The Poem: दुआ मांगी है खुशबू बनकर ही बिखरने की दुआ मांगी | Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy
The Poem: दुआ मांगी है
खुशबू बनकर ही बिखरने की दुआ मांगी है यानी हर दिल मे उतरने की दुआ मांगी है
ए खुदा मुझपे अपना करम करना मैंने तो तेरे पथ पर चलने की दुआ मांगी है
बहता रहूँ झरने के साफ जल की तरह कुछ ऐसा बढ़ने की दुआ मांगी है...
ए खुदा मेरी दुआओ को मुकम्मल करना मैंने तो तेरी इबादत में जीने की दुआ मांगी है
रोशन रहूँ आफताब के उजाले की तरह कुछ ऐसा चमकने की दुआ मांगी है
ए खुदा मेरी दुआ ये कबूल करना मैंने तो तेरी याद में मरने की दुआ मांगी है
हौंसला रखूं दरिया के साहस की तरह कुछ ऐसा बेखौफ बनने की दुआ मांगी है ए खुदा मेरी दुआ ये मुकम्मल करना मैंने तो तेरी चाह में उतरने की दुआ मांगी है
भंवरे की तरह प्यार के तराने गुनगुनाने की दुआ मांगी है ए खुदा मेरी दुआ ये कबूल करना मैंने तो हर उलझन से सुलझने की दुआ मांगी है
धधकता रहूँ अन्याय की विरोधी ज्वाला बनकर ऐसा जलने की दुआ मांगी है
ए खुदा मेरी दुआओं को तू मुकम्मल करना मैंने तो तेरे इश्क़ में फना होने की दुआ मांगी है
तेरे इश्क़ में फिदा होने की दुआ मांगी है
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ईश्वर से प्रार्थना अवश्य किया कीजिये। यह आपको विनम्र बनाती है।अहंकार मिटाती है, सादगी सीखाती है।
प्रार्थना में कभी सांसारिक सुख अर्थात Matarialistic world के खिलौने न मांगे। क्योंकि इनसे आपकी तृष्णा समाप्त नही होगी। अतः वह मांगिये । जिसे मांगने के बाद कुछ मांगना बाकी न रहे...
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