Get Mystery Box with random crypto!

हिन्दी साहित्य / Hindi Sahitya 🌟

टेलीग्राम चैनल का लोगो ugc_net_hindi — हिन्दी साहित्य / Hindi Sahitya 🌟
टेलीग्राम चैनल का लोगो ugc_net_hindi — हिन्दी साहित्य / Hindi Sahitya 🌟
चैनल का पता: @ugc_net_hindi
श्रेणियाँ: साहित्य
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 13.62K
चैनल से विवरण

Best Channel On Telegram For the Preparation of #UPSC, #SSC, #Banking, #Railway, #Insurance, #Teaching and All Other Competitive Exams.
Disclaimer - We Don't Own any Materials Posted Here, for Any DMCA Enquiry.
✆ Contact & Promotions ➛ @ppawankumarr

Ratings & Reviews

4.00

2 reviews

Reviews can be left only by registered users. All reviews are moderated by admins.

5 stars

1

4 stars

0

3 stars

1

2 stars

0

1 stars

0


नवीनतम संदेश 58

2022-04-27 14:22:12
प्रकाशन-वर्ष के अनुसार निम्नलिखित संस्मरण-कृतियों का सही अनुक्रम क्या है ?
Anonymous Quiz
13%
(अ) स्मृतिकण, लीक-अलीक, वन तुलसी की गंध, हम-हशमत
34%
(ब) हम-हशमत, लीक-अलीक, वन तुलसी की गंध
36%
(स) वन तुलसी की गंध, लीक-अलीक, स्मृतिकण, हम-हशमत
17%
(द) स्मृतिकण, हम-हशमत, लीक-अलीक, वन तुलसी की गंध
464 voters1.6K views11:22
ओपन / कमेंट
2022-04-27 14:22:04
सबसे उत्तम कहानी वह होती है जिसका आधार किसी मनोवैज्ञानिक सत्य पर हो कथन किसका है ?
Anonymous Quiz
25%
जैनेन्द्र
25%
जयशंकर प्रसाद
28%
इलाचंद्र जोशी
22%
प्रेमचंद
570 voters1.3K views11:22
ओपन / कमेंट
2022-04-27 14:21:59
नई कहानी आंदोलन लगभग किस वर्ष आरंभ हुआ?
Anonymous Quiz
30%
1956
22%
1959
39%
1960
9%
1962
573 voters1.2K views11:21
ओपन / कमेंट
2022-04-27 14:21:55
कौन सा भाग अजय खंडहर का नहीं है ?

1-हाहाकार 2-ललकार 3- झंकार 4-हुंकार
Anonymous Quiz
22%
1
21%
2
32%
3
25%
4
518 voters1.1K views11:21
ओपन / कमेंट
2022-04-27 14:21:48
निम्नलिखित में सही है?
Anonymous Quiz
10%
युगवाणी 1939 - सुमित्रानंदन पंत
8%
युग का मोल 1945 - शिवमंगल सिंह सुमन
12%
युग की गंगा 1947 - केदारनाथ अग्रवाल
13%
युगधारा 1953 - नागार्जुन
57%
सभी सही है।
507 voters1.1K views11:21
ओपन / कमेंट
2022-04-27 14:21:44
प्रगतिवाद की कौन सी रचना कामायनी की कथा से प्रभावित है
A-अमोला
B-मेधावी C-विंध्य हिमाचल D-प्रलय सृजन
Anonymous Quiz
12%
A
24%
B
24%
C
40%
D
497 voters1.0K views11:21
ओपन / कमेंट
2022-04-27 14:21:40
'एक भारतीय आत्मा' निम्न में से किस कवि का उपनाम था ?
A. नागार्जुन
B. माखनलाल चतुर्वेदी C. सुमित्रानंदन पंत D. इनमें से किसी का भी नहीं
Anonymous Quiz
13%
A
66%
B
17%
C
4%
D
510 voters1.0K views11:21
ओपन / कमेंट
2022-04-27 14:19:04 *14- अर्थान्तरन्यास – जहां सामान्य कथन का विशेष से या विशेष कथन का सामान्य से समर्थन किया जाए , वहां अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है !*

जैसे –
जो रहीम उत्तम प्रकृति का करि सकत कुसंग ।
चन्दन विष व्यापत नहीं लपटे रहत भुजंग ।।

*15- विरोधाभास – जहां वास्तविक विरोध न होते हुए भी विरोध का आभास मालूम पड़े , वहां विरोधाभास अलंकार होता है !*
जैसे –
या अनुरागी चित्त की गति समझें नहीं कोइ ।
ज्यों -ज्यों बूडै स्याम रंग त्यों -त्यों उज्ज्वल होइ ।।
यहां स्याम रंग में डूबने पर भी उज्ज्वल होने में विरोध आभासित होता है , परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं है । अत: विरोधाभास अलंकार है !

*16- मानवीकरण – जहां जड़ वस्तुओं या प्रकृति पर मानवीय चेष्टाओं का आरोप किया जाता है , वहां मानवीकरण अलंकार है !*
जैसे –
फूल हंसे कलियां मुसकाई ।
यहां फूलों का हंसना , कलियों का मुस्कराना मानवीय चेष्टाएं हैं , अत: मानवीकरण अलंकार है!

*17- अतिशयोक्ति – अतिशयोक्ति का अर्थ है – किसी बात को बढ़ा -चढ़ाकर कहना ।*
जब काव्य में कोई बात बहुत बढ़ा -चढ़ाकर कही जाती है तो वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है !जैसे –
लहरें व्योम चूमती उठतीं ।
यहां लहरों को आकाश चूमता हुआ दिखाकर अतिशयोक्ति का विधान किया गया है !

18- वक्रोक्ति – *जहां किसी वाक्य में वक्ता के आशय से भिन्न अर्थ की कल्पना की जाती है , वहां वक्रोक्ति अलंकार होता है !*

*इसके दो भेद होते हैं –*
(1 ) काकु वक्रोक्ति
(2) शलेष वक्रोक्ति ।

*1- काकु वक्रोक्ति – वहां होता है जहां वक्ता के कथन का कण्ठ ध्वनि के कारण श्रोता भिन्न अर्थ लगाता है ।*
जैसे –
मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू ।

*2- शलेष वक्रोक्ति – जहां शलेष के द्वारा वक्ता के कथन का भिन्न अर्थ लिया जाता है !*
जैसे –
को तुम हौ इत आये कहां घनस्याम हौ तौ कितहूं बरसो ।
चितचोर कहावत हैं हम तौ तहां जाहुं जहां धन है सरसों ।।

*19- अन्योक्ति – अन्योक्ति का अर्थ है अन्य के प्रति कही गई उक्ति ।*

*इस अलंकार में अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन किया जाता है !*
जैसे –
नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहि काल ।
अली कली ही सौं बिध्यौं आगे कौन हवाल ।।
*यहां भ्रमर और कली का प्रसंग अप्रस्तुत विधान के रूप में है जिसके माध्यम से राजा जयसिंह को सचेत किया गया है , अत: अन्योक्ति अलंकार है !*
1.3K views11:19
ओपन / कमेंट
2022-04-27 14:18:58 अलंकार

*अलंकार – ” काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्व अलंकार कहे जाते हैं ! “*

*अलंकार के तीन भेद हैं –*

*1. शब्दालंकार – ये शब्द पर आधारित होते हैं ! प्रमुख शब्दालंकार हैं – अनुप्रास , यमक , शलेष , पुनरुक्ति , वक्रोक्ति आदि !*

*2. अर्थालंकार – ये अर्थ पर आधारित होते हैं ! प्रमुख अर्थालंकार हैं – उपमा , रूपक , उत्प्रेक्षा, प्रतीप , व्यतिरेक , विभावना , विशेषोक्ति ,अर्थान्तरन्यास , उल्लेख , दृष्टान्त, विरोधाभास , भ्रांतिमान आदि !*

*3.उभयालंकार- उभयालंकार शब्द और अर्थ दोनों पर आश्रित रहकर दोनों को चमत्कृत करते हैं!*

*1- उपमा – जहाँ गुण , धर्म या क्रिया के आधार पर उपमेय की तुलना उपमान से की जाती है*
जैसे – हरिपद कोमल कमल से ।
हरिपद ( उपमेय )की तुलना कमल ( उपमान ) से कोमलता के कारण की गई ! अत: उपमा अलंकार है !

*2- रूपक – जहाँ उपमेय पर उपमान का अभेद आरोप किया जाता है !*
जैसे –
अम्बर पनघट में डुबो रही ताराघट उषा नागरी ।
आकाश रूपी पनघट में उषा रूपी स्त्री तारा रूपी घड़े डुबो रही है ! यहाँ आकाश पर पनघट का , उषा पर स्त्री का और तारा पर घड़े का आरोप होने से रूपक अलंकार है !

*3- उत्प्रेक्षा – उपमेय में उपमान की कल्पना या सम्भावना होने पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है !*
जैसे – मुख मानो चन्द्रमा है ।
यहाँ मुख ( उपमेय ) को चन्द्रमा ( उपमान ) मान लिया गया है ! यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है !

*इस अलंकार की पहचान मनु , मानो , जनु , जानो शब्दों से होती है !*

*4- यमक – जहाँ कोई शब्द एक से अधिक बार प्रयुक्त हो और उसके अर्थ अलग -अलग हों वहाँ यमक अलंकार होता है !*
जैसे – सजना है मुझे सजना के लिए ।
यहाँ पहले सजना का अर्थ है – श्रृंगार करना और दूसरे सजना का अर्थ – नायक शब्द दो बार प्रयुक्त है ,अर्थ अलग -अलग हैं ! अत: यमक अलंकार है !

*5- शलेष – जहाँ कोई शब्द एक ही बार प्रयुक्त हो , किन्तु प्रसंग भेद में उसके अर्थ एक से अधिक हों , वहां शलेष अलंकार है !*
जैसे – रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून ।
पानी गए न ऊबरै मोती मानस चून ।।
यहाँ पानी के तीन अर्थ हैं – कान्ति , आत्म – सम्मान और जल ! अत: शलेष अलंकार है , क्योंकि पानी शब्द एक ही बार प्रयुक्त है तथा उसके अर्थ तीन हैं !

*6- विभावना – जहां कारण के अभाव में भी कार्य हो रहा हो , वहां विभावना अलंकार है !*

जैसे –
बिनु पग चलै सुनै बिनु काना ।
वह ( भगवान ) बिना पैरों के चलता है और बिना कानों के सुनता है ! कारण के अभाव में कार्य होने से यहां विभावना अलंकार है !

*7- अनुप्रास – जहां किसी वर्ण की अनेक बार क्रम से आवृत्ति हो वहां अनुप्रास अलंकार होता है !*
जैसे –
भूरी -भूरी भेदभाव भूमि से भगा दिया ।
‘ भ ‘ की आवृत्ति अनेक बार होने से यहां अनुप्रास अलंकार है !

*8- भ्रान्तिमान – उपमेय में उपमान की भ्रान्ति होने से और तदनुरूप क्रिया होने से भ्रान्तिमान अलंकार होता है !*
जैसे –
नाक का मोती अधर की कान्ति से , बीज दाड़िम का समझकर भ्रान्ति से,
देखकर सहसा हुआ शुक मौन है, सोचता है अन्य शुक यह कौन है ?
यहां नाक में तोते का और दन्त पंक्ति में अनार के दाने का भ्रम हुआ है , यहां भ्रान्तिमान अलंकार है !

9- सन्देह – जहां उपमेय के लिए दिए गए उपमानों में सन्देह बना रहे तथा निशचय न हो सके, वहां सन्देह अलंकार होता है !जैसे –
सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है ।
सारी ही की नारी है कि नारी की ही सारी है ।

*10- व्यतिरेक – जहां कारण बताते हुए उपमेय की श्रेष्ठता उपमान से बताई गई हो , वहां व्यतिरेक अलंकार होता है !*
जैसे –
का सरवरि तेहिं देउं मयंकू । चांद कलंकी वह निकलंकू ।।
मुख की समानता चन्द्रमा से कैसे दूं ? चन्द्रमा में तो कलंक है , जबकि मुख निष्कलंक है !

*11- असंगति – कारण और कार्य में संगति न होने पर असंगति अलंकार होता है !*
जैसे –
हृदय घाव मेरे पीर रघुवीरै ।
घाव तो लक्ष्मण के हृदय में हैं , पर पीड़ा राम को है , अत: असंगति अलंकार है !

*12- प्रतीप – प्रतीप का अर्थ है उल्टा या विपरीत । यह उपमा अलंकार के विपरीत होता है । क्योंकि इस अलंकार में उपमान को लज्जित , पराजित या हीन दिखाकर उपमेय की श्रेष्टता बताई जाती है !*

जैसे –
सिय मुख समता किमि करै चन्द वापुरो रंक ।
सीताजी के मुख ( उपमेय )की तुलना बेचारा चन्द्रमा ( उपमान )नहीं कर सकता । उपमेय की श्रेष्टता प्रतिपादित होने से यहां प्रतीप अलंकार है !

*13- दृष्टान्त – जहां उपमेय , उपमान और साधारण धर्म का बिम्ब -प्रतिबिम्ब भाव होता है,*

जैसे-
बसै बुराई जासु तन ,ताही को सन्मान ।
भलो भलो कहि छोड़िए ,खोटे ग्रह जप दान ।।
यहां पूर्वार्द्ध में उपमेय वाक्य और उत्तरार्द्ध में उपमान वाक्य है ।इनमें ‘ सन्मान होना ‘ और ‘ जपदान करना ‘ ये दो भिन्न -भिन्न धर्म कहे गए हैं । इन दोनों में बिम्ब -प्रतिबिम्ब भाव है । अत: दृष्टान्त अलंकार ह
1.3K views11:18
ओपन / कमेंट