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विश्वेश्वरी साधना के जाप पूर्ण होने के बाद देवी हमें ज्ञान किस | Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

विश्वेश्वरी साधना के जाप पूर्ण होने के बाद देवी हमें ज्ञान किस प्रकार प्रदान करती हैं। प्रत्यक्ष होकर या मानसिक रूप से। ये साधक से किस प्रकार जुड़ती है।

उत्तर - देवी विश्वेश्वरी साधना -

ज्ञान
और सूचना में अंतर है प्रत्यक्ष होके यदि कोई शब्दों के माध्यम से आपको कुछ बताएगा वह सूचना है ज्ञान नही और देवी के माध्यम से ज्ञान की प्राप्ति होती है जो की आन्तरिक रूप से होती है. देवी प्रत्यक्ष हो सकती हैं लेकिन उस स्थिति में भी ज्ञान आपको आन्तरिक ज्ञानमय कोष से प्राप्त होता न की शब्दों में.

शक्ति के साथ भाषा - दैवीय शकित्यों की कोई भाषा नही हो सकती है शक्तियां अधिकतर आपको ज्ञान काल चक्र के अनुसार प्रदान करती हैं उदाहरण हेतु आपको यह जानना है की शरीर में जीवन कैसे आता है तो आपको यह ज्ञान भौतिक शरीर से पूर्व कारण शरीर से भौतिक शरीर में जीवन आने की पूर्ण प्रक्रिया से प्राप्त होगा और वह आपको एक चल चित्र जैसा महसूस होगा.

देवी विश्वेश्वरी के माध्यम से आप नाना प्रकार का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं सृष्टि, तंत्र, मंत्र आदि से सम्बन्धित लेकिन समस्त ज्ञान को शब्दों में पिरोना आपकी अपनी बुद्धि एवं विवेक पर निर्भर करता है.

शक्ति का प्रत्यक्षीकरण - मनुष्य एक निर्धारित उर्जा पर कार्य करता है और शक्तियों की अपनी उर्जा है जिसमे वह रहती हैं जब मनुष्य की उर्जा उस उर्जा के बराबर हो जाती है वह मंत्र जप से हो या ध्यान से उस स्ठिती में वह शक्ति के दर्शन कर लेता है इसीलिए यह कहा जाता है की हमेशा अपनी उर्जा से अधिक उर्जा की शकित्यों को प्रत्यक्ष करना उचित है क्यूंकि वह मोक्ष का मार्ग खोलती है.

यदि निम्नलिखित भाग नही समझ में आता है उसके लिए साधक चिंतित न हों

उदाहरण हेतु -
मान लीजिये की आन्तरिक शरीर की उर्जा की यूनिट को हम "Q" मान लेते हैं , अर्थात जब आप कुछ नही कर रहे हैं तब आपके शरीर की उर्जा है Q लेकिन यह उर्जा 100Q तक जा सकती है (विभिन्न क्रिया के माध्यम से) जो की निराकार की उर्जा है और जिस शक्ति को आप प्रत्यक्ष करना चाहते हैं उसकी उर्जा की शक्ति है 6Q अर्थात जब आपकी शरीर की उर्जा 6Q होगी उस समय आप Q से 6 Q के बीच जितनी भी शक्तियाँ हैं उन्हें आप देख सकेंगे. अब 6Q तक जाने के लिए आपको मन्त्र जप एवं ध्यान करना है आप इसे १ दिन में भी प्राप्त कर सकते हैं और १ वर्ष में भी यह अब पूर्ण रूप आपके अनुशाशन, नियंत्रण एवं एकाग्रता पर निर्भर करता है.