2021-06-21 03:46:00
IF YOU WILL RECIEVE ME
I WILL
NEVER DECIEVE YOU
DEAR UNIQUE
IT'S FOR YOU
WHAT IS LOVE ?
आज हमारे समाज और हमारे देश
में कई बार इस पवित्र और दिव्य ज्ञान
के अभाव में अनेको युवा तनाव में चले जाते है। साथ ही बोहत ही दर्द में जीते है।
शायद कई बार उन्हें जीवन का अंत
करना ही उचित नज़र आता है
जो कि कभी उचित नही है।
अतः हमें
यह ज़रूर ज्ञान होना चाहिए,,
कि
प्रेम आखिर होता क्या है???
क्या इसकी शक्ति है?
क्या इसका स्वरूप है?
और कितना व्यापक है
इसका प्रभाव?
ALWAYS REMEMBER
प्रेम
सदा ही एक दिव्य भाव है
सदा ही एक पवित्र भावना है
अर्थात
प्रेम कभी भी
बुद्धि और तर्क का विषय नही
अपितु यह तो ह्रदय
और भावना का विषय है
और जिस रिश्ते में
बुद्धि और तर्क ज़्यादा हावी
होने लग जाए,,,,
वहां भावनाएं बिखर जाती है
और जब भावनाएं
बिखरने लगती है, तब
विश्वास कि जड़े कट जाती है।
और जहां
विश्वास ही स्थिर नही,,
वहां प्रेम कैसे हो सकता है।
क्योंकि
प्रेम तो
विश्वास का ही दूसरा नाम है
प्रेम
एक खूबसूरत एहसास भी है।
जो खुद से पहले अपने प्रेमी का
हित देखता है।
प्रेम उस निःस्वार्थ और निष्कपट
भावना का ही एक प्रतीक है।
जो
किसी व्यक्ति को अपने प्रेमी
के प्रति पूर्ण विश्वास से
सर्वस्व समर्पण हेतु प्रेरित करती है
अतः प्रेम एक (COMMITMENT)
प्रतिबद्धता भी है।
जो व्यक्ति को एक निष्ठ होकर
सद्चरित्र और सदाचारी
जीवन जीने का मार्ग दिखाती है।
DEAR UNIQUE
सदा याद रखिये,,,
प्रेम लेने के नही,,,,
बल्कि
देने का भाव पर टिका है,,,,
यदि आप प्रेम में कोई भी
अपेक्षा रखते है,,,
तो इसी जगह
आप सच्चे प्रेम से दूर हो जाते है।
क्योंकि प्रेम कभी
कोई लेन देन का व्यापार नही।
अपितु
त्याग और बलिदान की मिसाल है।
प्रेम आत्मा का विषय है
यह देह का विषय नही ।
क्योंकि
जब प्रेम में देह भाव हावी होने
लग जाए,,
तभी से प्रेम दूषित हो जाता है।
, प्रेम,,,स्वयं ही ईश्वर कि सर्वोत्तम
अभिव्यक्ति है,,,,
जो यदि आपके दिल मे है
तो वह आपका पतन नही
बल्कि
सदा आपके मंगल
का ही कारण बनेगी।
इसलिये प्रेम में कभी
FALL नही हो सकता।
यह तो सदा
RISE IN LOVE के
लिये जिम्मेदार है
T.me/brahmacharya
जिस प्रेम में सदा खुशियां ही छिपी है
वो भला
आपके दुःख का
कारण कैसे हो सकता है?
प्रेम तो स्वयं ही आत्मसम्मान को
उठाने वाली अभिव्यक्ति है।
वो भला आपको किसी के सामने
गिड़गिड़ाने के लिये
कैसे विवश कर सकता है??
सच्चा प्रेम आपको
निडर बनाता है
हर भय से मुक्त करता है
मगर जहां भय जीवित है
वहाँ प्रेम कैसे हो सकता है?
प्रेम सदा ही
विघ्न नाशी होता है,,,
और इसीलिये जहां प्रेम है
वहाँ कोई समस्या नही ।
क्योंकि
प्रेम तो स्वयम ही
हर समस्या का अंत है
अतः प्रत्येक युवा को मोह और
प्रेम में अंतर ज्ञात होना ही चहिये।
क्योंकि
मोह व्यक्ति के मन मे
आसक्ति पैदा कर
उसे दुर्बल बनाता है
जबकि
प्रेम हर आसक्ति से उठाकर
उसे मजबूत बनाता है
प्रेम तो वह पवित्र बंधन है
जो
हर झूठे माया के बंधनों से
आज़ाद करता है
जबकि
मोह,,व्यक्ति को माया के
बन्धनों में गुलाम बनाता है
प्रेम हर समस्या का
समाधान है
जबकि
मोह हर समस्या कि जड़
प्रेम तो स्पष्टता का ही
दूसरा नाम है
संशय का नही।
और जहां संशय,,, है
वहाँ प्रेंम नही,,
अतः यदि आप
जीवन के किसी ऐसे
मानसिक उथल पुथल के
दौर से गुज़र रहे है,
तो एक बार फिर पूर्ण शांति और धैर्य से
ईश्वर को साक्षी मानकर
गहराई से
विचार ज़रूर कीजिये।,
क्योंकि
आपका जीवन
सिर्फ आपका नही है
बल्कि यह उन सभी का है
जो आपसे जुड़े हुए है
अतः इसके अंत का ख्याल
कभी मन मे न लाये
बल्कि
सत्य को पकड़कर
आगे बढ़ने का प्रयास करे।
महत्वपूर्ण धार्मिक गर्न्थो
कि निर्मल वाणी और सत्य शिक्षा
आपके मार्गदर्शन हेतु आपकी
सहायता ज़रूर करेगी।
सिख धर्म के सत्संग वाणी के
अनुसार सांसारिक प्रेम
अपेक्षाओ पर टिका है।
अतः
सच्चा प्रेम गुरु से सम्भव है।
आप एक कदम बढ़ाओगे
तो
वो आपके लिये सैकड़ो कदम आगे बढ़ाएगा।
योगी परमहंसः के अनुसार
इस सन्सार के किसी भी चीज़
के लिये कोई दुःख मत करो।
क्योंकि
इस जीवन के उद्देश्य सिर्फ ईश्वर
के प्रेम को पाना है।
और कुछ नही।
प्रभु येशु मसीह कहते है,,,
तू सबसे पहले ईश्वर को रख
बाकी सब
तेरे पीछे आएगा
भगवदगीता में भगवान श्री कृष्ण
कहते है,,,
If you will receive me,
I will never decieve you
1.2K viewsedited 00:46