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टेलीग्राम चैनल का लोगो utkarshclasses — Utkarsh Classes
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नवीनतम संदेश 52

2023-04-03 09:29:59 उत्कर्ष बुलेटिन
❖ 03 अप्रैल, 2023
❖ दैनिक समसामयिकी (All Exams)
❖ महत्वपूर्ण खबरें एवं उन पर आधारित प्रश्न
❖ हिन्दी पीडीएफ
@UtkarshClasses
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2023-04-03 09:29:00 3 April 2023 | Daily Current Affairs (1123) | Static GK | Important Questions | Kumar Gaurav Sir


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2023-04-03 09:19:45
किशोरी अमोनकर
हिंदुस्तानी संगीत की अग्रणी गायिका किशोरी अमोनकर का जन्म 10 अप्रैल, 1932 को मुंबई में हुआ।
अमोनकर की मां गायिका मोगुबाई कुर्दीकर ने जयपुर घराने के दिग्गज गायक अल्लादिया खान साहब से प्रशिक्षण प्राप्त किया।
अपनी मां से जयपुर घराने की तकनीक और बारीकियों को सीखने के दौरान अमोनकर ने अपनी खुद की शैली विकसित की, जिस पर अन्य घरानों का भी प्रभाव दिखता है।
उन्हें मुख्य रूप से ख्याल गायिकी के लिए जाना जाता था, लेकिन उन्होंने ठुमरी, भजन और भक्ति गीत और फिल्मी गाने भी गाए हैं।
कला के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें वर्ष 1987 में ‘पद्म भूषण’ तथा वर्ष 2002 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया था।
सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका श्रीमती किशोरी अमोनकर को शास्त्रीय संगीत की परम्परा को लोकप्रिय और समृद्ध बनाने में उनके योगदान के लिए 'आईटीसी संगीत पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1985 में इन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
मशहूर हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका किशोरी अमोनकर का 84 वर्ष की आयु में 3 अप्रैल, 2017 को मुंबई में निधन हो गया।
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2023-04-03 08:42:01 मन्नू भंडारी
मन्नू भंडारी का जन्म 03 अप्रैल, 1931 को मंदसौर (मध्य प्रदेश) के भानपुरा में हुआ।
उनकी इंटर तक की शिक्षा राजस्थान के अजमेर शहर में हुई तथा कालांतर में उन्होंने हिंदी में एम.ए. किया।
दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज में अध्यापन कार्य से अवकाश प्राप्ति के बाद उन्होंने दिल्ली में ही रहकर स्वतंत्र लेखन का कार्य किया था।
स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कथा साहित्य की प्रमुख हस्ताक्षर मन्नू भंडारी की प्रमुख रचनाओं में एक प्लेट सैलाब, मैं हार गई, यही सच है, त्रिशंकु (कहानी-संग्रह); आपका बंटी, महाभोज (उपन्यास) इत्यादि शामिल हैं।
इसके अलावा उन्होंने फ़िल्म एवं टेलीविज़न धारावाहिकों के लिए पटकथाएँ भी लिखी हैं।
‘एक कहानी यह भी’ नाम से आत्म कथ्य का प्रकाशन किया गया।
उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए हिंदी अकादमी के शिखर सम्मान सहित उन्हें अनेक पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं जिनमें भारतीय भाषा परिषद्, कोलकाता, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी तथा उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के पुरस्कार शामिल हैं।
मन्नू भंडारी को 'नई कहानी' आंदोलन के अग्रदूतों में से एक माना जाता था, जो हिंदी साहित्य का एक प्रमुख आंदोलन था, जिसे निर्मल वर्मा, राजेंद्र यादव, भीष्म साहनी, कमलेश्वर जैसे प्रसिद्ध लेखकों द्वारा शुरू किया गया।
वह प्रगतिशील विचारों वाली लेखिका थीं और स्वतंत्रता के बाद कुछ ऐसे चुनिंदा लेखकों में शामिल थीं, जिन्होंने महिलाओं के बारे में लिखा और उन्हें मज़बूत एवं स्वतंत्र बनाने हेतु एक नई रोशनी प्रदान की।
मन्नू भंडारी की कहानियाँ हों या उपन्यास उनमें भाषा और शिल्प की सादगी तथा प्रामाणिक अनुभूति मिलती है। उनकी रचनाओं में स्त्री-मन से जुड़ी अनुभूतियों की अभिव्यक्ति भी देखी जा सकती है।
मन्नू भण्डारी का 15 नवम्बर, 2021 को हरियाणा के गुड़गांव में 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
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2023-04-03 08:41:01
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2023-04-03 08:39:59 छत्रपति शिवाजी महाराज
17वीं सदी के अंत तक दक्कन में शिवाजी के नेतृत्व में एक शक्तिशाली राज्य का उदय हुआ, जिससे अंततः एक मराठा राज्य की स्थापना हुई।
शिवाजी का जन्म 19 फरवरी, 1630 को वर्तमान महाराष्ट्र राज्य में पुणे ज़िले के शिवनेरी किले में हुआ।
इनके पिता मराठा सेनापति शाहजी भोंसले थे, जिन्हें बीजापुर सल्तनत के तहत पुणे और सुपे की जागीरें प्राप्त थीं।
शिवाजी की माता का नाम जीजा बाई था।
अपनी माता और अभिभावक दादा कोंडदेव के मार्गदर्शन में शिवाजी कम उम्र में ही विजयपथ पर निकल पड़े।
जावली पर कब्जे ने शिवाजी को मावला पठारों का मुखिया बना दिया, जिसने उनके क्षेत्र - विस्तार का पथ प्रशस्त किया।
वे अपने विरोधियों के खिलाफ प्रायः गुरिल्ला युद्ध पद्धति का प्रयोग करते थे। चौथ और सरदेशमुखी पर आधारित राजस्व संग्रह प्रणाली की सहायता से उन्होंने एक मजबूत मराठा राज्य की नींव रखी।
शिवाजी ने वर्ष 1645 में पहली बार अपने सैन्य कौशल का प्रदर्शन किया, जब किशोर उम्र में ही इन्होंने बीजापुर के अधीन तोरण किले पर सफलतापूर्वक नियंत्रण प्राप्त कर लिया।
छत्रपति शिवाजी ने कोंडाना किले पर भी अधिकार किया।
प्रतापगढ़ की लड़ाई, 1659- यह युद्ध मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज और आदिलशाही सेनापति अफज़ल खान की सेनाओं के बीच महाराष्ट्र के सतारा शहर के पास प्रतापगढ़ के किले में लड़ा गया था।
सूरत की लड़ाई, 1664- यह युद्ध गुजरात के सूरत शहर के पास छत्रपति शिवाजी महाराज और मुगल सेनापति इनायत खान के बीच लड़ा गया।
पुरंदर की लड़ाई, 1665- यह युद्ध मुगल साम्राज्य और मराठा साम्राज्य के बीच लड़ा गया।
जून 1665 में शिवाजी और राजा जय सिंह प्रथम (औरंगजेब का प्रतिनिधित्व) के बीच पुरंदर की संधि पर हस्ताक्षर किए गए।
सिंहगढ़ की लड़ाई, 1670- यह युद्ध महाराष्ट्र के पुणे शहर के पास सिंहगढ़ के किले पर मराठा शासक शिवाजी महाराज के सेनापति तानाजी मालुसरे और जय सिंह प्रथम के अधीन गढ़वाले उदयभान राठौड़, जो मुगल सेना प्रमुख थे, के बीच लड़ा गया।
संगमनेर की लड़ाई, 1679- यह युद्ध मुगल साम्राज्य और मराठा साम्राज्य के बीच लड़ा गया। यह आखिरी लड़ाई थी, जिसमें मराठा राजा शिवाजी लड़े थे।
शिवाजी ने अपनी सैन्य रणनीति के माध्यम से दक्कन और पश्चिमी भारत में भूमि के एक बड़े भाग पर अधिकार कर लिया।
शिवाजी को 6 जून, 1674 को रायगढ़ में मराठों के राजा के रूप में ताज पहनाया गया।
इन्होंने छत्रपति, शाककार्ता, क्षत्रिय कुलवंत और हैंदव धर्मोद्धारक उपाधियाँ धारण की थी।
3 अप्रैल, 1680 को शिवाजी की मृत्यु हो गई।
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2023-04-03 08:39:59
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2023-04-03 08:04:28 Rajasthan Current Affairs 2023 (855) | Current Affairs Today | For Rajasthan All Exam | Narendra Sir


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2023-04-03 05:45:04 Utkarsh Knowledge Series

प्रतिदिन अति महत्त्वपूर्ण प्रश्नों की शृंखला
परीक्षोपयोगी 10 MCQ प्रश्न व उनके उत्तर
सभी प्रश्नों के Video Solution
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