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Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy

टेलीग्राम चैनल का लोगो brahmacharya — Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy
चैनल का पता: @brahmacharya
श्रेणियाँ: मनोविज्ञान , गूढ़ विद्या
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 33.56K
चैनल से विवरण

Brahmacharya ,The Vital Power
ब्रह्मचर्य पालन के लिए इस दुनिया का सर्वश्रेष्ठ और सबसे बड़ा चैनल

#Celibacy
#ब्रह्मचर्य
#meditation
#yoga
#Brahmacharya
#health
#Motivation
#LifeStyle

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नवीनतम संदेश 166

2021-06-22 18:00:47 प्याज़, लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए इसके कई फायदे हैं तो क्यों इसे हम छोड़े

इसको scientifically और spritiaully प्रूफ कीजिये क्यों नही खाना है
◎◎◎◎◎◎◎◎◎◎◎◎◎◎◎◎◎◎◎◎

अन्न का मन पर प्रभाव
कहते है जैसा अन्न वैसा मन अर्थात हम जो कुछ भी खाते है वैसा ही हमारा मन बन जाता है।अन्न चरित्र निर्माण करता है।इसलिए हम क्या खा रहे है इस बात को सदा ध्यान रखना चाहिये।

◎◎◎ भोजन भी तीन प्रकार का होता है।
1. सात्विक अन्न
2. रजोगुणी अन्न मैदा से बनी आइटम्स
3. तमोगुणी आहार

इनमें से मुख्य दो आहार है :
1. सात्विक व
2.तामसिक

◎◎◎ योग पथ पर चलने वाले को सात्विक आहार ही लेना चाहिए। सात्विक आहार मानसिक पवित्रता को बढ़ाता है। हमारे इस दिव्य ज्ञान का ध्येय है-
"पवित्र बनो, योगी बनो "

पवित्रता ही सुख-शान्ति की जननी है......

"PURITY IS THE MOTHER OF ALL VALUES"

◎◎◎ पवित्रता की धारणा मन्सा, वाचा, कर्मणा द्वारा होती है।मानसिक पवित्रता ही शारीरिक पवित्रता का आधार है।मानसिक पवित्रता अर्थात आत्मा के स्वधर्म की स्मृति शांति, सुख, ज्ञान, आनन्द, प्रेम के विचारों में रमण करना। सहज, सरल, मृदुभाव, आत्मिक भाव में रहना पवित्रता है।

◎◎◎ तामसिक भोजन मानसिक अपवित्रता है।अन्न की शुद्वता हो जिसमें तामसिक भोजन लहसुन, प्याज, तीखा मिर्च मसाला, नॉन वेज(मीट) आदि ना हो। आधिक भोजन भी वर्जित है।

◎◎◎ कोई भी व्यसन स्मोकिंग शराब आदि नशे हमें हमारे मूल स्वभाव में ठहरने नहीं देते हैं। शारीरिक कमजोरी पैदा करते हैं। मन में भारीपन, डर, शंका, ईर्ष्या, घृणा, बदले की भावना पैदा करते हैं। काम , क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, कुद्दष्टि, कुवृत्ति को बढ़ावा देते हैं। संकल्पों में वेग उत्पन्न कराते हैं।
कहा जाता है कि जो भी प्याज
और लहसुन खाता है उनका शरीर राक्षसों के शरीर की भांति मज़बूत हो जाता है लेकिन साथ ही उनकी बुद्धि और सोच-विचार राक्षसों की तरह दूषित भी हो जाते हैं। इन दोनों सब्जियों को मांस के समान माना जाता है। जो लहसुन और प्याज खाता है उसका मन के साथ-साथ पूरा शरीर तामसिक स्वभाव का हो जाता है।

◎◎◎ श्रीमद् भगवद्गीता में 17 वें अध्याय में भी कहा गया है व्यक्ति जैसा भोजन (लहुसन, प्याज..... तामसिक) खाता है, वैसी अपनी प्रकृति (शरीर) का निर्माण करता है।

◎◎◎ अनियन, मॉस, शराब या कोई भी प्रकार का नशा....
जिसे लेने से ये शरीर भी अस्वीकार करता है।आपने देखा होगा, कोई भी ऐसा भोजन जो इस देह के लिए नही है उसको ये देह में डालते ही देह उसके कणों को बाहर फेंकता है और मुख से दुर्गन्ध आती है।जैसे- अनियन, अण्डा, शराब, बीड़ी, सिगरेट आदि।

◎◎◎ प्याज को तामसिक माना जाता है।इसलिए देवी- देवताओ को भी इसका भोग नही लगाया जाता।

◎◎◎ जितने व्रत रखते है उसमे भी इसका परहेज बताया जाता है।

◎◎◎ इसे तामसिक माना गया है।क्योंकि इससे तीव्र गंध आती है जो एकदम आसुरी लक्षण है। अभी हम देवता बन रहे है। देवियों की जड़ मूर्तियों के आगे भी कभी ऐसे तामसिक चढ़ावा नहीं रखते है। इसे खाने से मन पर कंट्रोल नहीं हो पाता और मन स्थिर न हो तो योग नहीं लग सकता है।

◎◎◎ जैसा होगा अन्न, वैसा होगा मन अगर हम लहुसन और प्याज खाते रहे तो पुरुषार्थ में जो रूकावट आएगी वो हमें पता नही पड़ेगा इसलिए शुद्ध भोजन पर भी पूरा-पूरा ध्यान देना पड़ेगा। लहसुन और प्याज दोनों ही तामसिक भोजन की श्रेणी में आते हैं।

◎◎◎ जरा गौर करें जो प्याज काटने पर आँखों में आंसू ला देता है, जो लहुसन खाने पर या जीभ पर रखने पर ही मुख में दुर्गन्ध पैदा कर देता है, तो उसको हमारा पेट कैसे झेलता होगा?

◎◎◎ इनको खाने सेे गैस भी ज्यादा बनती है और सिर में दर्द भी पैदा होता है और मस्तिष्क में भी कमजोर हो जाता है।

◎◎◎ मन बड़ा भटकता है योग नहीं लगने देता और कर्मेन्द्रियाँ भी धोखा देती है क्योंकि जैसा की हम सब जानते है कि शास्त्रों में भी यह तामसिक पदार्थ की श्रेणी में ही आते है, इसलिए ही तो मंदिरों में देवताओं को भी इसका भोग नहीं लगता, यह भक्तिमार्ग में भी निषेध माना गया है।

◎◎◎ तामसिक पदार्थ में अवगुण रूपी जहर होता है जो हमें धीरे-धीरे ज्ञान और योग से दूर ले जाता है। ब्राह्मण प्याज और लहसुन खाने से परहेज करते हैं ये देर से पचते है और योग साधना में हानिकारक है। इनसे चित की शांति और प्रसन्न्ता भंग होती है। यदि पवित्र बनना है तो इनका त्याग ही करना उचित हैं।

◎◎◎ जैसा होगा अन्न, वैसा होगा मन अगर हम लहुसन और प्याज खाते रहे तो पुरुषार्थ में जो रूकावट आएगी वो हमें पता नही पड़ेगा इसलिए शुद्ध भोजन पर भी पूरा-पूरा ध्यान देना पड़ेगा। लहसुन और प्याज दोनों ही तामसिक भोजन की श्रेणी में आते हैं।

◎◎◎ वैष्णवजन प्याज, लहसुन का उपयोग नहीं करते। प्याज शरीर को लाभ पहुंचाने के हिसाब से चाहे कितना ही लाभकारी और
@brahmacharya
1.2K views15:00
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2021-06-22 17:47:34
जीवन मे सदा प्रार्थना कीजिये
कि ईश्वर आपको विनम्र बनाये।
ताकि आप अपने अच्छा संस्कारो से
उनका दिल जीत सके
1.2K views14:47
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2021-06-22 10:42:10
2.3K views07:42
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2021-06-22 05:28:42
क्या आपका ‘मन’ आपके वश में है ?

इस वीडियो को देख खुद को जांच लेवे

:- 4 मिनट
2.9K views02:28
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2021-06-22 01:17:59
वीर्य रूपी अमृत तत्व की
सदा रक्षा कीजिये।
ईश्वर से यही प्रार्थना करे,
कि इस पवित्र शक्ति का
हम मानवता कि सेवा में
सदुपयोग कर सके
जय माता दी
3.1K views22:17
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2021-06-21 17:28:50 इस pdf को आप सभी
ज़रूर पढ़िए
यह 13 पेज कि pdf
गर्भवती महिलाओं
और नव विवाहित couple
के लिये
बोहत ज़रूरी है

ये
पवित्र भारत अभियान

THE RAPE FREE INDIA
Till 2040

का पहला लक्ष्य है।

क्योंकि
यदि वे अभी ही ब्रह्मचर्य और संयम के
प्रति जागरूक रहेंगे ।
तो स्वतः आने वाली
पीढ़ी सदाचारी और
ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली होगी।
जिससे
नारी सुरक्षा का लक्ष्य
भी स्वतः पूरा होता चला जायेगा

विनम्र प्रार्थना है
कि इस pdf का
आदर्श माता

वाला भाग हर महिला तक
आप ज़िम्मेदारी रूप मे
भारत के हर घर तक पहुंचाए



Join soon

T.me/brahmacharya
3.4K viewsedited  14:28
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2021-06-21 16:15:02 मेडिटेशन (ध्यान ) व ब्रह्मचर्य आज की आवश्यकता

इस दुनिया मे ब्रह्मचर्य का सबसे आसान तरीका, बाकी से बार बार हार खाओगे ये एक परमानेंट इलाज है।

आज कलयुग का घोर अंधकार में पाप कर्म और भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
गलत कर्म का प्रवाह नीचे की ओर है। हर चीज का पतन होता जा रहा है। हर मनुष्य सोच रहा है ,अच्छा करने के लिए लेकिन हो नहीं रहा है।

क्योंकि कलयुग का वातावरण, संग, दोष लोगों की मनोवृतिया दूषित और गलत कार्य की ओर जा रही है। इसीलिए गलत और भ्रष्ट कर्म दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं। मनुष्य के विचारों की वाणी की और कर्म की क्वालिटी में गिरावट माना नीचे की ओर जा रही है।


मनुष्य मात्र के शरीर के वीर्य की गति भी नीचे की ओर है। थोड़ा भी गलत देखने से सोचने से बोलने से गलत संग से वीर्य की गति नीचे की ओर जा रही है। अब इस गति को हमें राजयोग मेडिटेशन से ऊपर की ओर ले जाना है। जिसको ऊद्ववगामी गती कहते हैं। यह काम थोड़ा मुश्किल लगता है लेकिन इसमें कुछ भी मुश्किल नहीं है कोई भी कार्य की प्रैक्टिस करने सहज और ईजी हो जाता है।


जैसे नदी में प्रवाह के विरुद्ध आजकल तैरने की कंपीटिशन सीख रहे हैं। कार्य देखने में थोड़ा कठिन लगता है लेकिन प्रैक्टिस करने से बहुत सहज है। जैसे नदी में बांध डाल कर के पानी को रोकते हैं फिर उसी पानी को केनल द्वारा खेती को देकर ,वेस्ट जानेवाले पानी को खेती डालकर बेस्ट आनाज और सब्जियां उगाते हैं।

इसी प्रकार हमारे ,अंदर की जो यह वीर्य शक्ति अर्थात पवित्रता की शक्ति वेस्ट जाने वाली गति को ऊपर की ओर ले जाकर के विश्व कल्याण , अर्थात शुभभावना, शुभकामना के कार्य में यूज़ किया जाता है।


वैसे ही यह वीर्य अर्थात पवित्रता शक्ति का उपयोग परमात्मा ज्ञान का मनन चिंतन करने के लिए शक्ति का यूज़ होता है। जिससे हमारी मनोवृति या शुद्ध और पवित्र होकर के वायुमंडल को शुद्ध और पावन करती है क्योंकि वृत्ति से वायुमंडल बनता है आज के इस दूषित वायुमंडल में हमारे पवित्र मनोवृति के विचार वायुमंडल में फैलने से वायुमंडल शुद्ध होता जा रहा है।

और हमारे पवित्र संकल्प शुभ और शुभकामना के विचारो के तरंगे दुखी अशांत आत्माओं को सुख शांति और शक्ति प्रदान कर प्रकृति को भी शुद्ध और पावन बनाने के लिए निमित्त बन जाते हैं।

इसी कार्य में परमात्म ज्ञान और सहज राजयोग मेडिटेशन में महत्वपूर्ण भूमिका बजाते है। परमात्मा पतित पावन है पवित्रता का सागर है एवर पावन है उसका धाम भी पावन धाम है। तो उसकी याद करने के लिए मन और बुद्धि को ऊपर की ओर ले जाने के लिए सूर्य चांद तारांगण से भी पार ब्रह्म परमधाम में परमात्मा पिता के पास मन बुद्धि ले जाने के लिए यह वीर्य शक्ति बहुत बड़ा कार्य करती है।

जैसे विमान में ऊपर जाने के लिए डबल रीफाइन पेट्रोल की जरूरत पड़ती है। उसी प्रकार हमारे मन बुद्धि रूपी विमान को ऊपर ले जाने के लिए यह पवित्रता की वीर्य शक्ति बहुत बड़ा कार्य करती है। और मन बुद्धि ऊपर जाकर परमात्मा की याद में टहर जाती है। एकाग्र हो जाती है।

इससे ही हमारी अनेक जन्मों के विक्रम अविनाश हो जाते हैं।और आत्मा पावन बन जाती है। इसको ही गति और सद्गति का रास्ता कहां जाता है उसी रास्ते पर चलने के लिए हमें यह वीर्य शक्ति ऊपर मस्तिष्क की और जाकर शरीर को एक प्रकाश मय लाइट का औरा बनती है। और यह स्वयं के लिए और दूसरों के लिए सुरक्षा कवच बनता है।

यह बहुत बड़ा कार्य करती है। यह कार्य थोड़ा कठिन लगता होगा।लेकिन यह अभ्यास से बहुत सहज और इजी है। और बहुत सुखदाई है अतींद्रिय सुख कारी है और सब का कल्याणकारी मार्ग है।

ज्वॉइन करें t.me/brahmacharya
3.2K viewsedited  13:15
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2021-06-21 15:37:53
2.8K views12:37
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2021-06-21 12:16:40 सामान्य योग अभ्यास

ज्वॉइन @Ayurveda_Yoga_Meditation
3.1K views09:16
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2021-06-21 12:16:40
सामान्य योग अभ्यास

ज्वॉइन @Ayurveda_Yoga_Meditation
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