मेरे हाथ खोल दिए जाएँ तो मैं इस दुनिया की दीवारों को अपने ख़्व | Posham Pa ― a Hindi literary website
मेरे हाथ खोल दिए जाएँ तो मैं इस दुनिया की दीवारों को अपने ख़्वाबों की लकीरों से सियाह कर दूँ और क़हर की बारिश बरसाऊँ और इस दुनिया को अपनी हथेली पर रखकर मसल दूँ!