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ब्रह्मचर्य ही जीवन है ब्रह्मचर्य के बिना जगत में, नहीं किसीने | Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy

ब्रह्मचर्य ही जीवन है

ब्रह्मचर्य के बिना जगत में, नहीं किसीने यश पाया । ब्रह्मचर्य से परशुराम ने इक्कीस बार धरणी जीती | ब्रह्मचर्य से वाल्मीकी ने रच दी रामायण नीकी | ब्रह्मचर्य के बिना जगत में किसने जीवन रस पाया ?

ब्रह्मचर्य से रामचन्द्र ने सागर पुल बनवाया था | ब्रह्मचर्य से लक्ष्मणजी ने मेघनाद मरवाया था। ब्रह्मचर्य के बिना जगत में सब ही को परवश पाया। ब्रह्मचर्य से महावीर ने सारी लंका जलाई थी। ब्रह्मचर्य से अगंदजी ने अपनी पैज जमाई थी | ब्रह्मचर्य के बिना जगत में, सबने ही अपयश पाया। ब्रह्मचर्य से आल्हा उदल ने, बावन किले गिराए थे । पृथ्वीराज दिल्लीश्वर को भी, रण में मार भगाए थे | ब्रह्मचर्य के बिना जगत में केवल विष ही विष पाया । ब्रह्मचर्य से भीष्म पितामह, शरशैया पर सोये थे | ब्रह्मचारी वर शिवा वीर से, यवनों के दल रोये थे | ब्रह्मचर्य के रस के भीतर हमने तो षटरस पाया | ब्रह्मचर्य से राममूर्ति ने, छाती पर पत्थर तोड़ा | लोहे की जंजीर तोड़ दी, रोका मोटर का जोड़ा | ब्रह्मचर्य है सरस जगत में बाकी को करकश पाया।

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