2021-06-18 13:12:59
स्विस ब्रोकरेज UBS सिक्योरिटीज इंडिया ने 17 जून, 2021 को यह सूचना दी है कि, भारत में कोविड - 19 महामारी की दूसरी लहर के मद्देनजर अप्रैल, 2021 और मई, 2021 के दौरान लगाए गए लॉकडाउन की वजह से, देश की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष, 2021-22 की पहली तिमाही में औसतन 12 प्रतिशत तक संकुचित हुई है.
वर्ष, 2020 की पहली तिमाही में यह आर्थिक संकुचन 23.9 प्रतिशत तक था. भारत की अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2021 में 07.3 प्रतिशत पर सबसे खराब संकुचन देखा था क्योंकि केंद्र ने केवल चार घंटे के नोटिस पर 02.5 महीने के अनियोजित लॉकडाउन की घोषणा की थी. कोरोना वायरस महामारी के कारण लगाये गये इस लॉकडाउन ने पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत संकुचन दर्ज करते हुए अर्थव्यवस्था को पंगु बना दिया था जो बाद में, दूसरी तिमाही में सुधरकर 17.5 प्रतिशत हो गया था.
आगे बढ़ते हुए, अर्थव्यवस्था ने दूसरी छमाही से एक तेज वी-आकार की रिकवरी दर्शाई, जब उसने 40 bps सकारात्मक वृद्धि दर्ज की और चौथी तिमाही में 1.6 प्रतिशत की कमी रही, जिससे इस वर्ष के लिए समग्र संकुचन 7.3 प्रतिशत रहा.
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 12 फीसदी के संकुचन का क्या मतलब होगा?
• स्विस ब्रोकरेज की अर्थशास्त्री तनवी गुप्ता जैन ने यह कहा है कि, UBS-इंडिया गतिविधि संकेतकों के आंकड़ों से यह पता चलता है कि जून, 2021 की तिमाही में आर्थिक गतिविधि में औसतन 12 प्रतिशत का संकुचन हुआ है, जबकि जून, 2020 की तिमाही में यह संकुचन 23.9 प्रतिशत था.
• उन्होंने आगे यह भी कहा कि, मई के अंतिम सप्ताह से कई राज्यों द्वारा स्थानीय गतिशीलता प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद, यह संकेतक सप्ताह-दर-सप्ताह 03 प्रतिशत बढ़कर 13 जून तक 88.7 तक पहुंच गया.
क्या भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकवरी होगी? यदि हां, तो यह कैसी दिखेगी?
• इस रिपोर्ट में आगे यह कहा गया है कि, इस 12 प्रतिशत संकुचन के साथ, अर्थव्यवस्था में पिछले साल के विपरीत इस बार तेज वी-आकार की रिकवरी नहीं होगी. इस बार उपभोक्ता मनोभाव बहुत कमजोर बने हुए हैं क्योंकि लोग पिछले वर्ष की तुलना में महामारी को लेकर अधिक दहशत में हैं.
• कोरोना वायरस महामारी की इस दूसरी लहर के दौरान भारत में लगाया गया लॉकडाउन पहली लहर के दौरान 2.5 महीने के लॉकडाउन की तुलना में थोड़ा कम समय तक चला लेकिन, इस बार सीमित निर्माण या औद्योगिक गतिविधियों की अनुमति थी.
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