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महो दय, राक्षसी विद्या क्या होती है? क्या इसकी दीक्षा मिलती है | Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

महो दय, राक्षसी विद्या क्या होती है? क्या इसकी दीक्षा मिलती है?

उत्तर -
राक्षस शब्द रक्ष से आया है जिसका आधार है सुरक्षा सर्वोप्रथम ऐसी विद्या जिनसे स्वयं की सुरक्षा उसके उपरान्त उन विद्या के अहंकार के आधीन दुरूपयोग यह विद्याएँ अत्यंत गोपनीय हैं इनकी शिक्षा दीक्षा देना सार्वजानिक रूप से निषेध है इसलिए आप के इस प्रश्न का उत्तर जितना संभव है उतना मैं ज़रूर दूंगा.

राक्षस यह वह विद्या है जो मनुष्य को अपनी सर्वोच्च स्थिति में जल्दी पंहुचा देती है इसका कार ण है इसमें प्रयोग होने वाले मंत्र एवं विधान इन्हें कभी भी दूषित नही किया गया है ये वैसे के वैसे ही उपलब्ध हैं और यही वह विद्या है जिसके माध्यम से साधक किसी राक्षस की सिद्धि करके इस विद्या के अन्य रहस्य को जनता है लेकिन उससे पहले गुरु शुक्राचार्य की साधना आवश्यक है उसके बाद ही ऐसी साधनाएं सिद्ध होती है जब तक उनक आशीर्वाद नही राक्षस साधना सिद्ध नही हो पायेगी.

यह वो दिव्या मंत्र है जिससे गुरु शुक्राचार्य की सिद्धि की जाती है - रूह हूम श्रीम शह नत पुरुश्चर्याय यथार्थे रम शुक्र नाभिक आचार्य शूल नमः ॐ वम वम वम फट ।

दीक्षा एवं अन्य नियम हेतु आपको प्रत्यक्ष आना आवश्यक है इसके लिए आप लखनऊ आश्रम आ सकते हैं.