यह क्या है जो इस जूते में गड़ता है यह कील कहाँ से रोज़ निकल आती है इस दुःख को रोज़ समझना क्यों पड़ता है! https://poshampa.org/humne-yah-dekha-a-poem-by-raghuvir-sahay/ 58 views12:30