देख लो ग़ौर से देख लो मेरे आक़ा कि अब असल में तुम नहीं रहे मेरे आक़ा, नयी सदी का पहला आघात हो चुका है तुम्हारी नाभि पर तुम्हारी नाभि में हलाक है आदमी की अधूरी यात्राएँ ग़ौर से देख अब मैं कनीज़ नहीं औरत हूँ। https://poshampa.org/ab-main-aurat-hoon-kuberdutt-kavita/ 25 views04:59