The Poem: ये दौर भी थम जाएगा कौनसी अकड़ तुझमे घुसी है, कौनस | Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy
The Poem:
ये दौर भी थम जाएगा
कौनसी अकड़ तुझमे घुसी है,
कौनसी सनक तुझमे बसी है
थोड़ा मीठा बोलना यार,
ये दौर भी थम जाएगा...
कैसी निराशा तुझमे फसी है
कितनी हताशा तुझमे छिपी है
फिर से जोर लगाना यार
ये दौर भी थम जाएगा...
क्यों इतना रोता हूँ तू,,,,
क्यों नही time पे सोता है तू
फिर से schedule बनाना यार
ये दौर भी थम जाएगा..
क्यों तू इतना डरता है
बहुत कुछ चुपचाप यू सहता है
थोड़ा मुस्कुराकर तो देख
ये दौर भी थम जाएगा..
क्यों इतनी चिंता तू करता है
future कि क्यू इतनी परवाह करता है
थोड़ा अभी को जी ले न यार
ये दौर भी थम जाएगा..
क्यों आँसू के झरने बहाता है
क्यों दर्द का तू ये विरह गीत गाता है
थोड़ा फिर से आगे कदम बढ़ाना यार
ये दौर भी थम जाएगा..
क्यों तेरा आज हौंसला पस्त है
क्यों तेरी आस का भास्कर अस्त है
एक बार फिर से
उम्मीद की जोत जलाना यार
ये दौर भी थम जाएगा
ये दौर भी थम जाएगा..
धन्यवाद
शिक्षा:- प्यारे युवा साथियों आप चाहे जीवन के किसी भी मुश्किल दौर में क्यों न हो।
घबराना मत।
चाहे आप बेरोज़गार हो
चाहें आपको रिश्तों में चोट मिली हो,
चाहे आपके exam clear नही हुए है
चाहे आप किसी बुरी लत से लड़ रहे हो
अर्थात जीवन का
कोई भी कठिन क्षण क्यों न हो
आपको विश्वास और धैर्य का दामन कभी नही छोड़ना है। भरोसा रखिये ये दौर भी थम जाएगा।
अतः give up नही करना है
सफलता आपका
जन्म सिद्ध अधिकार है...
This poem is dedicate
to you dear survivor.
Never Give up
जॉइन soon:-
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शायद किसी डूबते को जीने का सहारा मिल जाये।
यह मानवता कि सेवा है...