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नवीनतम संदेश 5

2021-04-26 06:33:51 आज का प्रेरक प्रसङ्ग

प्रेरक कथा :- हमें दूसरों पर निर्भर रहने वाला नहीं, दूसरों की मदद करने वाला इंसान बनने की कोशिश करनी चाहिए

पुराने समय में एक व्यक्ति बहुत आलसी था। वह कोई काम नहीं करता, बस इधर-उधर से किसी तरह खाने की व्यवस्था कर लेता था। एक दिन वह जंगल में घूम रहा था। तभी उसने देखा कि एक लोमड़ी लंगड़ाकर चल रही है। उसका एक पैर टूट गया था। लोमड़ी की ये हालत देखकर आलसी व्यक्ति सोच रहा था कि इस जंगल में अभी तक ये लोमड़ी जीवित कैसे है? इसका किसी ने शिकार नहीं किया, इसे खाने के लिए मांस कैसे मिलता होगा?

वह व्यक्ति लोमड़ी के पीछे-पीछे चलने लगा, ताकि उसे मालूम हो सके कि इसके खाने की व्यवस्था कैसे होती है? तभी उस व्यक्ति को शेर की दहाड़ सुनाई दी। वह डर गया और तुरंत ही एक ऊंचे पेड़ पर चढ़कर छिप गया। कुछ ही देर वहां शेर पहुंच गया। उसने मुंह में शिकार पकड़ रखा था। जब शेर लोमड़ी के सामने पहुंचा तो शेर के शिकार में से मांस का एक टुकड़ा गिर गया। शेर वहां चला गया तो लोमड़ी ने मांस का टुकड़ा खा लिया।

आलसी व्यक्ति ये सब देख रहा था। वह सोचने लगा कि भगवान कितना दयालु है। एक लोमड़ी के खाने की व्यवस्था भी भगवान कर रहे हैं। मैं भी पूजा-पाठ करता हूं तो भगवान मेरे लिए भी खाने की व्यवस्था जरूर करेगा। ये सोचकर वह अपने घर आ गया। घर आकर आलसी व्यक्ति बैठ गया और इंतजार करने लगा कि भगवान की कृपा से उसे भी खाना मिल जाएगा। बैठे-बैठे तीन दिन गुजर गए, लेकिन उसके खाने की व्यवस्था नहीं हो सकी। खाना न मिलने की वजह से वह बहुत कमजोर हो गया था। तभी उसके घर की ओर एक संत पहुंचे। आलसी व्यक्ति तुरंत ही संत के पास पहुंचा।

व्यक्ति ने संत को पूरी बात बता दी। संत ने उससे कहा कि भगवान ने तुम्हें इस घटना के माध्यम से एक बहुत बड़ा संदेश दिया है। तुम एक लोमड़ी की तरह बनना चाहते हो, लेकिन भगवान तुम्हें शेर की तरह बनाना चाहता है। तुम दूसरों पर निर्भर रहना चाहते हो और भगवान तुम्हें दूसरों की मदद करने वाला इंसान बनाना चाहता है। आलसी व्यक्ति को संत की बात समझ आ गई और उसके बाद उसने आलस्य छोड़ दिया और कर्म करने लगा।

सीख
- इस कथा की सीख यह है कि हमें दूसरों पर निर्भर रहने वाला नहीं, दूसरों की मदद करने वाला इंसान बनने की कोशिश करनी चाहिए। भगवान भी ऐसे लोगों की मदद करता है, जो दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
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2021-04-24 07:40:20 आज का प्रेरक प्रसंग

!! दिखावटीपन से बचें !!

एक व्यक्ति को किसी बड़े पद पर नौकरी मिल गयी। वह इस नौकरी से खुद को और बड़ा समझने लगा, लेकिन वह कभी भी खुद को बड़े पद के मुताबिक़ नहीं ढाल सका। एक दिन वह अपने ऑफिस में बैठा था, तभी बाहर से उसके दरवाजे को खटखटाने की आवाज आई। खुद को बहुत व्यस्त दिखाने के लिए उसनें टेबल पर रखे टेलीफोन को उठा लिया और जो व्यक्ति दरवाजे के बाहर खड़ा था उसे अन्दर आने के लिए कहा। वह अन्दर आकर इंतजार करने लगा, इस बीच कुर्सी पर बैठा अधिकारी फ़ोन पर चिल्ला-चिल्ला कर बात कर रहा था।

बीच-बीच में वह फोन पर कहता, कि मुझे वह काम जल्दी करके देना, टेलीफोन पर अपनी बातों को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बता रहा था। ऐसे ही कुछ मिनट तक बात करने के बाद उस आदमी ने फ़ोन रखा और सामने वाले व्यक्ति से उसके ऑफिस आने की वजह पूछी। उस आदमी ने अधिकारी को जवाब देते हुए कहा, “सर, मुझे बताया गया था कि 3 दिनों से आपके इस ऑफिस का टेलीफ़ोन ख़राब है और मैं इस टेलीफ़ोन को ठीक करने के लिए आया हूँ।”

शिक्षा:-

हमें कभी भी दिखावा नहीं करनी चाहिए। हम दिखावा करके क्या साबित करना चाहते हैं, इससे हम कभी भी कुछ हासिल नहीं कर सकते, हमें किसी के सामने झूठ बोलने की क्या जरूरत! दिखावा करके हम खुद की नजरों में कभी भी ऊपर नहीं उठ सकते। दिखावा करने से बचिए क्योंकि इससे लोग पीठ पीछे आपकी ही बुराई करेंगे। मुखौटा मत लगायें।

सदैव प्रसन्न रहिये,
जो प्राप्त है, पर्याप्त है।
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2021-03-28 13:23:31
अंत_भला_सो_सब_भला

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धन्यवाद
Team - Paperless Study
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2021-02-13 08:29:55
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2021-02-13 08:29:12 आज का प्रेरक प्रसङ्ग

!! बुराई करने वालों को जवाब देने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए !!

एक प्रचलित कथा के अनुसार किसी गांव में एक संत का आगमन हुआ। संत बहुत ही सरल स्वभाव के थे। उनके पास आने लोगों को ज्ञान की सही बातें बताते थे। इस कारण गांव में उनकी ख्याति काफी फैल गई थी। संत की प्रसिद्धि देखकर एक पंडित उनसे घृणा करने लगा। पंडित को डर था कि अगर संत के पास सभी लोग जाने लगेंगे तो उसका धंधा चौपट हो जाएगा। इसीलिए पंडित ने गांव में संत के लिए गलत बातें फैलाना शुरू कर दी। एक दिन संत के शिष्य को ये मालूम हुआ तो वह क्रोधित हो गया।

शिष्य तुरंत ही अपने गुरु के पास आया और बोला कि गुरुदेव वह पंडित आपके बारे झूठी बातें फैला रहा है। हमें उसे जवाब देना चाहिए। संत ने कहा कि तुम गुस्सा न करो, क्योंकि अगर उसे जवाब देंगे तो क्या ये बातें फैलना बंद हो जाएंगी? ये बातें तो होती रहेंगी। इसीलिए हमें उसे जवाब देने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। संत ने शिष्य को समझाया कि जब हाथी चलता है तो कुत्ते भौंकते ही हैं। अगर हाथी उन कुत्तों से लड़ने लगेगा तो उसका ही कद छोटा हो जाएगा, वह कुत्तों के समान माना जाएगा। इसीलिए हाथी कुत्तों के भौंकने पर ध्यान नहीं देता है। वह आराम से अपने रास्ते चलते रहता है। ये बातें सुनकर शिष्य का क्रोध शांत हो गया।

कथा की सीख :-

इस कथा की सीख यह है कि हमें बुराई करने वालों को जवाब देने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने पर हमारा ही नुकसान है। हमें सिर्फ अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। बुराई करने वाले लोग कभी शांत नहीं हो सकते हैं। इसीलिए ऐसी बातों पर क्रोधित नहीं होना चाहिए।

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2021-02-12 07:02:45

आज का प्रेरक प्रसंग

!! बूढ़े गिद्ध की सलाह !!


एक बार गिद्धों का झुण्ड उड़ता-उड़ता एक टापू पर जा पहुँच. वह टापू समुद्र के बीचों-बीच स्थित था. वहाँ ढेर सारी मछलियाँ, मेंढक और समुद्री जीव थे. इस प्रकार गिद्धों को वहाँ खाने-पीने को कोई कमी नहीं थी. सबसे अच्छी बात ये थी कि वहाँ गिद्धों का शिकार करने वाला कोई जंगली जानवर नहीं था. गिद्ध वहाँ बहुत ख़ुश थे. इतना आराम का जीवन उन्होंने पहले देखा नहीं था.

उस झुण्ड में अधिकांश गिद्ध युवा थे. वे सोचने लगे कि अब जीवन भर इसी टापू पर रहना है. यहाँ से कहीं नहीं जाना, क्योंकि इतना आरामदायक जीवन कहीं नहीं मिलेगा.

लेकिन उन सबके बीच में एक बूढ़ा गिद्ध भी था. वह जब युवा गिद्धों को देखता, तो चिंता में पड़ जाता. वह सोचता कि यहाँ के आरामदायक जीवन का इन युवा गिद्धों पर क्या असर पड़ेगा? क्या ये वास्तविक जीवन का अर्थ समझ पाएंगे? यहाँ इनके सामने किसी प्रकार की चुनौती नहीं है. ऐसे में जब कभी मुसीबत इनके सामने आ गई, तो ये कैसे उसका मुकाबला करेंगे?

बहुत सोचने के बाद एक दिन बूढ़े गिद्ध ने सभी गिद्धों की सभा बुलाई. अपनी चिंता जताते हुए वह सबसे बोला, “इस टापू में रहते हुए हमें बहुत दिन हो गए हैं. मेरे विचार से अब हमें वापस उसी जंगल में चलना चाहिए, जहाँ से हम आये हैं. यहाँ हम बिना चुनौती का जीवन जी रहे हैं. ऐसे में हम कभी भी मुसीबत के लिए तैयार नहीं हो पाएंगे.”

युवा गिद्धों ने उसकी बात सुनकर भी अनसुनी कर दी. उन्हें लगा कि बढ़ती उम्र के असर से बूढ़ा गिद्ध सठिया गया है. इसलिए ऐसी बेकार की बातें कर रहा है. उन्होंने टापू की आराम की ज़िन्दगी छोड़कर जाने से मना कर दिया.

बूढ़े गिद्ध ने उन्हें समझाने की कोशिश की, “तुम सब ध्यान नहीं दे रहे कि आराम के आदी हो जाने के कारण तुम लोग उड़ना तक भूल चुके हो. ऐसे में मुसीबात आई, तो क्या करोगे? मेरे बात मानो, मेरे साथ चलो.”

लेकिन किसी ने बूढ़े गिद्ध की बात नहीं मानी. बूढ़ा गिद्ध अकेला ही वहाँ से चला गया. कुछ महीने बीते. एक दिन बूढ़े गिद्ध ने टापू पर गये गिद्धों की ख़ोज-खबर लेने की सोची और उड़ता-उड़ता उस टापू पर पहुँचा.

टापू पर जाकर उसने देखा कि वहाँ का नज़ारा बदला हुआ था. जहाँ देखो, वहाँ गिद्धों की लाशें पड़ी थी. कई गिद्ध लहू-लुहान और घायल पड़े हुए थे. हैरान बूढ़े गिद्ध ने एक घायल गिद्ध से पूछा, “ये क्या हो गया? तुम लोगों की ये हालात कैसे हुई?”

घायल गिद्ध ने बताया, “आपके जाने के बाद हम इस टापू पर बड़े मज़े की ज़िन्दगी जी रहे थे. लेकिन एक दिन एक जहाज़ यहाँ आया. उस जहाज से यहाँ चीते छोड़ दिए गए. शुरू में तो उन चीतों ने हमें कुछ नहीं किया. लेकिन कुछ दिनों बाद जब उन्हें आभास हुआ कि हम उड़ना भूल चुके हैं. हमारे पंजे और नाखून इतने कमज़ोर पड़ गए हैं कि हम तो किसी पर हमला भी नहीं कर सकते और न ही अपना बचाव कर सकते हैं, तो उन्होंने हमें एक-एक कर मारकर खाना शुरू कर दिया. उनके ही कारण हमारा ये हाल है. शायद आपकी बात न मानने का ये फल हमें मिला है.”

शिक्षा:-

मित्रों" अक्सर कम्फर्ट जोन में जाने के बाद उससे बाहर आ पाना मुश्किल होता है. ऐसे में चुनौतियाँ आने पर उसका सामना कर पाना आसान नहीं होता. इसलिए कभी भी कम्फर्ट ज़ोन में जाकर ख़ुश न हो जाएँ. ख़ुद को हमेशा चुनौती देते रहे और मुसीबत के लिए तैयार रहें. जब तब आप चुनौती का सामना करते रहेंगे, आगे बढ़ते रहेंगे.

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2021-02-12 07:01:45 आज की प्रेरणा

जीवन एक यात्रा है,
इसे जबरदस्ती तय न करें,
इसे जबरदस्त तरीके से तय करें।

*आज से हम* जीवन के हर कदम को जबरदस्त तरीके से और खुशी-खुशी पार करें...

TODAY'S INSPIRATION

Life is a journey.
Do not cover it forcefully.
Cover it tremendously!

*TODAY ONWARDS LET'S* cover every step of our life tremendously and happily..

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2021-02-08 08:41:43 आज की प्रेरणा

दूसरों के लिए सब कुछ करते भी उनसे कुछ पाने की इच्छा न रखते हुए, हम “मन की शांति” रूपी सबसे खूबसूरत तोहफा स्वयं को दे सकते हैं।

आज से हम स्वयं को मन की शांति का तोहफा दें...

TODAY'S INSPIRATION

“Peace of mind” is a beautiful gift, which we can give to ourselves, just by expecting nothing from anyone, even after doing everything for them!

*TODAY ONWARDS LET'S* give ourselves the gift of peace of mind…

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2021-02-05 22:30:40 छाता बारिश नहीं रोक सकता
परन्तु बारिश में खड़े रहने का
हौसला अवश्य देता है।

उसी तरह आत्मविश्वास
सफलता की गारन्टी तो नहीं देता,
परन्तु सफलता के लिए
संघर्ष करने की प्रेरणा अवश्य देता है।


क्या फर्क पड़ता है,
हम किसी को जानें न जानें!

वो हमें जानतें हैं,
ये क्या कम है!!


हथौड़ा_और_चाबी

Short Hindi Stories With Moral
नैतिक शिक्षा देती हिंदी कहानी


शहर की तंग गलियों के बीच एक पुरानी ताले की दूकान थी। लोग वहां से ताला-चाबी खरीदते और कभी-कभी चाबी खोने पर डुप्लीकेट चाबी बनवाने भी आते। ताले वाले की दुकान में एक भारी-भरकम हथौड़ा भी था जो कभी-कभार ताले तोड़ने के काम आता था।

हथौड़ा अक्सर सोचा करता कि आखिर इन छोटी-छोटी चाबियों में कौन सी खूबी है जो इतने मजबूत तालों को भी चुटकियों में खोल देती हैं जबकि मुझे इसके लिए कितने प्रहार करने पड़ते हैं?

एक दिन उससे रहा नहीं गया, और दूकान बंद होने के बाद उसने एक नन्ही चाबी से पूछा, “बहन ये बताओ कि आखिर तुम्हारे अन्दर ऐसी कौन सी शक्ति है जो तुम इतने जिद्दी तालों को भी बड़ी आसानी से खोल देती हो, जबकि मैं इतना बलशाली होते हुए भी ऐसा नहीं कर पाता?”

चाबी मुस्कुराई और बोली,

दरअसल, तुम तालों को खोलने के लिए बल का प्रयोग करते हो…उनके ऊपर प्रहार करते हो…और ऐसा करने से ताला खुलता नहीं टूट जाता है….जबकि मैं ताले को बिलकुल भी चोट नहीं पहुंचाती….बल्कि मैं तो उसके मन में उतर कर उसके हृदय को स्पर्श करती हूँ और उसके दिल में अपनी जगह बनाती हूँ। इसके बाद जैसे ही मैं उससे खुलने का निवेदन करती हूँ, वह फ़ौरन खुल जाता है।

दोस्तों, मनुष्य जीवन में भी ऐसा ही कुछ होता है। यदि हम किसी को सचमुच जीतना चाहते हैं, अपना बनाना चाहते हैं तो हमें उस व्यक्ति के हृदय में उतरना होगा। जोर-जबरदस्ती या forcibly किसी से कोई काम कराना संभव तो है पर इस तरह से हम ताले को खोलते नहीं बल्कि उसे तोड़ देते हैं ….यानि उस व्यक्ति की उपयोगिता को नष्ट कर देते हैं, जबकि प्रेम पूर्वक किसी का दिल जीत कर हम सदा के लिए उसे अपना मित्र बना लेते हैं और उसकी उपयोगिता को कई गुना बढ़ा देते हैं।

इस बात को हमेशा याद रखिये-

हर एक चीज जो बल से प्राप्त की जा सकती है उसे प्रेम से भी पाया जा सकता है लेकिन हर एक जिसे प्रेम से पाया जा सकता है उसे बल से नहीं प्राप्त किया जा सकता।

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2021-02-03 04:30:02 बहाने V/S सफलता

1. मुझे उचित शिक्षा लेने का अवसर नही मिला...!
उचित शिक्षा का अवसर फोर्ड मोटर्स के मालिक हेनरी फोर्ड को भी नही मिला ।
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2. मैं इतनी बार हार चुका , अब हिम्मत नही...!
अब्राहम लिंकन 15 बार चुनाव हारने के बाद राष्ट्रपति बने।
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3.मै अत्यंत गरीब घर से हूँ ...!
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भी गरीब घर से थे ।
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4.बचपन से ही अस्वस्थ था...!
आँस्कर विजेता अभिनेत्री मरली मेटलिन भी बचपन से बहरी व अस्वस्थ थी ।
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5.मैने साइकिल पर घूमकर आधी ज़िंदगी गुजारी है...!
निरमा के मालिक करसन भाई पटेल ने भी साइकिल पर निरमा बेचा और एम डी एच के ताउ ने टांगे पर मसाला बेचा और ज़िंदगी गुजारी ।
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6.एक दुर्घटना मे अपाहिज होने के बाद मेरी हिम्मत चली गयी...!
प्रख्यात नृत्यांगना सुधा चन्द्रन को देख लो इनके पैर नकली है ।
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7.मुझे बचपन से मंद बुद्धि कहा जाता है...!
थामस अल्वा एडीसन को भी बचपन से मंदबुद्धि कहा जता था।
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8.बचपन मे ही मेरे पिता का देहाँत हो गया था...!
प्रख्यात संगीतकार ए.आर.रहमान के पिता का भी देहांत बचपन मे हो गया था।
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9.मुझे बचपन से परिवार की जिम्मेदारी उठानी पङी...!
लता मंगेशकर को भी बचपन से परिवार की जिम्मेदारी उठानी पङी थी।
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10.मेरी लंबाई बहुत कम है...!
सचिन तेंदुलकर की भी लंबाई कम है।
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11.मै एक छोटी सी नौकरी करता हूँ ...!
इससे क्या होगा... धीरु अंबानी भी छोटी नौकरी करते थे।पम्प पे तेल भरने की |
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12.मेरी कम्पनी एक बार दिवालिया हो चुकी है , अब मुझ पर कौन भरोसा करेगा...!
दुनिया की सबसे बङी शीतल पेय निर्माता पेप्सी कोला भी दो बार दिवालिया हो चुकी है ।
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13.मेरा दो बार नर्वस ब्रेकडाउन हो चुका है , अब क्या कर पाउँगा...!
डिज्नीलैंड बनाने के पहले वाल्ट डिज्नी का तीन बार नर्वस ब्रेकडाउन हुआ था।
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14.मेरी उम्र बहुत ज्यादा है....!
विश्व प्रसिद्ध केंटुकी फ्राइड चिकेन के मालिक ने 60 साल की उम्र मे पहला रेस्तरा खोला था।
अभिताभ ने अपनी पहली फिलम 27 की उम्र में बनाई थी.
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15.मेरे पास बहुमूल्य आइडिया है पर लोग अस्वीकार कर देते है...!
जेराँक्स फोटो कापी मशीन के आईडिया को भी ढेरो कंपनियो ने अस्वीकार किया था पर आज परिणाम सामने है ।
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16.मेरे पास धन नही...!
इन्फोसिस के पूर्व चेयरमैन नारायणमूर्ति के पास भी धन नही था उन्हे अपनी पत्नी के गहने बेचने पङे।

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