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गिल्ट क्या है और इससे निकलना क्यों जरूरी है? वर्तमान समय म | Ayurveda Yoga Meditation आयुर्वेद

गिल्ट क्या है और इससे निकलना क्यों जरूरी है?


वर्तमान समय में यह समस्या भी युवाओं में बढ़ती जा रही है जिसके कारण वह "अपराध बोध" और "आत्मग्लानि" में इतने डूब जाते हैं , कि कई बार इससे बाहर  निकल पाना उनके लिए सक्षम नहीं हो पाता है और नकारात्मक स्थिति में तो आत्महत्या तक कि भी नौबत आ सकती हैं। अतः इस लेख में हम कुछ बिंदुओं पर बात करेंगे। जैसे:-

गिल्ट क्या है और यह क्यों होती है?

इससे निकलना क्यों जरूरी है ?

और गिल्ट से बाहर आने के उपाय क्या है?


साथियों, गिल्ट या अपराध बोध कोई नया शब्द नहीं है। हम सभी इससे परिचित हैं।जब भी किसी के जीवन में कोई गलती हो जाती है या कोई बड़ा पाप हो जाता है तो उसके मन में एक अपराध बोध या खुद को कसूरवार ठहराने का भाव पैदा होता है।
एक सीमा तक तो यह उचित भी है, क्योंकि हमें अपनी गलतियों का बोध कराकर सही कार्य करने की और जीवन में सुधार करने की प्रेरणा देता है।

लेकिन इस अपराध बोध कि अति बड़ी नुकसान दायक है। क्योंकि फिर वह व्यक्ति को भीतर से तोड़ देती है। उसके आगे बढ़ने का या जीवन को खुलकर जीने का उत्साह ही मिटा देती है।  दूसरे अर्थों में इसे हम एक "नेगेटिव इमोशंस अर्थात एक बहुत ही प्रबल नकारात्मक भावना " कह सकते हैं जो व्यक्ति के जीवन पर और उसके कर्मों पर उसके आने वाले भविष्य पर बहुत बड़ा प्रभाव डालती है। वह उसकी दिशा और दशा दोनों को बदल सकती है। because

Guilt is a silent Killer....


अतः इससे बचना बहुत ज़रूरी है। निम्न बिंदुओं का ध्यान रखे, अमल में लाएं:-

यदि कोई गलती हुई भी है जीवन में तो
सबसे पहले उसे एक्सेप्ट करे। स्वयं को समझाए हम इंसान है, हम से गलती हो सकती है। यह भी समझदारी और परिपक्वता की निशानी है,

ध्यान रहे जो अब बीत चुका है, उसे अपने वर्तमान पर हावी न होने दे। अन्यथा भविष्य भी तनावग्रस्त हो सकता है,


हम पिछली गलती से क्या सीख सकते हैं। और क्या सुधार कर सकते हैं, इसी पर हमारा नियंत्रण है जो हो चुका है। उसे बदलना हमारे बस की बात नहीं है। अतः उसकी चिंता त्याग दे


स्वयं से प्यार से बात करे। जब किसी अन्य के जीवन में कोई ऐसी मुश्किल होती है, तब हम उसे ख़ुद को एक्सेप्ट करने की ही सलाह देते है। ठीक इसी तरह स्वयम भी उसका अमल करें। और खुद को क्षमा करें,

दोस्तों कई बार गलती इतनी अधिक दुखदायी नही होती ,जितना कि हम उसे सोच-सोच कर अपना दुख इकट्ठा कर लेते हैं अतः यदि एक बार कोई mistake  हो गई है तो उसके लिए खुद को क्षमा करें और तुरंत आगे बढ़ जाए ताकि उसका प्रभाव आगे लंबे समय तक साथ ना बना रहे।अन्यथा गलती होने की संभावना और बढ़ जाती है,

एक नई शरुआत करे। जी हाँ साथियों जो भी पास्ट में गलतियां हुई है उनसे सीखकर आगे बढे, उनका पूरा विश्लेषण करें। और अपनी कमियों को सुधारने की ज़िम्मेदारी लेकर Restart करे. आप एक जगह रुककर नही बैठ सकते।

गतिशील बने रहना ही जीवन की परिभाषा है...



हमेशा इस बात को स्वीकार करे। कि कोई भी परफेक्ट नही होता है, जीवन के किसी मोड़ पर सबकी कुछ न कुछ कमियां रही होती है। अतः उनसे सबक सीखे। औऱ आगे बढ़ते जाए। यही तरीका इंसान को ऊंचा उठता है...

आवश्यकता से अधिक किसी बात पर न सोचे। कई बार overthinking के कारण ही लोग दुःख में डूबे रहते है। अतः ज़्यादा टेंशन न ले। जीवन मे सहज रहे।

ईश्वर से प्रार्थना ज़रूर करे। और अपनी सारी अज्ञानताओं और गलतियों के लिये प्रभु से क्षमा मांगे। इससे मन शांत हो जाता है,

Be strong:- साथियों अपने आप को हमेशा मजबूत ही दिखाओ। कहीं भी कभी भी अपनी कमजोरियों और दुःख का रोना मत रोने लग जाओ। क्योंकि इससे अधिकतर लोगों को कोई खास फर्क नही पड़ेगा। लेकिन इतना ज़रूर है कि वक़्त आने पर वे आपकी इन्ही कमज़ोरियों का आपके खिलाफ प्रयोग कर सकते है।


        धन्यवाद


अतः आज का हमारा टास्क

यही है कि हमें अपने जीवन से गिल्ट के अनावश्यक संस्कारों को पूरी तरह मिटाना है। ताकि वह हमारे जीवन में वर्तमान और आने वाले भविष्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित न कर सके...



Never  Forget:-

हे प्यारे युवानो तुम
आत्मबोध करो जग में
अपराध बोध की अति 
कभी अनुकूल नही
जिसने सीख लिया है
अपनी गलतियों से
सब सहज होता वहां,






कुछ भी प्रतिकूल नही...




SO keep स्माइलिंग...


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