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मेरा प्रश्न है क्या तामसिक साधनाओं में पूर्ण सफलता एवं प्रत्यक | Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

मेरा प्रश्न है
क्या तामसिक साधनाओं में पूर्ण सफलता एवं प्रत्यक्षीकरण के लिए साधक में पहले से ही किसी देवता या मंत्र की एक निश्चित ऊर्जा का होना आवश्यक है; या एक शुरुवाती साधक भी निर्धारित विधि एवं
नियमो का पालन करते हुए भी पूर्ण प्रत्यक्षीकरण प्राप्त कर सकता है

उत्तर -
मेरा सभी साधकों से एक निवेदन है आप प्रश्न करते समय आपको किस माध्यम से यह सूचना प्राप्त हुई है वह भी लिखें जैसे साधक का प्रश्न है तामसिक साधना से पूर्व देवी देवता की साधना करने से उर्जा प्राप्त होती है. इससे मुझे उसी अनुसार उत्तर देने में आसानी होगी.

अब समझिये तमस से तामसिक आया है तमस का मूल अर्थ है अन्धकार, अज्ञान अथवा काला इसी प्रकार से तामसिक साधना का अर्थ है वह साधनाएं जो अंधकारमय है अथवा जिनसे शक्ति तो प्राप्त हो सकती है लेकिन ज्ञान नही अथवा जीवन का प्रकाश नही और दैविक साधनाएं जीवन में प्रकाश, ज्योति, जाग्रति प्रदान करती हैं. तमस का दूसरा अर्थ है वीर्य अब इसे समझाने के लिए अलग से विडियो बनाना पड़ेगा अभी के लिए यह समझें की वीर्य तमस है.

अब आप समझें इस दोनों का आपस में कोई लेना देना नही है प्रकाश और अंधकार एक साथ कैसे हो सकते हैं ? इसलिए यह कहना की दैविक साधना करना ज़रूरी है यह उचित नही है लेकिन जिस प्रकार से प्रत्येक शक्ति का महाशक्ति का अधिकार है अथवा उनके माध्यम से वह नियंत्रित है उसी प्रकार से नाना प्रकार की तामसिक शक्तियां माता काली द्वारा नियंत्रित है इसलिए यदि माता महाकाली का साधक पर आशीर्वाद है ऐसे में साधक को तामसिक शक्ति द्वारा क्षति नही पहुचाई जा सकती है.

मूल नियम किसी भी साधना हेतु है - नियंत्रण , स्थिरता , अनुशाशन एवं एकाग्रता यदि आप इनका पालन करेंगे आप किसी भी साधना को पूर्ण कर सकेंगे.

जीवन में कई साधना करने पर व्यक्ति किसी एक साधना में सफल होते हैं लेकिन कल्पना करना और यह सोचना की मैं अपने जीवन में १० - ५० दिन किसी की पूजा की साधना की अब यह उसका कर्तव्य है की वह मुझे दर्शन दे या मेरे सारे काम करे तो ऐसा संभव नही है आपको प्रयास करते रहना है परिणाम मिलते रहेंगे.