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प्रणाम गुरु देव, मैंने कितनी ही बार श्मशान साधनाएं सम्पन्न किय | Sahaj Kriyayog Sadhna Adhyatmik Trust

प्रणाम गुरु देव, मैंने कितनी ही बार श्मशान साधनाएं सम्पन्न किया है और मुझे अनुभव होते हैं परन्तु प्रत्यक्षीकरण बहुत कम होता है,

उत्तर –
देखिये अब १० में १० साधना तो मुझसे स्वयं भी पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सकती हैं मैं स्वयं भी १० साधना करूँगा तो उसमे से ३ अथवा अधिकतम ४ पूर्ण रूप से सफल होंगी और १ या २ आंशिक रूप से इसलिए इसके विषय में अधिक विचार करने की आवश्यकता नहीं है जिस साधना से सफलता प्राप्त होती है उसे पूर्ण अक्र्के निर्धारित समय तक उसका प्रयोग करें जब समय पूर्ण हो जाये तो नवीन साधना करें. देखिये साधनाएं गुरु मुख से चलती चली आ रही हैं कभी किसी में कुछ कमी भी हो सकती कभी कुछ नियम में गलती भी हो सकती है इसलिए इस विषय में अधिक चिंतन का कोई लाभ नहीं. प्रत्यक्षीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे समय लगता है अर्थात पूर्ण भौतिक रूप में एक शक्ति को मनुष्य के समक्ष यदि मनुष्य स्वरुप में आना है तो अन्य स्वरुप में शक्ति को हम कई बार प्रत्यक्ष स्वीकार नहीं कर पाते हैं इसलिए पूरण समय देना आवश्यक है जिससे शक्ति का पूर्ण लाभ मिल सके और शक्ति प्रत्यक्ष होने के बाद भी एक निर्धारित समय तक ही अपनी प्रत्यक्ष स्थिति में रहती हैं उसके बाद वास्तविक स्थिति में चली जाती है इसलिए अपने कार्य पूर्ति पर पूर्ण ज्यादा ध्यान दीजिये न की प्रत्यक्ष करने में क्यूंकि आप अघोरी हैं इसलिए आपके लिए कुछ साधनाएं प्रत्यक्ष कुछ अप्रत्यक्ष आवश्यक भी है साधना में मदद हेतु और जीवन में रक्षा हेतु भी. कभी यदि मेरे पास समय होगा तो आश्रम से जुदा हुआ जंगल हैं उसमे साधना का आपको अवश्य मौक़ा देंगे.