Get Mystery Box with random crypto!

मन जीतने वाला ही जग जीत सकता है... साथियों जीवन में कोई भी | Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy

मन जीतने वाला ही जग जीत सकता है...


साथियों जीवन में कोई भी बड़ी सफलता प्राप्त करने के लिए या फिर महान लक्ष्य की उपलब्धि हेतु "मन पर नियंत्रण" होना बहुत जरूरी है । वर्तमान समय में कई तरह के विचलन और अश्लीलता युक्त वातावरण में युवाओं को, छात्रों को और  विद्यार्थियों को भी अपने मन पर नियंत्रण करना मुश्किल
होता जा रहा है


दिन बहुत गुज़रने के बाद
आँखों से मेरी अश्रु बह गए
क्षणिक सुखों की चाह में
मासूम जवानों के यौवन बह गए...


मन को नियंत्रित करने की विधि या कुछ महत्वपूर्ण उपाय न जानने के कारण युवाओं का मन आसानी से विचलित हो जाता है और वे अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। "श्री कृष्ण " भगवान ने भी  अर्जुन को इंद्रियों को वश में रखने के लिए उपदेश दिया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि मन ही मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कारण होता है। जिस व्यक्ति का मन उसके नियंत्रण में है, वह उसका मित्र है लेकिन जो व्यक्ति अपने मन के नियंत्रण में है, तब वह मन शत्रु के समान है । क्योंकि ऐसा मन व्यक्ति को इंद्रियों के क्षणिक भौतिक अस्थायी सुखों में ही फसाए रखता है और उसकी शक्ति का , उसके समय का और उसकी ऊर्जा का नाश हो जाता है और इस तरह उसका जीवन भी नष्ट हो जाता है।

ऐसे में श्री कृष्ण यह ज्ञान देते  हैं की मन को नियंत्रित करने के लिए व्यक्ति में " दृढ़ निश्चय" का  होना बहुत जरूरी है। साथ ही उसे "धैर्यवान "भी होना होगा। साथ ही साथ उसे निरंतर अभ्यास और वैराग्य के पथ पर चलना जरूरी है


सारथी है मन इस देह का
कहीं भी इसे ले जाएगा
अंकुश नही जो आत्मा का
तो गहरे गर्त में ले जाएगा...

अभ्यास में व्यक्ति अपने आप को सुधारेगा और सही दिशा में खुद को लगाएगा और वैराग्य इसलिए ताकि उसे एहसास हो कि इन्द्रीयजनित सुख नश्वर है और सारहीन है। वह अपने अनुभवों से सीखे कि सारे दैहिक सुख अंत में दुःख की तरफ धकेलने वाले है, । इंद्रियां भी नश्वर है क्योंकि ये नश्वर शरीर का ही हिस्सा है। 


जब व्यक्ति यह गहराई से समझने लगता है तब व्यक्ति के मन में वैराग्य पैदा होता है। फिर उसे सांसारिक सुख नश्वर लगते हैं और इस प्रकार व्यक्ति , अपने अभ्यास में  सुदृढ़ होता है । अभ्यास के दौरान व्यक्ति को अपना मन एक निश्चित लक्ष्य पर लगाना होगा और मन वहां से जब-जब भी भागेगा या भटक जाएगा तब उसे पुनः इसी मार्ग पर वापस लाना होगा। ऐसा हमें तब तक करते रहना  होगा जब तक की हमारा मन पूरी तरह हमारे नियंत्रण् में न आ जाए और यदि ऐसे में हम असफल भी होते हैं तो हमें निराश नहीं होना है। हमें पुनः प्रयास करना है। इसीलिए दृढ़ निश्चय और धैर्य की प्रधानता बताई गई है और यही हमारा कर्तव्य है। अंत में एक समय ऐसा ज़रूर आएगा जब मन पूरी तरह हमारे नियंत्रण में होगा और वह हमारे अनुसार ही आचरण करेगा। (विश्वासों फलदायक:)

अभ्यास करें जो निरंतर मन विजय हेतु
एक दिन प्रयास उसका सफल हो जाता है
जिस मन मे हो जाए "वैराग्य" स्थिर
दलदल में रहकर भी वो "उत्पल" हो जाता है...


और उसके बाद वह मनवांछित सफलता मोक्ष और महान उपलब्धि को प्राप्त कर सकता है और ऐसा व्यक्ति ही वास्तव में अपने जीवन का पूर्णतया संतुलित रूप में  आनंद लेता है और उसीका जीवन सार्थक भी होता है। अतः अपने मन को सही दिशा में Channelize कीजिये।
क्योंकि शक्ति कि हममें कोई कमी नही लेकिन उसे संभालने वाले संकल्प की ज़रूरत है। यही हमारा टास्क है




               धन्यवाद
 


यह ऊर्जावान और मन के प्रति सही समझ विकसित करने वाला प्रेरक लेख किसी "एक व्यक्ति" तक पहुँचाना आपकी ज़िम्मेदारी है। इससे किसी नाउम्मीद, आशाहीन,  हतोत्साहित, विचलित, भटके, व्याकुल, निराश, हताश, मायूस, लाचार, किंकर्तव्यविमूढ़, बेचैन, बेबस , क्लांत और अशांत मन को सही दिशा ज़रूर मिलेगी...
(अब आपकी बारी