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प्रशासक समिति (Reg. E&SWS) रामायण एवं वेद पाठन | प्रशासक समिति हिन्दी चैनल

प्रशासक समिति (Reg. E&SWS)

रामायण एवं वेद पाठन

श्रीमद् वाल्मीकि रामायणम्

बालकाण्ड:
॥ त्रिसप्ततितमः सर्गः (सर्ग ७३) ॥

तमेवमुक्त्वा जनको भरतं चाभ्यभाषत ॥ ३१ ॥
गृहाण पाणिं माण्डव्याः पाणिना रघुनन्दन ।

भावार्थ : लक्ष्मणसे ऐसा कहकर जनकने भरतसे कहा- "रघुनन्दन ! माण्डवीका हाथ अपने हाथमें लो' ॥ ३१½ ॥

शत्रुघ्नं चापि धर्मात्मा अब्रवीन्मिथिलेश्वरः ॥ ३२ ॥
श्रुतकीर्तेर्महाबाहो पाणिं गृह्णीष्व पाणिना ।
सर्वे भवन्तः सौम्याश्च सर्वे सुचरितव्रताः ॥ ३३ ॥
पत्नीभिः सन्तु काकुत्स्था मा भूत् कालस्य पर्ययः ।

भावार्थ : फिर धर्मात्मा मिथिलेशने शत्रुघ्नको सम्बोधित करके कहा - 'महाबाहो ! तुम अपने हाथसे श्रुतकीर्तिका पाणिग्रहण करो। तुम चारों भाई शान्तस्वभाव हो। तुम सबने उत्तम व्रतका भलीभाँति आचरण किया है। ककुत्स्थकुलके भूषणरूप तुम चारों भाई पत्नीसे संयुक्त हो जाओ। इस कार्यमें विलम्ब नहीं होना चाहिये ' ॥ ३२-३३½ ॥

क्रमशः.....


अहिंसा परमोधर्मः धर्म हिंसातथैव च:

अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है, और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उससे भी श्रेष्ठ है..!!

जब जब धर्म (सत्य) पर संकट आये तब तब तुम शस्त्र उठाना
         
       जय श्री राम

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