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राजस्थान की प्रमुख महिला व्यक्तित्व लक्ष्मी कुमारी चुण्डाव | Utkarsh Classes Rajasthan

राजस्थान की प्रमुख महिला व्यक्तित्व

लक्ष्मी कुमारी चुण्डावत

इन्हे रानी जी नाम से भी जाना जाता है । इनका जन्म 1916 में मेवाड़ के देवगढ़ ठिकाने में हुआ। इनका विवाह रावतसर के तेजसिंह के साथ हुआ। इनका कला, साहित्य व संस्कृति में विशेष योगदान रहा है ।
इन्होने अपने जीवनकाल में 35 पुस्तकों का प्रणयन (विमोचन) किया जिनमें प्रमुख पाबूजी री वातां, हुँकार दो सा, टाबरां री वातां, लव स्टोरी ऑफ राजस्थान, अमलोक वातां, मूमल, के रे चकवा बात आदि प्रमुख है ।

इनका राजनैतिक क्षेत्र में 11 वर्ष तक राज्य विधान सभा सदस्य तथा 1972 से 1978 तक राज्य सभा सदस्य के रूप में बनी रही ।

नोट :- लक्ष्मी कुमारी चुण्डावत ने 1978 में न्यूयॉर्क में आयोजित निःशस्त्रीकरण सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

नारायणी देवी वर्मा

इनका जन्म 1902 में मध्यप्रदेश में हुआ। इनका विवाह माणिक्य लाल वर्मा के साथ हुआ । माणिक्य लाल वर्मा बिजौलिया ठिकाने में नौकरी करते थे ।

सन् 1934 में खाण्डलाई आश्रम डूंगरपुर में स्थापित किया ।

सन् 1939 में इन्होने मेवाड़ प्रजामण्डल में सक्रिय रूप से भाग लिया । इनको गिरफ्तार कर लिया गया । इन्होने 6 माह से अधिक अपनी पुत्री स्नेहलता वर्मा के साथ जेल में बिताये ।

सन् 1943 में इन्होने भीलवाड़ा में एक महिला आश्रम स्थापित किया । 12 मार्च 1947 को इनका निधन हो गया ।

रत्ना शास्त्री

इनका जन्म 1912 में मध्यप्रदेश में हुआ। इनका विवाह हीरा लाल शास्त्री के साथ हुआ । इनकी प्रारम्भिक शिक्षा – रतलाम में हुई ।

इन्होने जयपुर प्रजामण्डल में सक्रिय भूमिका अदा की ।

नोट :- इन्होने बिहार के प्रसिद्ध क्रान्तिकारी जगलाल चौधरी को शरण प्रदान की थी ।

स्वतन्त्रता के उपरान्त इन्हे पद्मश्री, पदम् विभूषण तथा जमना लाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।

इन्होने अपनी पुत्री शान्ता बाई की मृत्यु पर शान्ता बाई जीवन कुटीर नामक संस्था की स्थापना की इसे वर्तमान में वनस्थली विद्यापीठ (टोंक) के नाम से जाना जाता है ।

झलकारी बाई

राजस्थान का कोली समाज की बालिका ने सन् 1857 की क्रान्ति के समय रानी लक्ष्मी बाई के स्थान पर उसका वेश धारण करके युद्ध किया ।

हाड़ी रानी जसवन्त दे

जोधपुर शासक जसवन्त सिंह की पत्नी हाड़ी रानी जसवन्त दे ने जब राजा जसवन्त सिंह धरमत के युद्ध में घायल होकर लौटे तो उनकी पत्नी जसवन्त दे ने दुर्ग के दरवाजे नही खोले । जसवन्त सिंह द्वारा यह कहने पर कि हम विजयी होकर लोटे है इसी के उपरान्त रानी ने दरवाजे खोले तथा जसवन्त दे ने जसवन्त सिंह को चांदी के बर्तनों के स्थान पर लकड़ी के बर्तनों में भोजन कराया। जसवन्त दे का कथन है कि “राजपूत युद्ध में या तो विजयी होकर लौटते है, या मरकर” ।

धीर बाई

जैसलमेर के भाटी राजवंश की पुत्री धीर बाई जिसे इतिहास में भटीयाणी रानी के नाम से जाना जाता है के विवाह मेवाड़ के शासक उदय सिंह के साथ हुआ था । उदय सिंह ने अपनी इसी रानी के प्रभाव में आकर महाराणा प्रताप के स्थान पर जगमाल को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया ।

हाड़ी रानी

इसका मूल नाम सलह कंवर था । इनका जन्म बूंदी के जागीरदार संग्रामसिंह के घर में हुआ तथा इनका विवाह सलुम्बर के ठाकुर रतन सिंह चुण्डावत से हुआ । रतन सिंह मेवाड के तत्कालीन शासक राजसिंह की सेना में थे, जब औरंगजेब की सेना द्वारा मेवाड़ पर आक्रमण का खतरा मंडरा रहा था ऐसे समय में राजसिंह ने रतन सिंह को बुलावा भेजा ।

हाड़ी रानी ने युद्ध भूमि में जाते समय रतन सिंह चुण्डावत द्वारा निशानी मांगे जाने पर अपना शीश काटकर दे दिया था ।

नोट :- मेघराज मुकूल ने हाड़ीरानी पर “सेनाणी” नामक कविता लिखी है । जिसका शीर्षक है “चुण्डावत मांगी सेनाणी, सिर काट दियो क्षत्राणी”

गुलाब राय

जोधपुर महाराजा विजय सिंह की पासवान रानी गुलाबराय को कविराज श्यामल दास ने अपने ग्रन्थ “वीर विनोद” में “मारवाड़ की नूरजहाँ” नाम से संबोधित किया है ।

इन्दुमति गोयनका

यह राजस्थान की मूल निवासी है, वर्तमान में कलकत्ता में है ।

सन् 1930 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान गिरफ्तार होने वाली राजस्थान की प्रथम महिला है, इन्हे बंगाल से गिरफ्तार किया गया था ।

यशोदा देवी

यह राजस्थान विधानसभा की प्रथम महिला सदस्य है । सन् 1953 में बांसवाड़ा विधानसभा उपचुनाव के दौरान विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुई.