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प्रणाम योगी जी आपसे एक बात पूछनी थी की सब वली संत फकीरों ने एक | Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

प्रणाम योगी जी
आपसे एक बात पूछनी थी की सब वली संत फकीरों ने एक मालिक, एक खुदा, एक रब या एक भगवान की ही सेवा भगति की है। सब संतो फकीरों ने भी कहा के सबका मालिक एक ही है। तो गुरू जी उस एक मालिक की सेवा भगति के लिए क्या करना चाहिए, के उसका आशीर्वाद मिले।
क्या गुरुमंत्र मालिक से मिलाप करवा सकता है

उत्तर -
कई बार कटु वाक्य सहयाद मनुष्य जो बेहतर समझने में लाभ दे सकते हैं, आज से पूर्व कम से कम मैंने गुरु की सत्यता के विषय में १०० बार बताया होगा लेकिन मनुष्य वर्तमान समय में सिर्फ सूचना के आधार पर जीवन यापन कर रहे हैं कोई नवीनता नही है जीवन में किसी संत ने ये कहा फ़कीर ने ये कहा ऋषि ने ये कहा ये सूचनाएँ सिर्फ अनेक ऑनलाइन सुनते और विडियो के माध्यम से देखते हैं लेकिन कभी स्वयं से कुछ जांच पड़ताल नही करते हैं की सच में कहा है या नही कहा है तो कहाँ कहा है बस भेड़ चाल में चलते रहते हैं इसी का कारण है की मनुष्य आज के समय में दुःख को प्राप्त करते हैं.

सनातन संस्कृति जिसमे मनुष्य के गोत्र के अनुसार देवी देवता कुल देवी देवता ग्राम देता स्थान देवता अथवा देवी प्रत्येक शरीर पर उपस्थित देवता आधारित हैं मनुष्य उन महा ऋषियों की कही गयी बातों को न समझते हुए न उनकी लेखनी का अध्ययन करते हुए वेड उपनिषद इनका शिक्षा प्राप्त न करते हुए बस ४ लाइन अथवा २ मिनट का विडियो सुन के देख के धारणा बना लेता है की इश्वर क्या है !

सर्वप्रथम यह समझें गुरु आध्यात्म में आज्ञा चक्र को कहते हैं और उसी के आधार पर मनुष्य अपने जीवन में नाना प्रकार की योगिक क्रिया से उस सत्य को जान पाता है - निराकार की सत्यता क्या है और निरकार ही सभी में साकार रूप से उपलब्ध हैं और यह जीवन ही पुनः साकार से निराकार की और जाने का है और निराकार की ओर जाने का पथ सिर्फ मन्त्र से नही जा सकता है, इसमें मन्त्र से कुछ लाभ अवश्य मिल सकता है लेकिन सिर्फ मन्त्र काफी नही है जिन संत ने इसके विषय में बताया है उन्होंने अपनी वर्षों की तपस्या का अंत बताया है आपको अपने जीवन का हर एक दिन नही बताया है.

संस्था से यदि आप गुरु मंत्र की इच्छा करते हैं संस्था में किसी प्रकार से गुरु मंत्र नही दिए जाते हैं आप महा वतार बाबा जी का मन्त्र जप कर सकते हैं - ॐ क्रिया बाबा जी नमः ॐ

क्या इस मन्त्र के जप से मनुष्य निरकार की सत्यता को जान पायेगा नही उसके लिए योग आवश्यक है क्रियायोग ध्यान का अभ्यास करें प्रत्येक माह पेड ग्रुप में क्रियायोग ध्यान एवं योगनिद्रा के विषय में जानकारी दी जाती है अथवा आप किसी भी आगामी शिविर में आके प्रत्यक्ष रूप से सीख सकते हैं.

अथवा साधक निशुल्क रूप से प्रत्येक रविवार दुपहर १ बजे से शाम ६ बजे के बीच आके सीख सकते हैं लखनऊ आश्रम अथवा कार्यालय में.