हमारा धूप में घर, छाँह की क्या बात जानें हम अभी तक तो अकेले ही | Posham Pa ― a Hindi literary website
हमारा धूप में घर, छाँह की क्या बात जानें हम
अभी तक तो अकेले ही चले, क्या साथ जानें हम
लो पूछ लो हमसे
घुटन की घाटियाँ कैसी लगीं
मगर नंगा रहा आकाश, क्या बरसात जानें हम!
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