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पीड़ा ही सुख है, और सुख ही है पीड़ा प्यारे साथियों इस प | Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy

पीड़ा ही सुख है,
और सुख ही है पीड़ा



प्यारे साथियों इस पंक्ति का भाव समझना हमारे जीवन मे बहुत ज़रूरी है। अतः इस पर विस्तार से विचार करते है...

इस पंक्ति का प्रथम अर्धांश है
,"पीड़ा ही सुख है"

अर्थात आपके कष्ट, आपकी तकलीफो के अनुभव , आपके दर्द भरे सँघर्ष के दिन, औऱ त्याग व तपस्या में बहाए गए आपके आँसू ही आपकी आगामी सफलताओं के आधार है। यही दर्द , जो आपने सहा है, वही अन्य व्यक्तियों के मार्गदर्शन हेतु दवा का काम करता है। यह आपकी शक्ति बन जाता है...
इसीलिये कहा जाता है
NO PAIN NO GAIN...


जब भी आप असफल हुए, अपने लक्ष्य से दूर हुए, या फिर किसी अपने प्रियजन को खोया। तब आपकी आँखों से बहा एक एक आँसू , आपको अन्यों के दुःख और तकलीफ को समझने की सीख दे जाता है। वे हमें विनम्र बनाते है। जिससे हमें सभी के लिये अच्छा सोचने और अच्छा करने की प्रेरणा निरंतर
मिलती रहती है।
एक भी आँसू, न तेरा खाली जाएगा
हर अश्क तेरा,लाखों मुस्कान बचाएगा
...


अर्थात जीवन मे जब जब भी हम ठोकर से प्राप्त शिक्षा को ध्यान रखेंगे। तब वही ठोकर हमारे सुधार का आधार बन जाएगी।
जब भी हम अपनी ज़िंदगी में दर्द भरे दिनों की स्मृति को याद रखते है, तब वे सफलता और समृद्धि की स्थिति में भी हमें अहंकारी नही होने देती। इस प्रकार हमारा
जीवन सार्थक होता है


जब हम किसी अपने को खो देते है, या उसकी मत्यु हो जाती है, तब वह समय भी बहुत पीड़ा देता है, किंतु इसी पीड़ा से उतपन्न होता है वैराग्य । वैराग्य क्षणिक भौतिक सुखों से, वैराग्य नश्वर शरीर और इंद्रियों से, वैराग्य सांसारिक तृष्णाओं से।
और यही वैराग्य व्यक्ति के जीवन मे भविष्य की शांति और आत्मिक सुख को जन्म देता है।
अतः स्पष्ट है, की पीड़ा भले तात्कालिक समय मे दुःख देने वाली हो, लेकिन यदि उससे प्राप्त सीख को सदा याद रखा जाए, तो वही पीड़ा जीवन के वास्तविक सुख की नींव बन जाती है...

अब इसके दूसरे अर्धांश पर विचार करते है
"सुख ही है पीड़ा"

अर्थात जब व्यक्ति अपने मुश्किल समय को भूल जाता है, या कोई अमीर व्यक्ति अपने सँघर्ष और गरीबी के दिनों को भूल जाता है। तब सफलता, प्रसिद्धि और पैसा उसे घमंडी और विलासी बना देती है। और यही विलास, प्रमाद, और अहंकार उसके विनाश के कारण बनता है।
इसी प्रकार जब कोई व्यक्ति ठोकर खाने के बाद भी अपनी नाकामियों से नही सीखता है, तो उसे पुनः असफलता और हार का सामना करना पड़ता है।

इसे एक अन्य उदाहरण से भी समझ सकते है, कई बार व्यक्ति भोगों का सेवन यह सोचकर करता है, की इससे उसे सुख की प्राप्ति होगी। लेकिन अंततः भोग ही उसे भोग लेते है, और वह व्यक्ति कई बुरी लतो में फँसकर नष्ट हो जाता है।
अतः ऐसा क्षणिक सुख, या ऐसी बुरी संगति का आनंद, या फिर सफलता और दौलत की खुमारी में किये गए भोग विलास
अंत मे घोर पतन का कारण बनते है...
अतः कहा भी गया है

भूलकर भी उस खुशी से न खेलो
पीछे हो जिसके
गम की लंबी कतारें....


शिक्षा:- जीवन मे दुःख, तकलीफ, पीड़ा, सभी के जीवन मे है। बस उनके रूप बदल जाते है। अतः ऐसे में हमे दर्द से घबराकर जीवन मे हिम्मत नही हारनी है। चलते रहने का नाम ही ज़िंदगी है।
जीवन को गति पसंद
है।
अतः अपने दुःख को अपनी कमज़ोरी मत बनने दीजिये। बल्कि अपनी पीड़ा से प्राप्त ज्ञान को लेकर अन्यो की पीड़ा मिटाइए। साथ ही अपने दर्द भरे दिनों की स्मृति को जीवन मे उस समय भी याद रखिये। जब आप सफलता और प्रसिद्धि के उच्च शिखर पर हो।
क्योंकि


यह वक़्त भी गुज़र जाएगा....
KEEP SMILING
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