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Hindi Grammer Quiz

टेलीग्राम चैनल का लोगो hindi_grammar_quiz — Hindi Grammer Quiz H
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नवीनतम संदेश 12

2021-05-07 16:35:04 वस्तुनिष्ट प्रश्नोतर जो गाइडों में नहीं मिलेंगे।
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सभी हिंदी प्रतियोगियों के लिए महत्वपूर्ण

1. ’कवि बिआस रस कौला पूरी। दूरहि नियर नियर भा दूरी।।’ किस कवि की पंक्ति है?
(अ) उसमान (ब) सुन्दरदास
(स) जायसी (द) मंझन

2. ’रस गगन गुफा में अजर झरै’ किसकी उक्ति है?
(अ) जायसी (ब) कबीर
(स) सूरदास (द) सुन्दरदास

3. ’केसब कह न जाइ का कहिये’ किसकी पंक्ति है?
(अ) कुंभनदास (ब) चतुर्भुज दास
(स) तुलसीदास (द) केशवदास

4. ’सुरति’ से आशय है-
(अ) उन्माद (ब) विरक्ति
(स) ध्यान (द) आनन्द का अनुभव

5. रामानुजाचार्य के शिष्य का नाम बताएं –
(अ) कबीर (ब) चंडीदास
(स) रामानंद (द) हरिदास

6. वल्लभाचार्य ने किसकी उपासना पर जोर दिया?
(अ) बलराम (ब) कृष्ण
(स) राम (द) ब्रह्मा

7. कबीर किस धारा के प्रमुख कवि हैं?
(अ) प्रेमाश्रयी शाखा (ब) राम भक्ति शाखा
(स) कृष्ण भक्ति शाखा (द) ज्ञानाश्रयी शाखा
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726 views𝙿 𝙺, 13:35
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2021-05-07 14:51:01 वस्तुनिष्ट प्रश्नोतर जो गाइडों में नहीं मिलेंगे।
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#Hindi #MCQ

1. राजस्थानी भाषा का उद्भव जिस क्षेत्रीय अपभ्रंश से हुआ, उसका नाम है-
मगधी अपभ्रंश शौरसेनी अपभ्रंश
महाराष्ट्री अपभ्रंश ब्राचड़ अपभ्रंश

2.भरत के अनुसार रसों की संख्या है-
11 10 9 8

3.निम्नलिखित में से कौन संचारी भाव नहीं है-
स्वरभंग अवहित्था
उन्माद व्याधि

4.’वाक्य रसात्मक काव्यम्’ किसका सूत्र है?
आनन्दवर्द्धन मम्मट
जगन्नाथ विश्वनाथ

5.काव्य में कल्पना सिद्धांत के प्रतिपादक थे-
प्लेटो अरस्तू
कॉलरिज टी एस इलियट

6.किस आलोचक ने आलोचना को मनोविज्ञान की शाखा कहा है?
प्लेटो अरस्तू
लौंजाइनस रिचर्ड्स

7.भट्टनायक का ‘भुक्तिवाद’ किस दर्शन पर आधारित है?
मीमांसादर्शन शैवदर्शन
न्यायदर्शन सांख्यदर्शन

8.’दशरूपक’ किस प्रकार का ग्रंथ है?
भाषा विज्ञान संबंधी इतिहास संबंधी
नाट्य संबंधी काव्य संबंधी

9. आलंबन और उद्दीपन विभावों के कारण उत्पन्न भावों को बाहर प्रकाशित करने वाले कार्य कहलाते हैं-
विभाव अनुभाव
संचारीभाव स्थायीभाव

10.वीर रस का स्थायी भाव है-
क्रोध शोक उत्साह जुगुप्सा

11. जहां एक व्यंजन की आवर्ती एक या अनेक बार हो, वहां होता है-
छेकानुप्रास अलंकार वृत्यनुप्रास अलंकार
लाटानुप्रास अलंकार यमक अलंकार

12. जहां उपमेय में उपमान की संभावना की जाए, वहां होता है-
उपमा अलंकार रूपक अलंकार
उत्प्रेक्षा अलंकार अतिशयोक्ति अलंकार

13. निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता लोकसाहित्य में नहीं होती?
इसमें शास्त्रीयता होती है
यह मौखिक होती है
यह परंपरा में प्रचलित रहता है
इसमें सहजता और स्वभाविकता होती है

14.” एक म्यान में दो तलवारें कभी नहीं रह सकती है किसी और पर प्रेम नारियां पति का, क्या सह सकती हैं?
इस में अलंकार हैं-
विरोधाभास अतिशयोक्ति
दृष्टांत व्यतिरेक

15. साहित्य में दलित रचनाकार का पहला बड़ा और कारगर हस्तक्षेप किस भाषा में हुआ है?
हिंदी मराठी
गुजराती राजस्थानी
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1. B/ 2. D/ 3. A/ 4. D/ 5. C/

6. D/ 7. D/ 8. C/ 9. B/ 10. C

11. B/ 12. C/ 13. A/ 14. C/ 15. B
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763 views𝙿 𝙺, 11:51
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2021-05-07 13:50:09
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695 views𝙿 𝙺, 10:50
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2021-05-07 12:50:01 हिन्दी भाषा एवं साहित्य
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✦ आज के लिए प्रश्नोत्तर सीरीज़ : 89
✦ टॉप 5 MCQs प्रश्नोतर
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1. निम्नलिखित में से किसमें स्वर सन्धि है?

अधोसुख सज्जन
वाग्जाल महोदधि

2. 'बहाव' शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय कौन-सा है?

बह हाव आव आवा

3. 'कोर्ट मार्शल' नाटक समाज की किस समस्या पर आधारित है?

जातिवाद नारी शोषण
युद्ध की समस्या साम्प्रदायिकता

4. 'परमेश्वर' में कौन-सा समास है?

द्वन्द्व कर्मधारय
तत्पुरुष अव्ययीभाव

5. 'निम्न में से 'असुर' का पर्यायवाची नहीं है-

दनुज दानव दैत्य यक्ष
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उत्तर : D C A B D
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अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें।
720 views𝙿 𝙺, 09:50
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2021-05-07 09:00:09 (संज्ञा की परिभाषा)

संसार के किसी भी प्राणी, वस्तु, स्थान, जाति या भाव, दशा आदि के नाम को संज्ञा (Sangya) कहते हैं|

निम्नलिखित उदाहरण से हम संज्ञा तथा उनके प्रकार आसानी से समझ सकते हैं-
भारत एक विकासशील देश है
नरेन्द्र मोदी भारत के सजग नेता हैं
गंगा एक पवित्र नदी है
कुरान मुसलमानों का पवित्र ग्रन्थ है
आज मोहन बहुत खुश है.
त्योहार हमारे घर खुशियां लाता है.
क्रिकेट भारत का लोकप्रिय खेल है.
मोहन रोज़ दो गिलास दूध और चार अंडे खाता है

ऊपर लिखे वाक्यों में सभी चिन्हित शब्द संज्ञा के किसी ना किसी प्रकार हैं.
भारत– देश का नाम
नरेन्द्र मोदी, मोहन – व्यक्ति का नाम
गंगा – नदी का नाम
कुरान – ग्रन्थ का नाम
मुसलमानों – विशेष समुदाय का नाम
ग्रन्थ – किताब की विशेष श्रेणी का नाम
क्रिकेट – खेल का नाम
गिलास – बर्तन का नाम
दूध, अंडा – खाद्य पदार्थ का नाम
खुशियां – विशेष मनः स्थिति (भाव) का नाम

संज्ञा के भेद – :

1 . व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyakti Vachak Sangya)- गुलाब, दिल्ली, इंडिया गेट, गंगा, राम आदि
2 . जातिवाचक संज्ञा (Jativachak Sangya) – गधा, क़िताब, माकन, नदी आदि

3. भाववाचक संज्ञा -(Bhav Vachak Sangya) सुंदरता, इमानदारी, प्रशन्नता, बईमानी आदि

जातिवाचक संज्ञा के दो उपभेद हैं –
4. द्रव्यवाचक संज्ञा (Dravya Vachak Sangya) तथा
5. समूहवाचक संज्ञा (Samuh Vachak Sangya).
इन दो उपभेदों को मिला कर संज्ञा के कुल 5 प्रकार को जाते हैं|

अब संज्ञा के सभी प्रकार का विस्तृत वर्णन नीचे किया गया है-

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyakti Vachak Sangya)

जिन शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, विशेष प्राणी, विशेष स्थान या किसी विशेष वस्तु का बोध हो उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है.

जैसे- रमेश (व्यक्ति का नाम), आगरा (स्थान का नाम), बाइबल (क़िताब का नाम), ताजमहल (इमारत का नाम), एम्स (अस्पताल का नाम) इत्यादि.

2. जातिवाचक संज्ञा (Jativachak Sangya)

वैसे संज्ञा शब्द जो की एक ही जाति के विभिन्न व्यक्तियों, प्राणियों, स्थानों एवं वस्तुओं का बोध कराती हैं उन्हें जातिवाचक संज्ञाएँ कहते है।
कुत्ता, गाय, हाथी, मनुष्य, पहाड़ आदि शब्द एकही जाति के प्राणियों, वस्तुओं एवं स्थानों का बोध करा रहे है।

जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत निम्नलिखित दो है –

(क) द्रव्यवाचक संज्ञा – (Dravya Vachak Sangya)

जिन संज्ञा शब्दों से किसी पदार्थ या धातु का बोध हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है ।

जैसे – दूध, घी, गेहूँ, सोना, चाँदी, उन, पानी आदि द्रव्यवाचक संज्ञाएँ है।

(ख) समूहवाचक संज्ञा -(Samuh Vachak Sangya)

जो शब्द किसी समूह या समुदाय का बोध कराते है, उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे – भीड़, मेला, कक्षा, समिति, झुंड आदि समूहवाचक संज्ञा हैँ।

व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग:

व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ कभी कभी ऐसे व्यक्तियों की ओर इशारा करती हैं, जो समाज में अपने विशेष गुणों के कारण प्रचलित होते हैं। उन व्यक्तियों का नाम लेते ही वे गुण हमारे मस्तिष्क में उभर आते है, जैस-

हरीशचंद्र (सत्यवादी), महात्मा गांधी (मकात्मा), जयचंद (विश्वासघाती), विभीषण (घर का भेदी), अर्जुन (महान् धनुर्धर) इत्यादि। कभी कभी बोलचाल में हम इनका इस्तेमाल इस प्रकार कर लेते हैं-

1. इस देश में जयचंदों की कमी नहीं । (जयचंद- देशद्रोही के अर्थ में)
2. कलियुग में हरिशचंद्र कहां मिलते हैं । (हरिशचंद्र- सत्यवादी के अर्थ में प्रयुक्त)
3. हमेँ देश के विभीषणों से बचकर रहना चाहिए । (विभीषण- घर के भेदी के अर्थ में प्रयुक्त)

जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग-

कमी-कभी जातिवाचक संज्ञाएँ रूढ हो जाती है । तब वे केवल एक विशेष अर्थ में प्रयुक्त होने लगती हैं- जैसे:
पंडितजी हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे।
यहाँ ‘पंडितजी’ जातिवाचक संज्ञा शब्द है, किंतु भूतपूर्व प्रधानमंत्री ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू’ अर्थात् व्यक्ति विशेष के लिए रूढ़ हो गया है । इस प्रकार यहाँ जातिवाचक का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग किया गया है।
राष्ट्रपिता गांधी जी ने हरिजनों का उद्धार किया । (राष्ट्रपिता गांधी)
नेता जी ने कहा- “तुम मुझे खून दे, मैं तुम्हें आजादी कूँरा । (नेता जी – सुभाष चंद्र बोस)

3. भाववाचक संज्ञा – (Bhav Vachak Sangya)
जो संज्ञा शब्द गुण, कर्म, दशा, अवस्था, भाव आदि का बोध कराएँ उन्हें भाववाचक संज्ञाएँ कहते है।
जैसे – भूख, प्यास, थकावट, चोरी, घृणा, क्रोध, सुंदरता आदि। भाववाचक संज्ञाओं का संबंध हमारे
भावों से होता है । इनका कोई रूप या आकार नहीं होता ।

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