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THE POEM:- जीत तो तेरी अर्धांगिनी है कभी कभी ज़िंदगी मायूस | Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy

THE POEM:-
जीत तो तेरी अर्धांगिनी है


कभी कभी ज़िंदगी
मायूस सी लगती है
पता नही क्यों पर
थोड़ी उदास सी लगती है
..

चाहता तो हँसना मैं भी हूँ
पर दिल क्यूं रोता है .. 

कैसे समझाऊँ मैं खुद को
ऐसा क्यों होता है..
ऐसा क्यों होता है..

कभी पल भर में ही,
दुनिया बदलने का हौंसला होता है
और अगले ही पल
हौंसले से भी फैसला होता है

ज़िंदगी मैं जी रहा हूँ
या ज़िंदगी मुझे जी रही है
नही समझ पा रहा हूँ,मैं
साथ मेरे,,
ये क्या हो रहा है..?

कभी लगता है कि
दुनिया का लीडर हूँ मैं
और कभी,सोचता हूँ के
मेरी हैसियत ही क्या है..


जाने
कितने आये धुरंधर यहाँ
धूल से ज़्यादा

मेरी औकात  क्या है..
मेरी औकात  क्या है..


खुद मायूस होकर
किसी में जोश भरना
इतना आसान नही
कैसे समझाऊँ , मैं सबको
के इंसान हूँ मैं भी
कोई भगवान नही..


जब मन टूटने लगता है और
शरीर बिखर सा जाता है
तब रोना चाहूँ बहुत तो भी
पर अब कोई न,आंसू आता है
कोई न आँसू, आता है..


कहाँ गयी वो सम्वेदनाएँ मेरी
कहाँ गए ,वो जज़्बात
जिनकि बदौलत मैं आज  फिर
झट से बदल डालू मेरे हालात...


क्योंकि
वक्त बदलता है यहाँ
और बदल जाते है खयालात
आज तू मुस्कुरा , बस कैसे भी
कल बदलेंगे ही तेरे दिन
चाहे जो है अब हालात


एक म्यान में ,होती नही कभी
कोई दो तलवार
होती एक ही है वो
जो निकल पड़े
करने हर पापी का उद्धार
करने हर पापी का उद्धार...


रख हिम्मत,तू भी खुद पर
और सुन ले मेरी बात

निकलेगा सूरज जल्दी,ही, और
ढल जाएगी ये काली रात
ढल जाएगी ये काली रात
      
बिन दलदल के
कोई कमल खिलता नही...
बिन कोयले के
कभी हीरा बनता नही...
(2)


आज अगर तू पतित है तो क्या)
सुना है कभी
कि कोई पतित
पावन बनता नही..
पावन बनता नही..

विश्वास कि डोरी थाम तू
और कदम मिलाकर चल...
जीत तो तेरी "अर्धांगिनी" है


आज नही तो कल

आज नही तो कल


                  धन्यवाद

जॉइन soon:
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शिक्षा :- प्यारे साथियों जीवन मे  ये पॉजिटिव attitude आपको रखना ही होगा...
यह कदम कदम पर आपको उठाता रहेगा
हालातों के थपेड़े जब आपको अस्त व्यस्त करेंगे, तब यही सकारात्मक नज़रिया आपकी
जिजीविषा को बनाये रखेगा...
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