2021-07-25 06:16:04
लिपि मुख्य दो प्रकार की होती है –
चित्रलिपि तथा ध्वनि लिपि।
1. चित्रलिपि का प्रत्येक चित्र सीधे अर्थ से जुड़ा होता है।
यानी चित्रलिपि के प्रत्येक चित्र का अपना अर्थ होता है।
चित्रलिपि सीधे अर्थ को अंकित करती है।
चीनी, जापानी, कोरियाई भाषाओं की लिपियाँ चित्रलिपियाँ हैं।
2. परंतु ध्वनिलिपि में लिपि-चिह्नों का अर्थ से सीधा कोई संबंध नहीं होता।
यानी ध्वनिलिपि में लिपि-चिह्नों का अपना कोई अर्थ नहीं होता।
वे सिर्फ भाषा-ध्वनियों को अंकित करते हैं।
फिर अर्थहीन ध्वनियों के मेल से अर्थवान् शब्द बनते हैं।
ध्वनि-लिपि भी दो प्रकार की होती है –
1. ध्वन्यात्मक लिपि
2. अक्षरात्मक लिपि
इन दोनों में क्या अंतर है?
ध्वन्यात्मक लिपि के व्यंजन वर्ण स्वर-रहित होते हैं।
जबकि अक्षरात्मक लिपि के व्यंजन वर्ण स्वर युक्त होते हैं।
ध्वन्यात्मक लिपि का नमूना रोमन लिपि है।
भारतीय भाषाओं की लिपियाँ अक्षरात्मक लिपियाँ हैं।
कैसे?
देवनागरी में ‘क’ का मतलब होता है – क्+अ।
यानी क में अ निहित है। इसी अ को हम अंतर्निहित अ कहते हैं।
देवनागरी के सभी व्यंजन वर्ण ऐसे ही हैं।
परंतु रोमन में K का मतलब सिर्फ क् होता है।
देवनागरी में क म ल वर्णों को जोड़ कर हम कमल तथा कलम शब्द बना लेते हैं।
परंतु रोमन में ऐसा नहीं है।
रोमन में k m l को जोड़ कर कमल (kml) तथा कलम (klm) शब्द नहीं बन सकते।
कारण कि रोमन के k m l के साथ अ (a) स्वर नहीं है। वे सिर्फ व्यंजन हैं।
देवनागरी की तरह स्वर युक्त व्यंजन नहीं हैं।
रोमन में कमल शब्द लिखने के लिए प्रत्येक व्यंजन वर्ण (लेटर) के साथ अ स्वर के लिए a लिखना पड़ता है।
Kamal
इस उदाहरण से ध्वन्यात्मक लिपि रोमन तथा अक्षरात्मक लिपि देवनागरी में अंतर स्पष्ट होता है।
270 viewsकिरण हिंदी विद्यार्थी , 03:16