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हिंदी सहित्य / Hindi Sahitya

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नवीनतम संदेश 15

2023-03-03 05:15:02 तुलसीदास का जीवन एवम कृतित्व

ध्यान से पढ़ें। नोट करें। परीक्षा के लिए अतिमहत्वपूर्ण

नाभादास की भक्तमाल, प्रियादास की भक्तमाल की टीका एवम वेणीमाधव दास की गोसाईचारित में तुलसी का जीवन वृत्त मिलता है।

जन्म सम्वत 1554 को श्रावण शुक्ल सप्तमी को हुआ।

जन्मस्थान बांदा जिले का राजापुर गावं को माना जाता है।

जन्म लेते ही राम नाम का उच्चार करने की वजह से बचपन में नाम पड़ा 'रामबोला'।

जन्म के कुछ दिनों बाद माता की मृत्यु, पालन पोषण 'चुनिया' नामक दासी ने किया।

मातु पिता जग जाइ तज्यो विधहुँ न लिखी कछु भाल भलाई।
नीच निरादर भाजन कादर, कुकुर टूकन लागि लगाई। (कवितावली)

जाति के सुजाति के कुजाति के पेटागि बस।
खाए टूक सबके विदित बात दूनी सो। (कवितावली)

बारे ते लताल बिललात द्वार द्वार दीन
जानत हौं चारि फल चारि ही चनक को।
(कवितावली)

रामानन्द की शिष्य परम्परा के गोपालदास के शिष्य नरिहरीदास के शिष्य बने गोस्वामी तुलसीदास जी।

नरिहरि को स्मरण करते हुए तुलसी लिखते हैं - "वन्दौ गुरूपर कंज, कृपा सिन्धु नर रूप हरि"

नरिहरीदास ने ही तुलसी को रामबोला की जगह तुलसी नाम दिया। सर्वप्रथम राम कथा भी निज गुरु से सुनी - "मैं पुनि निज गुरुसन सुनी कथा सो सुकर खेत"

तुलसी का दाखिला काशी के शेष सनातन की पाठशाला में नरिहरीदास ने ही करवाया।

मूल गोसाईं चरित में तुलसी की माता का नाम हुलसी लिखा मिलता है।

"गोद लिए हुलसी फिरै तुलसी सो सुत होय" पंक्ति रहीम की है।

"हांड़ मांसमय देह मम, तासो जैसी प्रीति/वैसी जो श्री राम में, होत न भव भय भीति" पंक्ति रत्नावली की है।

मूल गोसाईचारित और घट रामायण के अनुसार तुलसीदास जी ने सम्वत 1631 में अयोध्या में रामचरित मानस का लेखन आरम्भ किया। कुछ अंश काशी में लिखा। मानस की सुरक्षा का जिम्मा मित्र एवम जमींदार टोडरमल को सौंपा। जीवन के अंतिम दिन काशी में बिताए।

बादशाह अकबर ने उन्हें मनसबदार बनाने का प्रस्ताव भेजा जिसे अस्वीकार करते हुए तुलसी ने लिखा-
"हौं चाकर रघुवीर को पटौ लिख्यो दरबार/तुलसी अब का होहिगों नर के मनसबदार"।

मूल गोसाईचारित चरित के अनुसार तुलसी की मृत्यु सम्वत 1680 को श्रावण कृष्ण पक्ष तृतीया को काशी में असी घाट पर हुई।

शिवसिंह सेंगर ने 18, जार्ज ग्रियर्सन ने 16 और मिश्रबन्धु ने तुलसीदास के ग्रंथों की संख्या 25 बताई है।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य के इतिहास नामक अपने ग्रन्थ में तुलसी के कुल प्रामाणिक ग्रन्थों की संख्या 12 बताई है। परवर्ती विद्वान इस तथ्य से सहमत होते हैं।

क्रमशः एक-एक रचना के सम्बंध में जानकारी-

रामलला नहछू
नहछू एक प्रकार का संस्कार है जो जनेऊ और विवाह के अवसर पर होता है। यह कृति में चार चरण एवम 20 छंदों हैं। ये छंद सोहर शैली में है। पुत्र जन्म के अवसर पर गाया जाने वाला अवध क्षेत्र का अतिप्रिय छंद यही। अवध की लोकसंस्कृति की झांकी तुलसीदास ने इस ग्रन्थ में प्रस्तुत की है।नहछू में नाउनि की मुख्य भूमिका होती है। डॉ. माता प्रसाद गुप्त के अनुसार रामलला नहछू का रचना काल सम्वत 1611 है।
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2023-03-02 14:21:43 *हिन्दी साहित्य का इतिहास*

*प्रश्न=1-पृथ्वीराज रासो के वृहत् रूपान्तर में कुल कितने सर्ग (समय ) हैं?*

अ) 30 ब) 36 स) 47 द) 69

*प्रश्न=2-'पाहुड़दोहा ' के रचयिता है -*
अ) पुष्पदन्त ब) रामसिंह
स) सरहपा द) धनपाल

*प्रश्न=3-कौन सी रचना शालिभद्र सुरि की नहीं है?*
अ) बुद्धिरास
ब) भरतेश्वर बाहुबली रास
स) पंचपाण्डव चरित रास
द) चन्दनबाला रास

*प्रश्न=4-खुमाण रासो की प्रामाणिक प्रति कहाँ संग्रहित की गई है?*
अ) पुणे संग्रहालय
ब) मथुरा संग्रहालय
स) जयपुर संग्रहालय
द) ग्वालियर संग्रहालय

*प्रश्न=5-इनमें से कौनसा विद्वान पृथ्वीराज रासो को अर्द्ध-प्रामाणिक रचना मानता है?*
अ) आचार्य शुक्ल
ब) मोहन लाल विष्णुलाल पांड्या
स) हजारी प्रसाद द्विवेदी
द) कविराजा श्यामलदास

*प्रश्न=6-रास - काव्य - परम्परा के अन्तर्गतआने वाले 'उपदेश रसायन रास 'के रचयिता कौन है?*
अ) शालिभद्र सुरि ब) ज्योतिरीश्वर ठाकुर
स) जिनदत्त सुरि द) अमीर खुसरो

*प्रश्न=7-' अपभ्रंश व्याकरण ' के रचयिता है?*
अ) हेमचन्द्र ब) विद्याधर
स) सोमप्रभ सुरि द) धनपाल

*प्रश्न=-8- ' पृथ्वीराज रासो ' को शुक - शुकी संवाद के रूप में रचित मानने वाले आलोचक हैं?*
अ) आचार्य शुक्ल ब) हजारी प्रसाद द्विवेदी
स) धीरेन्द्र वर्मा द) रामकुमार वर्मा

*प्रश्न=9- "पुरुष कहाणी हौं कहौ जसु पत्थावे पुन्नु " - किस कवि की उक्ति है ?*
अ) विद्यापति ब) नरपति नाल्ह
स) चन्दबरदाई द) जगनिक

*प्रश्न=10- हिन्दी में 'नखशिख परम्परा ' का आरम्भ किस रचना से हुआ है ?*
अ) चर्यापद ब) संदेशरासक
स) राउल वेल द) भविसयत कथा

*11. "बहुत कठिन डगर है पनघट की, कैसे मैं घर लाऊँ मधवा से मटकी।पनिया भरन को मैं जो गई थी, दौड़ झपट मोरी मटकी पटकी।"प्रस्तुत काव्य पंक्ति के रचनाकार हैं-*
अ मीराबाई ब भारतेंदु
स खुसरो द रसखान

*12. 'पाहुड़दोहा' का अर्थ क्या है ?*
अ दोहों की माला ब दोहों का संग्रह
स दोहों का उपहार द दोहा और पाहुन

*13. "काआ तरुवर पंच विडाल चंचल चीए पइठो काल।" पंक्ति के लेखक हैं-*
अ लुइपा ब सरहपा
स कण्हपा द विरुप्पा

*14. अपभ्रंश भाषा में 'दब्ब-सहाव-पयास' काव्य ग्रंथ की रचना करने वाले कवि कौन है ?*
अ लक्ष्मी धर ब हेमचंद्र
स शालिभद्र सूरि द देवसेन

*15. गार्सा द तासी ने रासो शब्द की उत्पत्ति किस शब्द से माना है ?*
अ रसायण से ब रासक से
स राजसूय से द रास से

*16. कौनसा नाथ योगी स्त्री- मोह में फंस गया था जिसका गोरखनाथ ने उद्धार किया था ?*
अ मच्छेंद्र नाथ ब गोपीचंद नाथ
स चौरंगीनाथ द चुणकरनाथ

*17. "नाथों की सबसे बड़ी कमजोरी उनका रूखापन तथा गृहस्थ के प्रति अनादर भाव है।" यह कथन किस आलोचक का है ?*
अ रामचंद्र शुक्ल ब हजारीप्रसाद द्विवेदी
स नगेंद्र द बच्चन सिंह

*18. "पिउ चितौड़ न आविउ, सावण पहिली तीज। जौवे बाट विरहिणी, खिण खिण अणवै तीज।।" किस ग्रंथ से संबंधित है ?*
अ पद्मावत ब बीसलदेव रासो
स चंदनबाला रास द खुमाण रासो

*19. 'पृथ्वी राज रासो' के कितने संस्करण प्राप्त होते हैं ?*
अ दो ब चार
स पाँच द छह

*20. बीसलदेव रासो का 'बारहमासा' (विरहवर्णन) किस मास से प्रारंभ होता है ?*
अ आषाढ़ ब वैशाख
स श्रावण द कार्तिक
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2023-03-01 19:11:08 माखनलाल चतुर्वेदी
हिन्दी साहित्य को जोशो-ख़रोश से भरी आसान भाषा में कवितायें देने वाले माखनलाल चतुर्वेदी जी का जन्म मध्यप्रदेश के होशंगाबाद ज़िले में चार अप्रैल 1889 को हुआ था।

वो कवि होने के साथ-साथ पत्रकार भी थे| उन्होंने ‘प्रभा, कर्मवीर और प्रताप का सफल संपादन किया।

1943 में उन्हें उनकी रचना ‘हिम किरीटिनी’ के लिए उस समय का हिंदी साहित्य का सबसे बड़ा पुरस्कार ‘देव पुरस्कार’ दिया गया था। 

हिम तरंगिनी के लिए उन्हें 1954 में पहले साहित्य अकादमी अवार्ड से नवाज़ा गया।

राजभाषा संविधान संशोधन विधेयक के विरोध में पद्मभूषण की उपाधि लौटाने वाले कवि ने 30 जनवरी 1968 को आख़िरी सांस ली।

पुष्प की अभिलाषा...

चाह नहीं, मैं सुरबाला के 
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध
प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर
हे हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सिर पर
चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे तोड़ लेना बनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक!
मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने,
जिस पथ पर जावें वीर अनेक।।
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2023-03-01 19:11:08 राष्ट्रकवि मैथिलीशरण
गुप्त जी का जन्म 3 अगस्त 1886 में यूपी के झांसी ज़िले में चिरगाँव में हुआ था।

उन्होंने अपनी कविताओं में खड़ी बोली का खूब इस्तेमाल किया।

उनका महाकाव्य साकेत हिन्दी साहित्य के लिए एक मील का पत्थर है। 

जयद्रथ वध, भारत-भरती, यशोधराउनकी मशहूर रचनाएं हैं।

पद्मविभूषण सम्मान से नवाज़े इस कवि ने 12 दिसंबर 1964 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

मैथिलीशरण गुप्त की अविस्मरणीय कविता
नर हो न निराश करो मन को
कुछ काम करो कुछ काम करो
जग में रहके निज नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो न निराश करो मन को।।
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2023-03-01 14:10:30 हिन्दी साहित्य की इतिहास लेखन पद्धतियाँ

( अ ) वर्णानुक्रम
( ब ) कालानुक्रम
( स ) वैज्ञानिक पद्धति
( द ) विधेयवादी पद्धति

1. वर्णानुक्रम पद्धति ” : –

★ सर्वाधिक दोषपूर्ण व प्राचीन पद्धति है ,
★ इस पद्धति में कवियों व लेखको का परिचय उनके नाम के वर्णानुक्रमानुसार किया जाता है !
★ गार्सा द तासी व शिवसिंह सेंगर ने अपने ग्रंथो में इसी पद्धति का प्रयोग किया है ,
★यह साहित्य इतिहास लेखन की सर्वाधिक दोषपूर्ण पद्धति है
★ इस प्रणाली पर आधारित ग्रंथो को साहित्येतिहास की अपेक्षा ” साहित्यकार कोश कहना उपर्युक्त है !
★ कोश ग्रंथो के लिए यह प्रणाली उपर्युक्त है !

2. कालानुक्रम पद्धति ” : –
★जॉर्ज ग्रियर्सन ने द मॉडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ हिंदुस्तान “इतिहास ग्रंथ इसी पद्धति को आधार बनाकर लिखा है ।
★इस पद्धति पर या इसके आधार पर लिखे गये ग्रंथो को साहित्येतिहास कहने की अपेक्षा कविवृत्त संग्रह कहना उपर्युक्त होगा !

3 . वैज्ञानिक पद्धति ” : –
★डॉ गणपति चंद्रगुप्त ने हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास इसी पद्धति को आधार बनाकर लिखा है ।
★ इस पद्धति में तथ्यों का संग्रहण कर विश्लेषण किया जाता है , व निष्कर्ष प्रस्तुत किये जाते है 1
★साहित्येतिहास लेखन की अपेक्षा कोड लेखन के लिए उपर्युक्त !

4 . विधेयवादी पद्धति ” : –
★ साहित्य इतिहास लेखन की सर्वाधिक उपर्युक्त विधि !
★ इस विधि के जन्मदाता ” तेन ” Taine माने जाते है !
★इस पद्धति में साहित्येतिहास प्रवृतियों का अध्ययन युगीन परिस्थितियों के संदर्भ में किया जाता है !
★ आचार्य शुक्ल ने अपने साहित्येतिहास लेखन में इसी पद्धति का उपयोग किया है
★ इसी कारण उनके इतिहास ग्रन्थ को सच्चे अर्थो में हिदी साहित्य का प्रथम इतिहास ग्रन्थ कहा जाता है !
★ आचार्य शुक्ल के अनुसार प्रत्येक देश का साहित्य वहा की जनता की संचित चितवृति का बिम्ब होता है !
★ तब यह निश्चित है , की जनता की चितवृति के परिवर्तन के साथ – साथ साहित्य का परिवर्तन साहित्य इतिहास कहलाता है
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2023-02-28 09:41:19 2. तद्धित प्रत्यय किसे कहते है
जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण के पीछे जुड़कर नए शब्द बनाते हैं ,वह तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं। इनके योग से बने शब्दों को ‘तद्धितांत’ अथवा तद्धित शब्द कहते हैं|जैसे –
मानव + ता = मानवता
अच्छा + आई = अच्छाई
अपना + पन = अपनापन
एक + ता = एकता
ड़का + पन = लडकपन
मम + ता = ममता
अपना + त्व = अपनत्व
कृत-प्रत्यय क्रिया या धातु के अन्त में लगता है, जबकि तद्धित प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के अन्त में लगता है

तद्धित-प्रत्यय के आठ प्रकार हैं-
1. कर्तृवाचक तद्धित
2. भाववाचक तद्धित
3. संबंधवाचक तद्धित
4. गणनावाचक तद्धित
5. गुणवाचक तद्धति
6. स्थानवाचक तद्धति
7. सादृश्यवाचक तद्धित
8.ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय
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2023-02-28 09:41:07 1. कृत प्रत्यय किसे कहते है

जो प्रत्यय क्रिया धातु रूप के बाद लगकर नए शब्दों की रचना करते हैं ,उन्हें ‘कृत प्रत्यय’ कहते है |कृत प्रत्यय के योग से बने शब्दों को (कृत+अंत) कृदंत कहते हैं। जैसे –
लिख्+अक = लेखक
राखन+हारा = राखनहारा
घट+इया = घटिया
लिख+आवट = लिखावट
ये प्रत्यय क्रिया या धातु को नया अर्थ देते है। कृत् प्रत्यय के योग से संज्ञा और विशेषण बनते है|

कृदन्त या कृत प्रत्यय 5 प्रकार के होते हैं
(I)कर्त्तुवाचक कृदंत
(Ii)कर्मवाचक कृदंत
(Iii)करणवाचक कृदंत
(Iv)भाववाचक कृदंत
(V)क्रियावाचक कृदंत

(I) कर्त्तुवाचक कृदंत किसे कहते है

जिस प्रत्यय से बने शब्द से कार्य करने वाले अर्थात कर्ता का पता चलता हो, वह कर्तृवाचक कृदंत कहलाता है
अक = लेखक, नायक, गायक,पाठक
अक्कड़ = भुलक्कड़, घुमक्कड़, पियक्कड़, कुदक्कड़
आक = तैराक
आलू = झगड़ाल
आकू = लड़ाक,कृपालु ,दयालु
आड़ी = खिलाड़ी ,अगाड़ी, अनाड़ी
इअल = अडि़यल, मरियल,सड़ियल
एरा = लुटेरा, बसेरा
ऐया = गवैया,नचैया ,खिवैया
ओड़ा = भगोड़ा
वाला = पढ़नेवाला, लिखनेवाला,रखवाला
हार = होनहार ,राखनहार, चाखनहार,पालनहार

(Ii) कर्मवाचक कृदंत किसे कहते है
जिस प्रत्यय से बने शब्द से किसी कर्म का पता चलता हो वह कर्मवाचक कृदंत कहलाता है। जैसे-
औना = खिलौना ,बिछौना
ना = सूँघना ,ओढ़ना, पढ़ना,खाना
नी = सूँघनी,छलनी
गा = गाना

(Iii) करणवाचक कृदंत किसे कहते है
जिस प्रत्यय शब्द से क्रिया के साधन अर्थात कारण को बताते हैं वह करणवाचक कृदंत कहलाता है। जैसे-
आ = झूला ,भटका, भूला,
ऊ = झाडू
न = बेलन ,झाड़न, बंधन
नी = धौंकनी ,करतनी, सुमिरनी ,चलनी ,फूंकनी
ई = फाँसी ,धुलाई ,रेती,भारी

(Iv) भाववाचक कृदंत किसे कहते
वे प्रत्यय जो क्रिया से भाववाचक संज्ञा का निर्माण करते हैं।जैसे –
अ = मार, लूट, तोल
ना = लिखना ,पढ़ना
आई = पढ़ाई ,लिखाई ,लड़ाई, कटाई, चढ़ाई, सिलाई
आन = उड़ान ,मिलान, चढान, उठान,पहचान
आप = मिलाप, विलाप
आव = चढ़ाव, घुमाव, कटाव
आवा = बुलावा,छलावा, दिखावा, बहाव, चढ़ाव
आवट = सजावट, लिखावट, मिलावट, रुकावट
आहट = घबराहट, चिल्लाहट
ई = बोली, हँसी
औती = कटौती ,मनौती, फिरौती, चुनौती

(V) क्रियावाचक कृदंत किसे कहते है
जिस प्रत्यय से बने शब्द से क्रिया के होने का भाव प्रकट हो, वह क्रियावाचक कृदंत कहलाता है। जैसे-
हुआ = चलता हुआ, पढ़ता हुआ, भागता हुआ ,लिखता हुआ
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2023-02-28 09:40:54 प्रत्यय किसे कहते है
परिभाषा – वह शब्दांश जो किसी शब्द के अंत में जुडकर नये शब्द का का निर्माण करता है ,उसे प्रत्यय कहते है |जैसे-
समाज + इक = सामाजिक
सुगन्ध + इत = सुगन्धित
भूलना + अक्कड़ = भुलक्कड़
मीठा + आस = मिठास
भला + आई = भलाई
इसी प्रकार इन शब्दों में इक,इत ,अक्कड़ ,आस ,आई यह प्रत्यय शब्द होते है।

प्रत्यय के प्रकार
प्रत्यय के दो प्रकार है
1. कृत प्रत्यय
2. तद्धित प्रत्यय
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2023-02-27 06:18:48 【हिंदी प्रश्न पत्र पार्ट 2】

प्रश्‍न 46- हिन्दी भाषा का सम्बंन्ध किस लिपि से है।
उत्‍तर - देवनागरी लिपि से है।

प्रश्‍न 7- बोलने वालो की संख्या की दृष्टि से हिन्दी का विश्व मे कौन सा स्थान है।
उत्‍तर - तीसरा ।

प्रश्‍न 48- सूरदास के काव्य किस भाषा में है।
उत्‍तर - ब्रजभाषा में ।

प्रश्‍न 49- संविधान के किस अनुच्छे्द में कहा गया है – ‘’ संघ की राजभाषा हिन्दी् और लिपि देवनागरी होगी ‘’ ।
उत्‍तर - 343 वें अनुच्छेद में कहॉ गया ।

प्रश्‍न 50- हिन्दी शब्द‍ की व्युात्पात्ति कहॉ से हुई है।
उत्‍तर - सिंधु से ।

प्रश्‍न 51- वर्तमान हिन्दी का प्रचलित रूप कैसा है।
उत्‍तर - खडी बोली ।

प्रश्‍न 52- जिन ध्वनियों के संयोग से शब्दों का निर्माण होता है। उन्हें क्या कहते है।
उत्‍तर - वर्ण ।

प्रश्‍न 53- स्वरों की संख्या कितनी मानी गई है।
उत्‍तर - 11 ।

प्रश्‍न 54- हिन्दी मानक वर्ण माला में कुल कितने वर्ण है।
उत्‍तर - 52 ।

प्रश्‍न 55- अन्तस्थ व्यंजनों की संख्या कितनी है।
उत्‍तर - 4 ।

प्रश्‍न 56- हिन्दी वर्ण माला को कितने भागों में विभक्त किया गया है।
उत्‍तर - दो भागो में ।

प्रश्‍न 57- हिन्दो वर्ण माला में स्पर्श व्यंजनों की संख्या कितनी है।
उत्‍तर - 25 ।

प्रश्‍न 58- मात्रा के आधार पर हिन्दी स्वंरों के दो भेद कौन से है।
उत्‍तर - हस्वर और दीर्घ ।

प्रश्‍न 59- ‘ क्ष ‘ वर्ण किसके योग से बना है।
उत्‍तर - ‘’ क् + ष ‘’ से बना है।

प्रश्‍न 60- हिन्दी वर्ण माला में व्यंजनों की संख्या है।
उत्‍तर - 33 व्यंजन है।

प्रश्‍न 61- सूरदास का काव्‍य किस भाषा में है।
उत्‍तर - ब्रजभाषा में ।

प्रश्‍न 62- हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मेलन प्रयाग की स्‍थापना कब हुई ।
उत्‍तर - 1910 में ।

प्रश्‍न 63- संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्‍लेखित भारतीय भाषाओं की संख्‍या है।
उत्‍तर - 22 ।

प्रश्‍न 64- हिन्‍दी की विशिष्‍ट बोली ब्रज भाषा किस रूप में सबसे अधिक प्रसिद्ध है।
उत्‍तर - काव्‍य भाषा ।

प्रश्‍न 65- देवनागरी लिपि किस लिपि का विकसित रूप है।
उत्‍तर - ब्राम्‍ही लिपि ।

प्रश्‍न 66- रामायण महाभारत आदि ग्रन्‍थ कौन सी भाषा में लिखे गये है।
उत्‍तर - आर्यभाषा में ।

प्रश्‍न 67- विद्यापति की प्रसिद्ध रचना पदावली किस भाषा में लिखी गई है।
उत्‍तर - मैथिली में ।

प्रश्‍न 68- भारत में हिन्‍दी का संवैधानिक स्‍वरूप है।
उत्‍तर - राजभाषा । ।

प्रश्‍न 69- जाटू किस बोली का उपनाम है।
उत्‍तर - बॉगरू ।

प्रश्‍न 70- ''एक मनई के दुई बेटवे रहिन'' यह अवतरण हिन्‍दी की किस बोली में है।
उत्‍तर - भोजपुरी से ।

प्रश्‍न 71- हिन्दी का पहला नाटक है।
उत्‍तर - नहुष ।

प्रश्‍न 72- कबीरदास की भाषा थी।
उत्‍तर - सधुक्कडी ।

प्रश्‍न 73- कलम का जादूगर किसे कहा जाता है।
उत्‍तर - रामवृक्ष बेनीपुरी को ।

प्रश्‍न 74- प्रगतिवाद उपयोगितावाद का दूसरा नाम है। यह कथन किसका है।
उत्‍तर - रामविलास शर्मा ।

प्रश्‍न 75- रामचरितमानस में कुल कितने काण्ड है।
उत्‍तर - सात ।

प्रश्‍न 76- हिन्दी साहित्य के इतिहास के रचयिता कौन है।
उत्‍तर - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ।

प्रश्‍न 77- गीत गोविन्द किस भाषा में है।
उत्‍तर - संस्कृत भाषा में ।

प्रश्‍न 78- लोक नायक किसको कहा जाता है।
उत्‍तर - तुलसीदास जी को ।

प्रश्‍न 79- इन्दिरापति किसे कहा जाता है।
उत्‍तर - विष्णु को ।

प्रश्‍न 80- पंचतंत्र क्या है।
उत्‍तर - कहानी संग्रह ।
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