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A micro niche of political animals. Zoon Politikon. PSIR ,GS Relevant content,,Editorial by Scholars...answer writing practice ...Total audio classes and Class Notes in Hindi are uploaded in this channel...just scroll up ...@TilokaRam
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नवीनतम संदेश 7
2021-09-23 08:53:30
Register : https://cutt.ly/IEiWke3“There is always room for improvement”
You are very near to victory therefore don't miss the chance to improve yourself more before Prelims.
Attempt
Pragyaan Mock-4 and work on your mistakes by revising the topics thoroughly.
Time slot has been similarly selected as per the UPSC examination so that you can adapt yourself to that environment in advance.
GS 1 at 9:30 - 11:30
Duration: 2 Hours
No. of Questions: 100
After a 3 Hours gap, ready for the next battle round. This will teach you how to calm yourself during this gap to perform well in the second paper.
CSAT at 2:30 - 4:30
Duration: 2 Hours
No. of Questions: 80
737 views05:53
2021-09-16 13:21:47
https://upsconline.nic.in/eadmitcard/admitcard_csp_2021/
168 views10:21
2021-09-07 21:02:29
301 views18:02
2021-09-05 10:15:54
EPFO 2021 exam paper
JOIN T.ME/TESTSERIES1
193 views07:15
2021-08-29 19:22:24
182 views16:22
2021-08-21 22:50:26
533 views19:50
2021-08-21 19:36:16
3.आप भारत कई बार आए हैं, भारत आपकी स्मृतियों में किस तरह बसा है और भारत के बुद्धिजीवियों के साथ आप अपने अनुभवों को कैसे याद करते हैं?
मैं कई बार भारत आया हूं और मेरा शानदार अनुभव रहा। यह एक अद्भुत देश है। अकूत धन-संपदा, सांस्कृतिक रूप से धनी और अविश्वसनीय गरीबी। मैंने मुंबई की बस्तियों जैसा कभी कुछ नहीं देखा। यह एक मिश्रण है चरम भोग विलास और भयंकर गरीबी का, जो कि तबाहीपूर्ण है। मैं आपको एक किस्सा सुनाता हूं, एक सुबह मैं दिल्ली में था। मैं एक प्रोटेस्ट में जा रहा था। मैं अरुणा रॉय के साथ था, जो कि अद्भुत महिला हैं। हमें गरीब महिलाओं ने घेर लिया, जिनकी गोद में बच्चे थे और वे कुछ सिक्के मांगने लगीं। मैंने गौर किया कि उस महिला ने कोई ध्यान नहीं दिया। मैंने पूछा तो उन्होंने कहा कि इससे संघर्ष एक आत्मघाती कदम है, यह भारत है, अत्यधिक क्षमता, भयंकर संसाधन। अंग्रेजों के आने से पहले 18वीं सदी का सबसे अमीर देश। भारत अंग्रेजों की मचाई तबाही से बच सकता है, लेकिन उसे लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास बनाए रखने वाला नेता चाहिए, जो संस्कृति का धनी हो और तकनीकी रूप से मजबूत हो। यह दिलचस्प है कि भारत और चीन 18वीं सदी तक विश्व के केंद्र थे। भारत के पास चीन से भी अधिक बड़ी शक्ति बनने की काबिलियत है, लेकिन यह एक संघर्षपूर्ण रास्ता है। भारत की बहुत संपन्न बौद्धिक परंपरा है। मेरे अपने क्षेत्र में भी शानदार लोग भारत से हैं, जो मेरे घनिष्ठ मित्र भी हैं। कुछ जगहों पर गरीबी और अमीरी का भेद मिटा है, मसलन केरल, तमिलनाडु पूरे भारत से अलग हैं, वहां कोशिश हुई है।
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2021-08-21 19:35:56
2,आप कोरोना के बाद की दुनिया का भविष्य किस तरह देखते हैं? विशेष रूप से राजनीतिक और सामाजिक भविष्य। इसका जवाब यह ध्यान में रखकर दीजिए कि युवाओं को ही इसकी सबसे ज्यादा कीमत चुकानी है..
आज की युवा पीढ़ी वस्तुतः मानव इतिहास की सबसे अद्वितीय पीढ़ी है। मानव कई हजार सालों से इस पृथ्वी पर हैं। अब आज की युवा पीढ़ी को यह तय करना है कि मानव इतिहास का यह प्रयोग जीवित रहेगा या नहीं? हम ऐसे संकटों से गुजर रहे हैं, जिनके समाधान को अब हम टाल नहीं सकते। इनमें सबसे भयावह है धरती का तापमान बढ़ना। विश्व की एक वैज्ञानिक संस्था की वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि अगर हम इसी रफ्तार से संसाधनों का दोहन करते रहे तो कुछ दशकों में धरती का तापमान 3-4 डिग्री अधिक होगा औद्योगिक क्रांति शुरू होने के वक्त से। ऐसे में जीवन असंभव हो जाएगा। यह प्रलय होगी। दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व निर्जन हो जाएंगे। तो हम ऐसी दुनिया में जा रहे हैं। इसका समाधान हो सकता है। हमारे पास संसाधन हैं। हम जानते भी हैं कि ये कैसे हो सकता है। इसके तरीके भी हैं, लेकिन इसे त्वरित प्रभाव से अभी लागू किया जाना चाहिए। जीवाश्म ईंधन के दोहन की एक सीमा हो। इस सदी के मध्य तक हमें जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को बंद करना होगा। इसके उदाहरण भी हैं, यूरोप ने अभी घोषणा की है कि 50 प्रतिशत संसाधन सतत विकास प्रक्रिया के लिए होंगे। लेकिन सिर्फ इतना ही पर्याप्त नहीं है, अभी और भी करने की जरूरत है। डॉनल्ड ट्रंप ने प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को बढ़ाया और सारे नियामकों को खत्म किया। ट्रंप को अगर और चार साल के लिए राष्ट्रपति चुना जाता तो हम शायद खत्म हो जाते। सौभाग्य से अब ऐसा नहीं है। अब कुछ अच्छा हो सकता है, लेकिन यह आपके और आप की युवा पीढ़ी के हाथ में है। यही आपकी चुनौती और जिम्मेदारी है।
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2021-08-21 19:35:34
1उदारवादी लोकतंत्र के विचार और अस्तित्व पर आ रहे संकटों को आप कैसे देखते हैं? इस समस्या का समाधान आप किस दिशा में देखते हैं?
दुनिया के दो सबसे पुराने लोकतंत्र- ब्रिटेन और अमेरिका, दोनों गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। ब्रिटेन तो टूट ही रहा है। बोरिस जॉनसन ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर गंभीर हमला किया है, जिसे शायद सुप्रीम कोर्ट को आकर निरस्त करना पड़े। स्कॉटलैंड और वेल्स में जनमत संग्रह होने की संभावना है। कमोबेश ऐसे ही हालात अमेरिका के हैं। यहां हमने जनवरी में तख्तापलट की एक कोशिश देखी। कैपिटल हिल पर गुस्साई भीड़ का चढ़ आना एक गंभीर बात है। यह बात यूरोप तक भी जाती है। वहां ऐसी पारंपरिक पार्टियां, जिन्होंने लंबे समय तक सत्ता चलाई है, टूट रही हैं, गायब हो रही हैं। अगर हम इसके कारणों की पड़ताल करें, तो इसके स्रोत पुराने हैं। पिछले 40 सालों के नव-उदारवादी कार्यक्रम आज आम जनता के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं। उन्होंने तेजी से धन के एकत्रीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है। उन्होंने सभी को गंभीरता से नुकसान पहुंचाया है। इसने लोगों में गुस्सा, प्रतिशोध और संस्थानों की अवमानना को बढ़ाया है। यहां तक कि विज्ञान के भी विरोध को जन्म दिया है। इसने विश्वास को नुकसान पहुंचाया है। यह लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली में एक सामान्य गिरावट है। कोई सरकार नहीं, सब कुछ निजी हाथों में देने का चलन, आप सोचिए क्या होने वाला है? अभी अमेरिका में एक शोध हुआ, जिसमें सामने आया है कि 50 ट्रिलियन डॉलर कामगारों और मध्य वर्ग जेब से अमीरों के पास गए हैं। जहां-जहां नव उदारवाद आया है, वहां-वहां इसी तरह के घातक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
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