मुझे लड़ना है— जनतंत्र में उग रहे वनतंत्र के ख़िलाफ़ जिसमें एक गैण्डानुमा आदमी दनदनाता है मुझे लड़ना है— अपनी ही कविताओं के बिम्बों के ख़िलाफ़ जिनके अंधेरे में मुझसे ज़िन्दगी का उजाला छूट जाता है। https://poshampa.org/ek-chhoti-si-ladai-kumar-vikal/ 87 views09:29