2021-07-28 06:09:26
‘शब्द-सामर्थ्य-26’
10 ऐसे शब्द जो अमूमन गलत लिखे जाते हैं ।
मैं जिन शब्दों को व्याकरण के नियमों के आधार पर आज अमानक और अशुद्ध बताने जा रहा हूँ , वे प्रयोग में खूब हैं ,इसलिए शायद आप चौंक जाएँ । अनुरोध बस इतना है कि क्या सही है - यह देखें और मनन करें ; यूँ ही यहाँ लिखा है या वहाँ लिखा है जैसे कमजोर तर्कों से बतबढ़ाव ( साधारण या व्यर्थ की बात पर होने वाला झगड़ा या विवाद) कर झमेलिया ( झमेला करने वाला) का विशेषण अपने ऊपर चस्पा न करें !
आइए, देखते हैं :
पूज्यनीय - जो पूजने के योग्य है ,वह पूज्य है या पूजनीय है। इसका अर्थ हुआ कि पूज्य का अर्थ है पूजने योग्य , अतः इसमें अलग से नीय शब्द लगाना ग़लत है। पूजास्पद का भी यही अर्थ है। इस शब्द का भी प्रयोग करें !
मानवीयता -मानव से मानवीय शब्द बनेगा या मानवता । मानवता मानव का समास है -मानव होने का गुण है, मनुष्य का धर्म है (humanity) । मानवीयता शब्द में ईता प्रत्यय बेकार है। या तो मानवता लिखें या मानवीय ।
नैपुण्यता - निपुण से निपुणता बनेगा या नैपुण्य । कई जगह नैपुण्यता लिखा देखता हूँ तो सोचता हूँ लिखने वाले सोचते क्यों नहीं ?
उत्कर्षता - इस शब्द में भी ता प्रत्यय अनावश्यक है। उत्कर्ष का यही अर्थ है।
साम्यता - यह भी धड़ल्ले से लिखा जाता है , लेकिन ग़लत शब्द है। साम्य (resemblance) का अर्थ ही है -समानता (फिर साम्य में ता क्यों ?) । साम्य लिखें या समानता लिखें , बस साम्यता न लिखें !
सम्पर्कित - जो संपर्क में है वह संपृक्त है, सम्पर्कित नहीं ।
व्यापित : जो व्यापा हुआ है वह व्याप्त है , व्यापित नहीं ।
संयमित : जो संयम से रहे वह संयत है, संयमित नहीं । संयमित जीवन नहीं, संयत जीवन । उसने संयत स्वर में कहा । (संयमित स्वर में नहीं ।)
अनुवाद से अनुवादित लिखने की गलती तो कम ही लोग करते हैं , पर अनूदित को अनुदीत लिखने वाले कम नहीं मिलते । अनूदित ही प्रयोग करें ।
निर्दयी - यह भी एक अशुद्ध शब्द है। जिसमें दया न हो, वह निर्दय है। अलग से ई प्रत्यय लगाने की आवश्यकता नहीं है।
# नोट: ‘बतबढ़ाव’ और ‘झमेलिया’ अनेक शब्दों के लिए एक शब्द के रूप में प्रयुक्त हुए हैं । इनका प्रयोग करें । साथ ही, दसों शब्दों के मानक रूप ही प्रयोग करें ।
आप सबको प्रणाम !
आपका ही,
कमल
501 viewsLokendra Singh Rathore, 03:09