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Abhijeet Srivastava

टेलीग्राम चैनल का लोगो askabhijeet — Abhijeet Srivastava A
टेलीग्राम चैनल का लोगो askabhijeet — Abhijeet Srivastava
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नवीनतम संदेश 44

2021-08-20 06:20:59
मोदी ने हिंदुत्व के लिए किया ही क्या है....

ऐसा सवाल पूछने वाले लोग इस फोटो में मोदी जी द्वारा हिंदुत्व के लिए किए जा रहे गंभीर प्रयास देख सकते है... देश भर में 19 अगस्त से 25 अगस्त तक "संस्कृत सप्ताह" का आयोजन किया जा रहा है... इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने संस्कृत भाषा में एक संदेश लिखकर शुभकामनाएं दी है...

#TrustNaMo #ModiMatters
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2021-08-19 17:52:22 सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और यातायात कानून-पालन के लिये अधिसूचना!

नियमों के तहत यातायात कानूनों का पालन कराने के लिये इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का विस्तार से प्रावधान किया गया है। प्रावधानों में गति पकड़ने वाला कैमरा, सीसीटीवी कैमरा, स्पीड गन, शरीर पर धारण करने वाला कैमरा, मोटर के डैशबोर्ड पर लगाने वाला कैमरा, ऑटोमैटिक नंबर प्लेट की पहचान सम्बंधी उपकरण (एएनपीआर), वजन बताने वाली मशीन और अन्य प्रौद्योगिकियां शामिल की गई हैं।

राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करेंगी कि यातायात कानूनों का पालन कराने वाले सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य राजमार्गों के अति जोखिम तथा अति व्यस्त रास्तों पर लगाया जाये। इसके अलावा कम से कम उन सभी प्रमुख शहर के महत्त्वपूर्ण चौराहों-गोल चक्करों पर इन उपकरणों को लगाया जाये, जिन शहरों की आबादी दस लाख से अधिक हो। इसमें 132 शहरों का विवरण शामिल है, जिनका ब्योरा नियमों की तालिका में देखा जा सकता है।

कानून लागू कराने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को इस तरीके से लगाया जायेगा, जिसके कारण न तो कोई बाधा पैदा होगी, न देखने में दिक्कत होगी और न यातायात में कोई व्यवधान पड़ेगा। निम्नलिखित नियम-उल्लंघन के लिये इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिनकी फुटेज में स्थान, तिथि और समय दर्ज हो। इनका उपयोग चालान जारी करने में किया जायेगाः-

1. निर्धारित गति-सीमा के दायरे में वाहन नहीं चलाना (धारा 112 और 183);

2. अनधिकृत स्थान पर वाहन रोकना या पार्क करना (धारा 122) ;

3. वाहन चालक और पीछे बैठी सवारी के लिये सुरक्षा का ध्यान न रखना (धारा 128) ;

4. हेलमेट न पहनना (धारा 129);

5. लाल-बत्ती पार करना, रुकने के संकेत का पालन न करना, वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना, कानून का पालन न करते हुये अन्य वाहनों से आगे निकलना या उन्हें ओवरटेक करना, यातायात की विपरीत दिशा में वाहन चलाना, वाहन को इस तरह चलाना, जिसकी अपेक्षा एक सावधान और होशियार चालक से नहीं की जा सकती और उस होशियार चालक को यह भान हो कि ऐसा करना खतरनाक हो सकता है (धारा 184);

6. निर्धारित वजन से अधिक भार लेकर गाड़ी चलाना (धारा 194 की उपधारा-1);

7. बिना सेफ्टी-बेल्ट के गाड़ी चलाना (धारा 194बी);

8. मोटर वाहन (चालक) नियम, 2017 (धारा 177ए) के नियम 6 (अपनी लेन में गाड़ी चलाना) की अवहेलना;

9. माल ढोने वाले वाहनों में सवारी बैठाना (धारा 66);

10. मोटर वाहन (चालक) नियम, 2017 (धारा 117ए) के नियम 36 (गाड़ी की नंबर प्लेट के विषय में) की अवहेलना; ऐसे वाहन को चलाना, जिसमें माल इस तरह भरा गया हो कि वह दोनों तरफ या आगे या पीछे या ऊपर की तरफ निकला हो तथा जो निर्धारित सीमा से अधिक हो (धारा 194 की उपधारा-1ए);

12. आपातकालीन वाहनों को निकलने का रास्ता देने में कोताही करना (धारा 194ई)।

नियम 167 के तहत जारी होने वाले सभी चालान इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में होंगे और यातायात नियमों का उल्लंघन होते ही वे इलेक्ट्रॉनिक निगरानी तथा कानून-पालन प्रणाली के जरिये अपने-आप तैयार हो जायेंगे। उनमें निम्नलिखित सूचना दर्ज रहेगीः

i. यातायात नियम का उल्लंघन करने का ब्योरा और वाहन की नंबर प्लेट की फोटो सबूत के तौर पर दर्ज होगी।

ii. कानून लागू कराने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से पैमाइश।

iii. नियम-उल्लंघन की तिथि, समय और स्थान।

iv. अधिनियम के जिस प्रावधान का उल्लंघन किया गया है, नोटिस में उसका हवाला।

v. भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 (1872 का 1) की धारा 65बी की उपधारा (4) के अनुपालन में लिखित साक्ष्य, जिसमें-

a. इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की पहचान दर्ज होगी उसे तथा प्रस्तुत करने के तरीके का विवरण होगा,

b. उस इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में उल्लंघन पकड़ने वाले उपकरण का विवरण होगा, जिससे पता चलेगा कि वह इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड कंप्यूटर से स्वमेव तैयार हुआ है।

c. राज्य सरकार की तरफ से अधिकृत अधिकारी का हस्ताक्षर रहेगा।

#TrustNaMo #ModiMatters
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2021-08-19 17:49:34 केन्द्र के गन्ना बकायों का समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सरप्लस चीनी के निर्यात और चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने को सुगम बनाने से गन्ना किसानों को बड़ी राहत मिली है!

60 एलएमटी के निर्यात लक्ष्य की तुलना में लगभग 70 एलएमटी के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए है!

16.08.2021 तक चीनी मिलों से 60 एलएमटी से ज्यादा का उठान किया गया!

2020-21 में चीनी मिलों द्वारा लगभग 91,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड मूल्य के गन्ने की खरीद की गई!

पिछले 2 चीनी सत्रों 2018-19 और 2019-20 में, लगभग 3.37 एलएमटी और 9.26 एलएमटी चीनी से एथेनॉल बनाया गया है। वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 में, 20 एलएमटी से एथेनॉल बनाए जाने का अनुमान है। आगामी चीनी सत्र 2021-22 में, लगभग 35 एलएमटी चीनी को परिवर्तित किए जाने का अनुमान है और 2024-25 तक 60 एलएमटी चीनी को एथेनॉल में परिवर्तित करने का अनुमान है, जिससे अतिरिक्त गन्ना/ चीनी के साथ ही देरी से भुगतान की समस्या का समाधान हो जाएगा क्योंकि किसानों को तत्काल भुगतान मिल जाएगा। हालांकि, 2024-25 तक अतिरिक्त डिस्टिलेशन क्षमता जुड़ जाएगी, इसलिए चीनी का निर्यात अतिरिक्त 2-3 साल तक जारी रहेगा।

पिछले 3 चीनी सत्रों में चीनी मिलों/ डिस्टिलरियों ने तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को इथेनॉल की बिक्री से लगभग 22,000 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है। वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 में, चीनी मिलों द्वारा ओएमसी को एथेनॉ की बिक्री से लगभग 15,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिल रहा है, जिससे चीनी मिलों को किसानों को गन्ना बकाये का समय से भुगतान करने में सहायता मिली है।

पिछले चीनी सत्र 2019-20 में, लगभग 75,845 करोड़ रुपये के देय गन्ना बकाये में से 75,703 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया और सिर्फ 142 करोड़ रुपये का बकाया लंबित है। हालांकि, वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 में, चीनी मिलों द्वारा लगभग 90,872 करोड़ रुपये के गन्ने की खरीद की गई जो अभी तक का रिकॉर्ड है। इसमें से लगभग 81,963 करोड़ रुपये के गन्ना बकाये का किसानों को भुगतान कर दिया गया और 16.08.2021 को सिर्फ 8,909 करोड़ रुपये का गन्ना बकाया लंबित है। निर्यात और गन्ने से इथेनॉल बनाने में बढ़ोतरी से किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान में तेजी आई है।

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2021-08-19 17:39:22 डाइवेस्टमेन्ट की ओर कदम बढ़ रहे हैं जिससे भविष्य में हमारे और आपके जैसे टैक्सपेयर का धन इनपर बर्बाद ना हो, जो स्वागत योग्य कदम है।

विश्व की अधिकांश सफल अर्थव्यवस्थाओं में सरकारें कंपनियां की मालिक नहीं होती, और ऐसा इसलिए है कि भ्रष्टाचार के द्वार कम से कम हों, वैसे विश्व में सबसे संवेदनशील विषय डिफेंस होता है, और विश्व की सबसे सफल और बड़ी डिफेंस कंपनियों को देखें चाहे वह लॉकहीड मार्टिन हो, बोइंग हो, जनरल एटोमिक्स हो, BAE सिस्टम हो, दसॉल्ट हो, GE हो, सफरन हो, ये सभी निजी कंपनियां हैं जो उत्कृष्ट प्रोडक्ट बना रही हैं, लाभ कमा रही हैं और अपने-अपने देशों के डिफेंस को सशक्त करने में महत्वपूर्ण सकारात्मक योगदान भी दे रही हैं,

मैं इसीलिए कहता हूं कि सरकारों का काम बिजनेस करना, कंपनियां चलान नहीं है, बल्कि देश में बिजनेस के अनुकूल वातावरण का निर्माण करना है जिससे अधिकाधिक कंपनियां सुचारू रूप से अपनी बिजनेस एक्टिविटीज चला सके, जनता के लिए रोजगार का सृजन कर सके, आम जनमानस के जीवन स्तर में सुधार ला सकें, हर योग्य व्यक्ति को उचित रोजगार दे सकें जिससे कि टैक्स बेस में बढ़ोतरी हो और सरकार की आमदनी ऑर्गेनिक रूप से बड़े, जिससे सरकार सही प्रकार से देश के विकास, एजुकेशन, हेल्थ, इंफ्रा और डिफेंस पर खर्चे और देश के गोल्ड रिजर्व और फॉरेक्स रिजर्व में बढ़ोतरी करती जाए।

साभार: Rohan Sharma

#Disinvestment #विनिवेश #TrustNaMo
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2021-08-19 17:39:22 वर्ष 2014 में जब भारत की जनता ने भ्रष्ट, लुटेरी, निकम्मी, जिहाद व् वामपंथ परस्त कांग्रेस सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंका था तो भारत की गोल्ड रिजर्व 21.56 बिलियन डॉलर थी,

और मोदी सरकार के 7 वर्षों के शासन में भारत की गोल्ड रिजर्व 33.88 बिलियन डॉलर पहुंच चुकी है,

भारत के फॉरेक्स रिजर्व की बात करें तो 2014 में वह तो 282 बिलियन डॉलर हुआ करती थी, जो आज मोदी सरकार के नेतृत्व में 621 बिलियन डॉलर पहुंच चुकी है।

यह आंकड़ा उन ज्ञानियों के लिए है जो PSU के स्ट्रेटजिक डाइवेस्टमेन्ट पर कहते हैं कि मोदी सरकार ने देश बर्बाद कर दिया और देश की संपदा बेच दी, वे स्वघोषित ज्ञानी रूपी कुएं के मेंढक यह भी नहीं समझते की सरकारों का काम कंपनियां चलाना और उनसे लाभ कमाना नहीं है, विभिन्न कम्पनियों में सरकारों का बड़ा स्टेक, PSU में मैनेजमेंट कंट्रोल सरकारी संपदा नहीं होती बल्कि विश्व भर की सफल अर्थव्यवस्थाओं में सरकारें अपने पास गोल्ड रिजर्व, गवर्नमेंट बॉन्ड्स, इंस्टिट्यूशनल बॉन्ड्स, फॉरेक्स रिज़र्व, रखती है,

मैंने राजनीतिक दलों क्रिस्लामोकॉमियों के साथ साथ उग्र कट्टर हिंदुत्व के ध्वजवाहकों को भी यह विलाप कर झींकते हुए देखा है की सरकार PSU कम्पनियों, बैंकों, OMC का निजीकरण कर उन्हें बेच रही है, LIC के IPO लाने को वे बेचने की संज्ञा दे रहे हैं( जबकि IPO के माध्यम से आम जनमानस को LIC में हिस्सेदारी लेने का अवसर ही मिलेगा)

ऐसे ज्ञानियों को एक बार सरकारी बैंकों की बुक्स देखनी चाहिए की उन्होंने कैसे-कैसे लोन बांटे हुए हैं, उनका CASA रेशियो देखना चाहिए, उनके NIMs और NPA देखने चाहिए, और देखना चाहिए कि क्यों सरकार को उन्हें बार बार रीकैप्टलाईज़ करना पड़ रहा है, एयर इंडिया जैसे उपक्रमों द्वारा निरन्तर रिपोर्ट किये जा रहे लॉस देखने चाहिए,

बात समझिए कि यदि सरकारी कंपनियां, बैंक, OMC ठीक से भी काम करने लग जाएं, प्रॉफिट रिपोर्ट भी करना शुरू कर दें, फिर भी जब भी देश में कोई कांग्रेस जैसी भृष्ट लुटेरी सरकार आती है तब वह सबसे पहले इन सरकारी उपक्रमों को ही लूटना व् चूसना चालू करती है, एयर इंडिया व् इंडियन एयरलाइंस कभी दोनों ही प्रॉफिटेबल हुआ करती थी किंतु कांग्रेस सरकार के उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल द्वारा इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया मर्जर और फिर भारी भरकम लोन लेकर आवश्यकता से कई गुना अधिक जेट्स के अधिक दामों पर प्लेस किये ऑर्डर ने उसे बर्बाद कर दिया और वो उबर नही सकी,

कांग्रेस द्वारा अंजाम दिए गए एनपीए घोटाले के अंदर सरकारी बैंकों पर दबाव बनाकर अपने करीबियों को अनसिक्योर्ड लोन के माध्यम से सरकारी बैंकों की 80% पूंजी लुटवा दी गई थी,

कांग्रेस सरकार द्वारा ऑयल बांड जारी कर उधार पर तेल लेकर जनता से तेल के पैसे और टैक्स वसूले गए, किंतु तेल देने वाले देशों को वह पैसा नहीं चुकाया गया और अब वह लाखों करोड़ के ऑयल बांड्स का भुगतान बयाज के साथ वर्तमान सरकार को चुकाने पड़ रहे हैं, जबकि तत्कालीन सरकार यह पैसा सीधे OMCs को देखकर यह पूरी नौटंकी रोक सकती थी,

अब यदि मैं आपको एक सरल सा उदाहरण दूं तो मान लीजिए कि आपके छोटे भाई/बहन अथवा आपके पुत्र/पुत्री ने एक व्यवसाय शुरू किया परंतु यदि वह उससे सुचारू रूप से नहीं चल रहा है, व्यवसाय में निरंतर घाटा आ रहा है, और आपके कुछ रिश्तेदार इस व्यवसाय को चलाने वाले आपके पुत्र-पुत्री/भाई-बहन पर दबाव डालकर अपने निजी आर्थिक हित साध रहे हैं जिसका नकारात्मक प्रभाव व्यवसाय के कैशफ्लो पर पड़ रहा है, और आपका छोटा भाई/बहन अथवा पुत्र/पुत्री हर वर्ष आपके पास उस धंधे में लगाने हेतु और पूंजी मांगने चला आता है, किंतु कई वर्ष तक पूंजी लगाने के बावजूद भी आपको उस व्यवसाय में टर्नअराउंड के साइन नहीं दिख रहे और वह प्रॉफिटेबल नहीं हो रहा है, तो क्या यह उचित नहीं होगा कि आप उस धंधे में और कैपिटल लगाने के बदले वह पूरा बिजनेस किसी ऐसे व्यक्ति को बेच दें अथवा चलाने को दे दें जिसमें उसे चलाने की पूर्ण क्षमता व् अनुभव हो ?

सरकारी कंपनियों का डाइवेस्टमेन्ट भी बिल्कुल यही प्रक्रिया है किंतु विडंबना यह है कि बैद्धिक चुनौतीग्रस्त लोग उसे देश बेचने, कम्पनी बेच के खा जाने की संज्ञा देकर अपना गटर छाप प्रोपेगेंडा चला रहे हैं,

विभिन्न सरकारी उपक्रमों में कहीं पूर्व की सरकारों के कुकर्म व् कहीं वर्तमान मैनेजमेंट के निकम्मेपन के कारण वह निरंतर लॉस रिपोर्ट कर रहे हैं, जबकि उन्हीं की पीयर्स प्राइवेट कंपनियां इन्हीं क्षेत्रों में अच्छा कार्य कर रही हैं और लाभ भी कमा रही है, सरकारों द्वारा कई बार हम और आप जैसे टैक्सपेयर के धन से इन PSU को रीकैपिटलाइज किया जा चुका है, कई बार हमारे आपके पैसों से इनमें कैपिटल इन्फ्यूजन हुई है, किंतु या तो स्थिति नहीं सुधर रही या फिर भविष्य में यह परिस्थितियां ना बने इसलिए कंपनी की बागडोर किसी जिम्मेदार मैनेजमेंट के हाथ में देने के उद्देश्य से
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2021-08-18 15:26:46 इसके अलावा उत्तर-पूर्व और अंडमान क्षेत्रों के लिए विशेष सहायता प्रदान की जाएगी जिसमें एकीकृत खेती के साथ-साथ हाफ मून टैरेस खेती, बायो फेंसिंग और लैंड क्लीयरेंस के लिए विशेष प्रावधान किए जा रहे हैं।

उद्योग को पूंजी सहायता:

उत्तर पूर्व राज्यों और अंडमान के लिए, उच्च क्षमता के लिए आनुपातिक वृद्धि के साथ 5 करोड़ रुपये प्रति घंटा यूनिट के 5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह प्रावधान उद्योग को इन क्षेत्रों में आने के लिए आकर्षित करेगा।

#TrustNaMo #ModiMatters #NMEO-OP #PalmOil #EdibleOil
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2021-08-18 15:26:46 केंद्र सरकार ने खाद्य तेल - पॉम ऑयल पर राष्ट्रीय मिशन की घोषणा की!

खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन - पाम ऑयल (एनएमईओ-ओपी) एक नई केंद्र प्रायोजित योजना में पूर्वोत्तर क्षेत्र और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर विशेष ध्यान दिया जाएगा!

खाद्य तेलों के आयात पर भारी निर्भरता के कारण, खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रयास करना महत्वपूर्ण है जिसमें पाम तेल का बढ़ता क्षेत्र और उत्पादकता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

योजना के लिए 11,040 करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय किया गया है, जिसमें से 8,844 करोड़ रुपये भारत सरकार का हिस्सा है और 2,196 करोड़ रुपये राज्य का हिस्सा है और इसमें व्यवहार्यता अंतर फंडिंग (VGF) भी शामिल है।

इस योजना के तहत वर्ष 2025-26 तक पाम ऑयल के लिए 6.5 लाख हेक्टेयर के अतिरिक्त क्षेत्र को कवर करने और अंततः 10 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य तक पहुंचने का प्रस्ताव है।

कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का उत्पादन 2025-26 तक 11.20 लाख टन और 2029-30 तक 28 लाख टन तक जाने की उम्मीद है।

इस योजना से पाम तेल किसानों को अत्यधिक लाभ होगा, पूंजी निवेश में वृद्धि होगी, रोजगार सृजन होगा, आयात निर्भरता कम होगी और किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।

1991-92 से भारत सरकार द्वारा तिलहन और ताड़ के तेल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। तिलहन उत्पादन 2014-15 में 275 लाख टन से बढ़कर 2020-21 में 365.65 लाख टन हो गया है।

वर्तमान में केवल 3.70 लाख हेक्टेयर में ही पाम ऑयल की खेती होती है। अन्य तिलहन फसलों की तुलना में पाम ऑयल प्रति हेक्टेयर 10 से 46 गुना अधिक तेल का उत्पादन करता है और प्रति हेक्टेयर लगभग 4 टन तेल की उपज होती है। ऐसे में इसकी खेती की अपार संभावनाएं हैं।

इस तथ्य को भी ध्यान में रखते हुए कि आज भी लगभग 98% क्रूड पॉम ऑयल आयात किया जा रहा है, देश में क्रूड पॉम ऑयल के क्षेत्र और उत्पादन को और बढ़ाने के लिए यह योजना शुरू की जा रही है।

योजना के दो प्रमुख फोकस क्षेत्र हैं।

पाम ऑयल किसान फ्रेश फ्रूट बंच (एफएफबी) का उत्पादन करते हैं जिससे उद्योग द्वारा तेल निकाला जाता है। वर्तमान में इन एफएफबी की कीमतें अंतरराष्ट्रीय सीपीओ कीमतों में उतार-चढ़ाव से जुड़ी हुई हैं।

पहली बार, भारत सरकार तेल पाम किसानों को एफएफबी के लिए मूल्य आश्वासन देगी। इसे व्यवहार्यता मूल्य (वीपी) के रूप में जाना जाएगा। यह किसानों को अंतरराष्ट्रीय सीपीओ कीमतों के उतार-चढ़ाव की अस्थिरता से बचाएगा।

यह वीपी पिछले 5 वर्षों का वार्षिक औसत सीपीओ मूल्य होगा जिसे थोक मूल्य सूचकांक के साथ समायोजित करके 14.3 से गुणा किया जाएगा। यह पाम ऑयल वर्ष के लिए सालाना 1 नवंबर से 31 अक्टूबर तक तय किया जाएगा। यह आश्वासन भारतीय पाम तेल किसानों में बढ़े हुए क्षेत्र और इस प्रकार पाम तेल का अधिक उत्पादन करने के लिए विश्वास पैदा करेगा।

एक फॉर्मूला मूल्य (एफपी) भी तय किया जाएगा जो सीपीओ का 14.3% होगा और मासिक आधार पर तय किया जाएगा। वायबिलिटी गैप फंडिंग वीपी-एफपी होगी और जरूरत पड़ने पर इसका भुगतान सीधे किसानों के खातों में डीबीटी के रूप में किया जाएगा।

किसानों को आश्वासन व्यवहार्यता अंतर निधि के रूप में होगा और उद्योग को सीपीओ मूल्य का 14.3% भुगतान करना अनिवार्य होगा जो अंततः 15.3% हो जाएगा।

इस योजना के लिए एक सनसेट क्लॉज है जो 1 नवंबर 2037 है। उत्तर-पूर्व और अंडमान को प्रोत्साहन देने के लिए, सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सीपीओ मूल्य का 2% अतिरिक्त वहन करेगी ताकि किसानों को शेष भारत के समान भुगतान किया जा सके।

भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित तंत्र को अपनाने वाले राज्यों को योजना में प्रस्तावित व्यवहार्यता अंतर भुगतान से लाभ होगा और इसके लिए वे केंद्र सरकार के साथ समझौता ज्ञापन में प्रवेश करेंगे।

योजना का दूसरा प्रमुख फोकस इनपुट्स/हस्तक्षेपों की सहायता में पर्याप्त वृद्धि करना है।

पाम ऑयल के लिए रोपण सामग्री के लिए पर्याप्त वृद्धि की गई है और इसे 12,000 रुपये प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 29000 रुपये प्रति हेक्टेयर कर दिया गया है। इसके अलावा रखरखाव और अंतर-फसल हस्तक्षेप के लिए पर्याप्त वृद्धि की गई है। पुराने बगीचों के जीर्णोद्धार के लिए पुराने बगीचों को फिर से लगाने के लिए 250 रुपये प्रति पौधा की दर से विशेष सहायता दी जा रही है।

देश में रोपण सामग्री की कमी की समस्या को दूर करने के लिए शेष भारत में बीज उद्यानों को 15 हेक्टेयर के लिए 80 लाख रुपये तक की सहायता प्रदान की जाएगी। और उत्तर-पूर्व और अंडमान क्षेत्रों में 15 हेक्टेयर के लिए 100 लाख रुपये सहायता प्रदान की जाएगी।

इसके अलावा, शेष भारत और उत्तर-पूर्व और अंडमान क्षेत्रों के लिए क्रमशः 40 लाख रुपये और 50 लाख रुपये की दर से बीज बागानों के लिए सहायता प्रदान की जाएगी।
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2021-08-18 15:26:41
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2021-08-17 18:32:25 ई-वीजा माने भारत की नागरिकता नहीं होता...

अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास बंद होने के कारण वीजा की प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है, अफगानी लोग ऑनलाइन ई-वीजा के लिए अप्लाई कर सकते है, वीजा जारी किए जाने से पहले भारतीय सुरक्षा एजेंसियां आवेदनकर्ता के बैकग्राउंड की जांच करेंगी, सुरक्षा एजेंसियों से हरी झंडी मिलने के बाद वीजा जारी किया जायेगा, ई-वीजा की अवधि 6 महीने की होगी, यानी सिर्फ 6 महीने ही भारत में रह सकेंगे...

भारत की कोई शरणार्थी पॉलिसी नहीं है, न ही भारत किसी इंटरनेशनल कानून के तहत विदेशी नागरिको को शरण देने के लिए बाध्य है।

शरणार्थियों और घुसपैठियों को लेकर मोदी सरकार की स्पष्ट नीति हम सब अच्छे से जानते है...

#TrustNaMo #ModiMatters
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2021-08-17 18:31:54
लिजलिजे लोग कुछ दिन पहले इंची टेप लेकर मोदी सरकार का सीना नाप रहे थे, मोदी सरकार द्वारा बनाए गए नए आईटी (सोशल मीडिया) नियमों के तहत अब फेसबुक ने भी राहुल गांधी को पोस्ट हटाने का नोटिस भेजा!
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