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Guru ji apne bhai ki kundali dikhayi hai to use mata chinmasti | Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

Guru ji apne bhai ki kundali dikhayi hai to use mata chinmastika tantra aur anya grah tantra dharan karne ka paramarsh diya hai grahn dosh hai surya aur chandra rahu ketu neech ke hai tantra dharan karne se grah anukool ho jaayenge guru ji kripa karke bataaye guru ji bada pareshaan hoon.

उत्तर -
कुंडली के विश्लेषण में आप ३ प्रश्न पूछ सकते हैं और अलग अलग प्रश्न के उत्तर में रत्न, तंत्र, दान, उपाय एवं मंत्र जप अथवा साधना के विषय में जानकारी दी जाती है. अब यह आपकी इच्छा है आप किसका चयन करते हैं क्यूंकि उसमे सिर्फ तंत्र धारण करने के लिए ही नही कहा जाता है अन्य निशुल्क उपाय भी दिए गये हैं जिन्हें आप करके अपनी समस्या से छुटकारा पा सकते हैं.

लेकिन वर्तमान समय में मनुष्य के द्वारा श्रम न करने या ऐसा सोचने से कहीं मुझसे कोई गलती हो गयी और मेरा मंत्र जप का लाभ नही मिले अथवा दान नही दे पाया कहीं कोई गलती न हो जाये इन सभी समस्या को दूर करने या इनसे बचने के लिए व्यक्ति तंत्र रत्न आदि धारण करते हैं अथवा अपनी पूजा पाठ किसी अन्य से करवाते हैं.

आपका प्रश्न है क्या तंत्र धारण करने से सभी ग्रह अनुकूल हो जाते हैं - तंत्र धारण करने का अर्थ यह नही है की जीवन की सभी समस्या आपके किये गये कर्म अथवा उनके मिल रहे फल सब तंत्र के माध्यम से बदल जायेंगे यह करने की शक्ति तो स्वयं महाकाल में ही है की आपके काल में पूर्ण परिवर्तन ला दें तंत्र के माध्यम से जो ग्रह आपको वर्तमान समय में जितना नुक्सान दे रहे हैं वह उतना नही देंगे और आपके प्रति अनुकूलता आएगी.

जीवन में यह मार्ग जिसे भक्ति श्रद्धा अथवा साधना कहते हैं इसमें अंत किसी ने नही देखा है सम्पूर्ण विश्व इश्वर की भक्ति में लीन है अनेक प्रकार की प्रक्रिया के माध्यम से वह साम्प्रदाय अनुसार भिन्न हो सकती है लेकिन विश्वास सभी को है की परिवर्तन वह आर्थिक मानसिक आत्मिक आध्यात्मिक सभी इश्वर के द्वारा ही लाया जा सकता है. समस्त परिवर्तन का आदर उर्जा ही होती है जो मानव में पूर्ण विराजमान है और इसी उर्जा का छोटा स्वरूप तंत्र है यदि किसी उर्जा में कुछ कमी है तंत्र के माध्यम से वह बढ़ जाएगी और यदि कोई उर्जा आवश्यकता से अधिक है वह तंत्र के माध्यम से नियंत्रित हो जाएगी. जिस प्रकार से मशीन के माध्यम से चीज़े आसन हो जाती है उसी प्रकार तंत्र के माध्यम से जीवन यापन आसन हो जाता है.