जब व्यक्ति ईश्वर कि भक्ति करता है, तो वह प्रेम का ही एक रूप है | Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy
जब व्यक्ति ईश्वर कि भक्ति करता है, तो वह प्रेम का ही एक रूप है। जहां वह तन -मन -धन -और वचन सब उन्ही के लिये अर्पित कर देता है। वही है आत्मिक आनन्द। जहाँ कोई दैहिक मलिनता टिक नही सकती
अतः उंसे पाने का प्रयास कीजिये , जिसे पाने के बाद कुछ पाना बाकी न रहे
यदि डूबना ही है तो,वही डुबोएं खुद को, जहाँ डूबकर भी तुम अमर हो जाओ ।
क्षणिक सुखों का नशा भी क्या नशा है। जो चढ़े और फिर उतर जाए। नशा करना ही है तो रब से इश्क कीजिये। जो एक बार चढ़ जाए, तो बाकी के सारे नशे उतर जाएंगे यही है भक्ति कि शक्ति
ख़ुद के कर्म करो ऐसे न झुके कभी ये शीश बना खुद को इस कदर कि हर बोल तुम्हारा दे आशीष
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