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Motivation PaperLess Study

टेलीग्राम चैनल का लोगो motivation_paperlessstudy — Motivation PaperLess Study M
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श्रेणियाँ: मनोविज्ञान
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नवीनतम संदेश 3

2021-07-04 13:54:36
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2021-07-04 13:54:28
402 views10:54
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2021-07-02 21:55:10 काम ऐसा करो कि
तुम्हें अपने पैदा होने पर गर्व हो

इस दुनिया में हर इंसान के अंदर कुछ करने की क्षमता होती है... कोई किसी से कम नही होता है..कोई भी इंसान अगर full devotion के साथ किसी चीज को करने पर लग जाये तो...निश्चय ही एक न एक दिन कर लेगा...लेकिन इसे करने के लिए आपके अंदर एक emotion का होना जरूरी है...

आपको सफल होना है तो आपके अंदर एक ऐसा emotion होना चाहिए..जो उस कार्य को करने के लिए आपको मजबूर कर दे.. जिस देश में करीब 20 करोड़ लोग हर रोज भूखे पेट सोने के लिए मजबूर हैं।

और जिस देश में हर रोज़ महिलाएं किसी ना किसी अपराध का शिकार होती हैं...तो मुझे नही लगता उस देश के युवा के पास इससे बड़ा भी कोई emotion ढूँढना पड़े..रूह-रूह में जो आग लगा दे ऐसा emotion को ढूंढ लो.
और जिस दिन आपके अंदर वो emotion पैदा हो गया न..तो यकीन मानो...दिन-रात को एक कर दोगे पढ़ते पढ़ते...ये मोटी मोटी किताबे रट्टा मार जाओगे..जब ऐसा emotion पैदा हो जायेगा तो आपको sandeep maheshwari का video नही देखना पड़ेगा...
खुद ब खुद करने लगोगे ...emotion में बहुत ताकत होती है.. जिस पहाड़ को काटने के लिए बड़े बड़े मशीनों की जरूरत होती है....उस कार्य को दशरथ मांझी ने केवल छेनी हथौड़ा से काट डाला था..

जानते है कैसे ?
क्योकि उनके पास एक emotion था की मुझे हर हालात में इसे काट कर गिराना है..पहाड़ काटने के क्रम में बार बार वे खून से लथपथ होकर जख्मी हुए.. लेकिन उनके मुँह से एक ही शब्द निकलता था...जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं...बार बार पहाड़ो के तरफ देख कर कहते थे बहुतै बड़ा दंगल चलेगा रे हमार तोहार.....
कड़ी धूप,सर्दी,बरसात में भी वे डटे रहे..और अंततः विशाल पहाड़ का सीना चीर कर रास्ता बना डाले...
तो चलो

ढूंढो अपने आप में ऐसा emotion जो तुम्हे इतिहास रचने को विवश कर दे ...वो आग पैदा करो अपने अंदर जिसकी चिंगारिया तुम्हे मंसूरी तक ले जायेगी.. सोचो मत ठोक दो जी जान ...सफलता तुम्हारे पास है.. बढ़ाओ।।
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2021-07-02 16:38:11
ये है कर्नाटक की 51 वर्षीय "गौरी नायक"
जिन्होंने बिना किसी मदद के रोज अकेले 6 घण्टे मेहनत कर के 6 महीने में अपने खेत मे लगे पौधों को पानी देने के लिए 60 फुट गहरे दो कुँए खोद डाले आज उन्हें इस मेहनत की वजह से "लेडी भागीरथ" के नाम से जाना जाता है
नमन है इस साहसी महिला को
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2021-06-30 06:26:41
सुप्रभात
513 views03:26
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2021-06-30 06:20:14 कहानी - भगवान श्रीकृष्ण बचपन में माखन चोरी की लीला किया करते थे। माखन चोरी से परेशान होकर गोकुल के बहुत सारे लोग नंद बाबा और यशोदा के सामने कृष्ण की शिकायत करते थे।

एक दिन नंद बाबा ने विचार किया कि ये सब कृष्ण का सिर्फ खेल है या इसके पीछ कोई और विचार है? नंद बाबा ने सभी के सामने कृष्ण से पूछा, 'तुम माखन चोरी क्यों करते हो? हमारे घर में किसी चीज की कमी नहीं है तो फिर दूसरों की मटकियां क्यों फोड़ते हो?'

कृष्ण ने कहा, 'आप लोग अपनी मेहनत और ईमानदारी से दूध, दही, घी, माखन तैयार करते हैं और फिर ये चीजें कर (टैक्स) के रूप में कंस जैसे दुष्ट राजा को दे देते हैं। इस तरह दुष्ट सत्ता कैसे समाप्त होगी? प्रजा अपनी ईमानदारी और परिश्रम का फल श्रेष्ठ राजा को दे तो समझ आता है। अगर आप कंस को कर देना नहीं रोकेंगे तो मैं चोरी और तोड़-फोड़ करता रहूंगा, ताकि आप लोग ये विचार करें कि कंस को कर देना अच्छी बात नहीं है।'

सीख - कृष्ण ने बचपन में ही ये सीख दे दी है कि हमें अपनी ईमानदारी और परिश्रम से कमाई गई धन-संपत्ति दुष्ट लोगों को नहीं देनी चाहिए। हम ऐसी मेहनत न करें, जिससे किसी बुरे व्यक्ति को लाभ मिलता है। ऐसा करने से बुरे लोगों की ताकत बढ़ती है। इसलिए ईमानदारी और मेहनती व्यक्ति को भी सतर्क रहना चाहिए।
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2021-06-27 12:48:22
402 views09:48
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2021-06-27 12:47:57 भारतीय ट्रैक-फ़ील्ड की रानी ' पी. टी. उषा' का जन्म केरल के कोज़िकोड में 27 जून 1964 को एक गरीब परिवार में हुआ था। बचपन से ही उनकी शारीरिक बनावट एक एथलिट की भाँति थी, लम्बी टांगें और फुर्तीला शरीर, वे घर के किसी भी काम को एकदम फुर्ती से करती थी और हर वक़्त भागती दौड़ती रहती थी। जब वे चौथी कक्षा में थीं तो उन्हें सातवीं कक्षा की चैम्पीयन छात्रा से रेस करने का मौक़ा मिला, इस रेस को जीतने से उनका आत्मविश्वास जाग गया और उनकी रुचि खेलों में हो गयी। 1976 में वहाँ एक खेल विद्यालय खुला तो इन्हें अपने ज़िले का प्रतिनिधि चुना गया, जिससे हर महीने 250 रुपये की छात्रवृति और पौष्टिक भोजन उन्हें मिलने लगा। 1979 में उन्होंने राष्ट्रीय विद्यालय खेलों में भाग लिया और 1980 के मास्को ओलम्पिक में भी गयीं, पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायीं, फिर 1982 के एशियाड खेलों में उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीते। राष्ट्रीय स्तर पर कई सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दोहराने के साथ 1984 के लांस एंजेल्स ओलंपिक में चौथा स्थान प्राप्त करने वाली भारत की पहली महिला धाविका बनने का गौरव प्राप्त किया। जकार्ता एशियन चैंम्पियनशिप में स्वर्ण पदक लेकर खुद को प्रूव किया, ‘ट्रैक एंड फ़ील्ड स्पर्धाओं’ में लगातार 5 स्वर्ण पदक एवं एक रजत पदक जीतकर वह एशिया की सर्वश्रेष्ठ धाविका बन गयीं। उषा ने अब तक 102 अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं। 1984 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार व पद्मश्री से सम्मानित किया गया। दृढ़ इच्छाशक्ति और परिश्रम के बल पर अपना स्थान बनाने वाली इस सर्वश्रेष्ठ धाविका को उनके जन्मदिन की हार्दिक बधाइयाँ !
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2021-06-26 07:16:28
नाम राहुल रोहिला ।
खेल- 20km पैदल चाल।


पिता जी इलेक्ट्रीशियन है, पंखे रिपेयर का काम करते है। माता पिता के बीमार रहते, उनकी दवाई पर बहुत खर्च होने के कारण राहुल ने एक समय खेल छोड़ दिया था । दोबारा मेहनत कर 2017 में खेल कोटे से सेना में भर्ती हुए। आज अपनी इच्छा शक्ति और मेहनत के बलबूते पर ओलंपिक्स में खेलने जाएंगे। हरियाणा के इस सपूत के जज्बे को सलाम।
#InspirationalStories #Sports
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2021-06-20 10:55:58 जब जाना ही दूर तलब हैं,
तो फिर पछताना कितना गलत है।


~ PaperLess Study

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