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छत्रपति शिवाजी महाराज 17वीं सदी के अंत तक दक्कन में शिवाजी क | Utkarsh Classes

छत्रपति शिवाजी महाराज
17वीं सदी के अंत तक दक्कन में शिवाजी के नेतृत्व में एक शक्तिशाली राज्य का उदय हुआ, जिससे अंततः एक मराठा राज्य की स्थापना हुई।
शिवाजी का जन्म 19 फरवरी, 1630 को वर्तमान महाराष्ट्र राज्य में पुणे ज़िले के शिवनेरी किले में हुआ।
इनके पिता मराठा सेनापति शाहजी भोंसले थे, जिन्हें बीजापुर सल्तनत के तहत पुणे और सुपे की जागीरें प्राप्त थीं।
शिवाजी की माता का नाम जीजा बाई था।
अपनी माता और अभिभावक दादा कोंडदेव के मार्गदर्शन में शिवाजी कम उम्र में ही विजयपथ पर निकल पड़े।
जावली पर कब्जे ने शिवाजी को मावला पठारों का मुखिया बना दिया, जिसने उनके क्षेत्र - विस्तार का पथ प्रशस्त किया।
वे अपने विरोधियों के खिलाफ प्रायः गुरिल्ला युद्ध पद्धति का प्रयोग करते थे। चौथ और सरदेशमुखी पर आधारित राजस्व संग्रह प्रणाली की सहायता से उन्होंने एक मजबूत मराठा राज्य की नींव रखी।
शिवाजी ने वर्ष 1645 में पहली बार अपने सैन्य कौशल का प्रदर्शन किया, जब किशोर उम्र में ही इन्होंने बीजापुर के अधीन तोरण किले पर सफलतापूर्वक नियंत्रण प्राप्त कर लिया।
छत्रपति शिवाजी ने कोंडाना किले पर भी अधिकार किया।
प्रतापगढ़ की लड़ाई, 1659- यह युद्ध मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज और आदिलशाही सेनापति अफज़ल खान की सेनाओं के बीच महाराष्ट्र के सतारा शहर के पास प्रतापगढ़ के किले में लड़ा गया था।
सूरत की लड़ाई, 1664- यह युद्ध गुजरात के सूरत शहर के पास छत्रपति शिवाजी महाराज और मुगल सेनापति इनायत खान के बीच लड़ा गया।
पुरंदर की लड़ाई, 1665- यह युद्ध मुगल साम्राज्य और मराठा साम्राज्य के बीच लड़ा गया।
जून 1665 में शिवाजी और राजा जय सिंह प्रथम (औरंगजेब का प्रतिनिधित्व) के बीच पुरंदर की संधि पर हस्ताक्षर किए गए।
सिंहगढ़ की लड़ाई, 1670- यह युद्ध महाराष्ट्र के पुणे शहर के पास सिंहगढ़ के किले पर मराठा शासक शिवाजी महाराज के सेनापति तानाजी मालुसरे और जय सिंह प्रथम के अधीन गढ़वाले उदयभान राठौड़, जो मुगल सेना प्रमुख थे, के बीच लड़ा गया।
संगमनेर की लड़ाई, 1679- यह युद्ध मुगल साम्राज्य और मराठा साम्राज्य के बीच लड़ा गया। यह आखिरी लड़ाई थी, जिसमें मराठा राजा शिवाजी लड़े थे।
शिवाजी ने अपनी सैन्य रणनीति के माध्यम से दक्कन और पश्चिमी भारत में भूमि के एक बड़े भाग पर अधिकार कर लिया।
शिवाजी को 6 जून, 1674 को रायगढ़ में मराठों के राजा के रूप में ताज पहनाया गया।
इन्होंने छत्रपति, शाककार्ता, क्षत्रिय कुलवंत और हैंदव धर्मोद्धारक उपाधियाँ धारण की थी।
3 अप्रैल, 1680 को शिवाजी की मृत्यु हो गई।