अकेली औरत अकेली नहीं रह जाती वह अपनी उँगली थाम लेती है वह अपने | Posham Pa ― a Hindi literary website
अकेली औरत अकेली नहीं रह जाती वह अपनी उँगली थाम लेती है वह अपने साथ सिनेमा देखती है पानी की बोतल बग़ल की सीट पर नहीं ढूँढती किताब के बाईसवें पन्ने से आगे चलती है लम्बी साँस को चमेली की ख़ुशबू-सा सूँघती है!