़ हो गया है। यह 74.5% की वृद्धि दर्शाता है।

वर्ष 2020-21 में, बजट आवंटन 6 गुना बढ़ाकर 1,34,399.77 करोड़ रुपये कर दिया गया। वर्ष 2013-14 में कृषि विभाग के लिए सिर्फ 21,933.50 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया था।

मोदी सरकार ने किसानों के लिए ये सब किया है....

मोदी सरकार ने एमएसपी डेढ़ गुना बढ़ा दी!

2007-08 में गेहूं पर एमएसपी 1000₹ थी, 2020-21 में 1975₹ है!
2007-08 में धान पर एमएसपी 850₹ थी, 2020-21 में 1868₹ है!

मोदी सरकार किसानों को 6000₹ सालाना दे रही है!

पीएम किसान योजना के तहत अब तक लगभग 11.08 करोड़ पात्र लाभार्थियों के बैंक खातों में 1.37 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे हस्तांतरित की जा चुकी है।

मोदी सरकार किसानों को नीम कोटेड यूरिया सब्सिडी पर दे रही है!
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2021-08-07 11:03:37
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2021-08-06 19:46:10 भारतीय रेलवे में 01.04.2021 की स्थिति के अनुसार, 51,165 किमी लंबाई की 484 रेलवे परियोजनाएं, जिनकी लागत लगभग 7.53 लाख करोड़ रुपये है, स्वीकृति/निष्पादन के विभिन्न चरणों में हैं, जिनमें से 10,638 किमी लंबाई को चालू किया जा चुका है और इसपर मार्च 2021 तक 2.14 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।

2014-21 के दौरान 17,720 किमी लंबाई (3,681 किमी नई लाइन, 4,871 किमी गेज परिवर्तन और 9,168 किमी दोहरीकरण) को औसतन 2,531 किमी / वर्ष पर चालू किया गया है, जो 2009-14 के दौरान औसत कमीशनिंग (1520 किमी / वर्ष) से 67% अधिक है।

2014-19 के दौरान नई लाइन, गेज परिवर्तन और दोहरीकरण कार्यों के लिए भारतीय रेलवे में औसत वार्षिक बजट आवंटन 2009-14 के दौरान प्रति वर्ष 11,527 करोड़ रुपये से बढ़कर 26,026 करोड़ रुपये प्रति वर्ष हो गया है, जो 2009-14 के औसत वार्षिक बजट परिव्यय से 126% अधिक है।

वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए इन परियोजनाओं के लिए वार्षिक बजट आवंटन 43,626 करोड़ रुपये था जो 2009-14 के औसत वार्षिक बजट परिव्यय से 278% अधिक है।

वित्तीय वर्ष 2021-22 में इन कार्यों के लिए 52,498 करोड़ रुपये का उच्चतम बजट परिव्यय {45,465 करोड़ रुपये (बजट अनुमान) और 7,033 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन} प्रदान किया गया है, जो 2009-14 के औसत वार्षिक बजट परिव्यय के संबंध में 355% अधिक है।

#TrustNaMo #ModiMatters #IndianRailways
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2021-08-06 19:36:28 30 जुलाई, 2021 तक देश भर में 72 मार्गों पर कुल 1040 किसान रेल सेवाओं का संचालन किया गया है, जिसने लगभग 3.38 लाख टन खेप का परिवहन किया है।

#KisanRail #TrustNaMo #ModiMatters
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