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Ayurveda Yoga Meditation आयुर्वेद

चैनल का पता: @ayurveda_yoga_meditation
श्रेणियाँ: स्वास्थ्य
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 45.90K
चैनल से विवरण

Biggest & Best Channel For Ayurveda ,Yoga & Meditation
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नवीनतम संदेश 36

2022-01-18 03:23:48
जीवन बदलने वाली सच्ची कहानी

ये कहानी आपकी जिंदगी बदल देगी ।





3.2K views00:23
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2022-01-17 20:25:15 प्रजापिता ब्रह्मा स्मृति दिवस विशेष

18 जनवरी

अद्भुत परन्तु सत्य
882 views17:25
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2022-01-17 12:10:08 आजादी का अमृत महोत्सव : बुकलेट
3.0K views09:10
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2022-01-17 12:10:08

National Launching of
Azadi ke Amrit Mahotsav Se Swarnim Bharat Ki Ore

In the Online Presence of
Shri Narendra Modi Ji
Hon.
Prime Minister of India

20th Jan, 2022 at 10:30 am
Venue: Shant
ivan, Abu Road, Raj

Join Live:
http://bkinfo.in/amritmahotsav

Awakening TV
Peace of Mind TV

Organiser: Brahma Kumaris
Supported by: Ministry of Culture, Govt. Of India

Bookl
et of this Year long project is attached
3.0K views09:10
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2022-01-16 13:06:38

ब्रह्मचर्य के लिए रामबाण हीलिंग ऑडियो (ब्रेन हीलिंग ऑडियो)

इसको रोजाना सुबह जल्दी उठकर व सोने से पहले 21 दिन सुनने मात्र से 100% आपकी सारी गंदी आदतें/विचार छूट जाएंगी।

हज़ारो युवाओं ने इसका अभ्यास किया है और इसके बहुत शानदार नतीजे सामने आए है ।

आज ही ज्वाइन करें इस दुनिया का ब्रह्मचर्य व सदाचार का सबसे बड़ा चैनल

T.me/Brahmacharya

शेयर जरुर करे उनके साथ जिन्हे एक भी गलत विचार आता हो
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2022-01-15 04:37:18
2.3K views01:37
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2022-01-14 18:42:10
क्या आप मेडिटेशन के प्रीमियम ग्रुप में जुड़ना चाहते है ?
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2022-01-14 13:17:20 मकर संक्रांति का आध्यात्मिक रहस्य

मकर संक्रांति पर प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं का मेला विभिन्न नदियों के घाटों पर लगता है। इस शुभ दिन तिल खिचड़ी का दान करते हैं। वास्तव में स्थूल परम्पराओं मे आध्यात्मिक रहस्य छुपे हुए हैं। अभी कलियुग का अंतिम समय चल रहा है। सारी मानवता दुखी-अशांत हैं। हर कोई परिवर्तन के इंतजार मेँ हैं । सारी व्यवस्थाएं व मनुष्य की मनोदशा जीर्ण-शीर्ण हो चुकी हैं। ऐसे समय मेँ विश्व सृष्टिकर्ता परमात्मा शिव कलियुग, सतयुग के संधिकाल अर्थात संगमयुग पर ब्रह्मा के तन मेँ आ चुके हैं।


जिस प्रकार भक्ति मार्ग मेँ पुरुषोत्तम मास मेँ दान-पुण्य आदि का महत्व होता है, उसी प्रकार पुरुषोत्तम संगमयुग, जिसमें ज्ञान स्नान करके बुराइयों का दान करने से, पुण्य का खाता जमा करने वाली हर आत्मा उत्तम पुरुष बन सकती है। इस दिन खिचड़ी और तिल का दान करते हैं, इसका भाव यह है कि मनुष्य के संस्कारों मेँ आसुरियता की मिलावट हो चुकी है, अर्थात उसके संस्कार खिचड़ी हो चुके हैं, जिन्हें परिवर्तन करके अब दिव्य संस्कार धारण करने हैं । इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक मनुष्य को ईर्ष्या-द्वेष आदि संस्कारों को छोडकर संस्कारों का मिलन इस प्रकार करना है, जिस प्रकार खिचड़ी मिलकर एक हो जाती है।


परमात्मा की अभी आज्ञा है कि तिल समान अपनी सूक्ष्म से सूक्ष्म बुराइयों को भी हमें तिलांजलि देना है। जैसे उस गंगा मेँ भाव-कुभाव से ज़ोर जबर्दस्ती से एक दो को नहलाकर खुश होते हैं और शुभ मानते हैं; इसी प्रकार अब हमें ज्ञान गंगा मेँ नहलाकर मुक्ति-जीवनमुक्ति का मार्ग दिखाना है। जैसे जब नयी फसल आती है तो सभी खुशियाँ मनाते हैं। इसी प्रकार वास्तविक और अविनाशी खुशी प्राप्त होती है, बुराइयों का त्याग करने से। फसल कटाई का समय देशी मास के हिसाब से पौष महीने के अंतिम दिन तथा अंग्रेजी महीने के 12,13, 14 जनवरी को आता है। इस समय एक सूर्य राशि से दूसरी राशि मेँ जाता है। इसलिए इसे संक्रमण काल कहा जाता है, अर्थात एक दशा से दूसरी दशा मेँ जाने का समय। यह संक्रमण काल उस महान संक्रमण काल का यादगार है जो कलियुग के अंत सतयुग के आरंभ मेँ घटता है। इस संक्रमण काल मेँ ज्ञान सूर्य परमात्मा भी राशि बदलते हैं। वे परमधाम छोड़ कर साकार वतन मेँ अवतरित होते हैं। संसार मेँ अनेक क्रांतियाँ हुई। हर क्रांति के पीछे उद्देश्य – परिवर्तन रहा है...

हथियारों के बल पर जो क्रांतियाँ हुई उनसे आंशिक परिवर्तन तो हुआ, किन्तु सम्पूर्ण परिवर्तन को आज मनुष्य तरस रहा है। सतयुग मेँ खुशी का आधार अभी का संस्कार परिवर्तन है, इस क्रांति के बाद सृष्टि पर कोई क्रांति नहीं हुई। संक्रांति का त्योहार संगमयुग पर हुई उस महान क्रांति की यादगार मेँ मनाया जाता है।



1) स्नान - ब्रह्म मुहूर्त मेँ उठ स्नान, ज्ञान स्नान का यादगार है।

2) तिल खाना - तिल खाना, खिलाना, दान करने का भी रहस्य है। वास्तव में छोटी चीज़ की तुलना तिल से की गयी है। आत्मा भी अति सूक्ष्म है। अर्थात तिल आत्म स्वरूप में टिकने का यादगार है।

3) पतंग उड़ाना - आत्मा हल्की हो तो उड़ने लगती है; देहभान वाला उड़ नहीं सकता है। जबकि आत्माभिमानी अपनी डोर भगवान को देकर तीनों लोकों की सैर कर सकता है।

4) तिल के लड्डू खाना - तिल को अलग खाओ तो कड़वा महसूस होता है। अर्थात अकेले मेँ भारीपन का अनुभव होता है। लड्डू एकता एवं मिठास का भी प्रतीक है।

5) तिल का दान - दान देने से भाग्य बनता है। अतः वर्तमान संगंयुग में हमें परमात्मा को अपनी छोटी कमज़ोरी का भी दान देना है।

6) आग जलाना - अग्नि मेँ डालने से चीज़ें पूरी तरह बदल जाती, सामूहिक आग - योगीजन संगठित होकर एक ही स्मृति से ईश्वर की स्मृति मे टिकते हैं, जिसके द्वारा न केवल उनके जन्म-जन्म के विकर्म भस्म होते हैं, बल्कि उनकी याद की किरणें समस्त विश्व में फाइल कर शांति, पवित्रता, आनंद, प्रेम, शक्ति की तरंगे फैलाती हैं।



यदि इस पर्व को निम्नलिखित विधि द्वारा मनाए तो न केवल हमें सच्चे सुख की प्राप्ति होगी बल्कि हम परमात्म दुआओं के भी अधिकारी बनेंगे !

आप सबको इस महान पर्व मकर सक्रांति की बहुत-बहुत शुभ कामनाएँ।
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2022-01-14 05:28:29
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2022-01-13 16:21:56 राजयोग मेडिटेशन कोर्स का नया बैच 15 जनवरी से स्टार्ट होने जा रहा है ।

ग्रुप का लिंक

T.me/Rajyoga7days

अपने दोस्तो और परिवारजनों को भी ये लिंक भेजकर ये कोर्स जरूर करवाना जी ।
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