2023-05-08 07:58:57
*हिन्दी साहित्य का इतिहास(आदिकाल)*
... *आदिकाल का नामकरण*.....
विभिन्न इतिहासकारों द्वारा आदिकाल का नामकरण निम्नानुसार किया गया-
*इतिहासकार का नाम - नामकरण*
हजारी प्रसाद द्विवेदी -आदिकाल
रामचंद्र शुक्ल -वीरगाथा काल
महावीर प्रसाद दिवेदी -बीजवपन काल
रामकुमार वर्मा- संधि काल और चारण काल
राहुल संकृत्यायन- सिद्ध-सामन्त काल
मिश्रबंधु- आरंभिक काल
गणपति चंद्र गुप्त -प्रारंभिक काल/ शुन्य काल
विश्वनाथ प्रसाद मिश्र- वीर काल
धीरेंद्र वर्मा -अपभ्रंस काल
चंद्रधर शर्मा गुलेरी -अपभ्रंस काल
ग्रियर्सन- चारण काल
पृथ्वीनाथ कमल 'कुलश्रेष्ठ'- अंधकार काल
रामशंकर शुक्ल- जयकाव्य काल
रामखिलावन पाण्डेय- संक्रमण काल
हरिश्चंद्र वर्मा- संक्रमण काल
मोहन अवस्थी- आधार काल
शम्भुनाथ सिंह- प्राचिन काल
वासुदेव सिंह- उद्भव काल
रामप्रसाद मिश्र- संक्रांति काल
शैलेष जैदी - आविर्भाव काल
हरीश- उत्तर अपभ्रस काल
बच्चन सिंह- अपभ्रंस काल: जातिय साहित्य का उदय
श्यामसुंदर दास- वीरकाल/अपभ्रंस का
*हिन्दी का सर्वप्रथम कवि*
*विभिन्न इतिहासकारों के अनुसार हिंदी का पहला कवि-*
राहुल सांकृत्यायन के अनुसार - सरहपा (769 ई.)
शिवसिंह सेंगर के अनुसार - पुष्प या पुण्ड (10 वीं शताब्दी)
गणपति चंद्र गुप्त के अनुसार - शालिभद्र सूरि (1184 ई.)
रामकुमार वर्मा के अनुसार - स्वयंभू (693 ई.)
हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार- अब्दुल रहमान (13 वीं शताब्दी)
बच्चन सिंह के अनुसार - विद्यापति (15 वीं शताब्दी)
चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' के अनुसार- राजा मुंज (993 ई.)
रामचंद्र शुक्ल के अनुसार- राजा मुंज व भोज (993 ई.)
*नोट:- सर्व सामान्य रूप में राहुल सांकृत्यायन जी द्वारा स्वीकृत सिद्ध कवि ' सरहपा या सरहपाद' को ही हिंदी का सर्वप्रथम कभी माना जाता है|*
*रास (जैन) साहित्य की प्रमुख रचनाएं*-
*रचना का नाम- रचनाकार का नाम*
भरतेश्वर बाहुबली रास- शालिभद्र सूरि (1184 ई.)
पांच पांडव चरित रास- शालिभद्र सूरि (14 वीं शताब्दी)
बुद्धि रास - शालिभद्र सूरि
चंदनबाला रास- कवि आसगु (1200 ई. जालौर)
जीव दया रास- कवि आसगु
स्थुलिभद्र रास- जिन धर्म सूरि (1209 ई.)
रेवंतगिरि रास- विजय सेन सूरि (1231 ई.)
नेमिनाथ रास- सुमित गुणि (1231 ई.)
गौतम स्वामी रास- उदयवंत/विजयभद्र
उपदेश रसायन रास- जिन दत्त सूरि
कच्छुलि रास- प्रज्ञा तिलक
जिन पद्म सूरि रास- सारमूर्ति
करकंड चरित रास- कनकामर मुनि
आबूरास-पल्हण
गय सुकुमाल रास- देल्हण/देवेन्द्र सूरि
समरा रास-अम्बदेव सूरि
अमरारास- अभय तिलकमणि
भरतेश्वर बाहुबलिघोर रास- वज्रसेन सूरि
मुंजरास- अज्ञात
नेमिनाथ चउपई- विनयचन्द्र सूरि(1200 ई.)
नेमिनाथ चरिउ - हरिभद्र सूरि (1159 ई.)
नेमिनाथ फागु - राजशेखर सूरि (1348 ई.)
कान्हड़-दे-प्रबंध- पद्मनाभ
हरिचंद पुराण -जाखू मणियार (1396 ई.)
पास चरिउ(पार्श्व पुराण)- पदम कीर्ति
सुंदसण चरिउ (सुदर्शन पुराण)- नयनंदी
प्रबंध चिंतामणि - जैनाचार्य मेरुतुंग
कुमारपाल प्रतिबोध- सोमप्रभ सूरि (1241ई.)
श्रावकाचार - देवसेन (933 ई.)
दब्ब-सहाव-पयास- देवसेन
लघुनयचक्र- देवसेन
दर्शनसार- देवसेन
*रासो साहित्य की प्रमुख रचनाऍ*
पृथ्वीराज रासो- चंदबरदाई
बीसलदेव रासो -नरपति नाल्ह
परमाल रासो -जगनिक
हम्मीर रासो - शार्ड.ग्धर
खुमान रासो- दलपति विजय
विजयपाल रासो -नल्लसिंह भाट
बुद्धिरासो- जल्हण
मुंज रासो - अज्ञात
रासो नाम की अन्य रचनाएँ-
कलियुग रासो- रसिक गोविंद
कायम खाँ रासो- न्यामत खाँ जान कवि
राम रासो- समय सुंदर
राणा रासो- दयाराम (दयाल कवि)
रतनरासो- कुम्भकर्ण
कुमारपाल रासो- देवप्रभ
*रासो साहित्य की प्रमुख विशेषताएं*-
यह साहित्य मुख्यतः चारण कवियों द्वारा रचा गया
इन रचनाओं में चारण कवियों द्वारा अपने आश्रयदाता के शौर्य एवं ऐश्वर्य का अतिश्योक्ति पूर्ण वर्णन किया गया है
इन रचनाओं में ऐतिहासिकता के साथ-साथ कवियों द्वारा अपनी कल्पना का समावेश भी किया गया है
इन रचनाओं में युद्ध है प्रेम का वर्णन अधिक किया गया है
इन रचनाओं में वीर व श्रंगार रस की प्रधानता है
इन रचनाओं में डिंगल और पिंगल शैली का प्रयोग हुआ है
इनमें विविध प्रकार की भाषाएं एवं अनेक प्रकार के छंदों का प्रयोग किया गया है
इन रचनाओं में चारण कवियों की संकुचित मानसिकता का प्रयोग देखने को मिलता है
रासो साहित्य की अधिकांश रचनाएं संदिग्ध एवं अर्ध प्रमाणिक मानी जाती है|
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