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Brahmacharya Celibacy ManthanHub (ब्रह्मचर्य)

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टेलीग्राम चैनल का लोगो brahmacharya_celibacy_manthanhub — Brahmacharya Celibacy ManthanHub (ब्रह्मचर्य)
चैनल का पता: @brahmacharya_celibacy_manthanhub
श्रेणियाँ: शिक्षा
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 3.29K
चैनल से विवरण

ब्रह्मचर्य पालन का प्रैक्टिकल तरीका सीखें।

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नवीनतम संदेश 6

2022-01-18 03:24:55
जीवन बदलने वाली सच्ची कहानी

ये कहानी आपकी जिंदगी बदल देगी ।





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2022-01-18 03:24:55 विश्व शांति के महानायक

प्रजापिता ब्रह्मा
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2022-01-14 13:18:52 मकर संक्रांति का आध्यात्मिक रहस्य

मकर संक्रांति पर प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं का मेला विभिन्न नदियों के घाटों पर लगता है। इस शुभ दिन तिल खिचड़ी का दान करते हैं। वास्तव में स्थूल परम्पराओं मे आध्यात्मिक रहस्य छुपे हुए हैं। अभी कलियुग का अंतिम समय चल रहा है। सारी मानवता दुखी-अशांत हैं। हर कोई परिवर्तन के इंतजार मेँ हैं । सारी व्यवस्थाएं व मनुष्य की मनोदशा जीर्ण-शीर्ण हो चुकी हैं। ऐसे समय मेँ विश्व सृष्टिकर्ता परमात्मा शिव कलियुग, सतयुग के संधिकाल अर्थात संगमयुग पर ब्रह्मा के तन मेँ आ चुके हैं।


जिस प्रकार भक्ति मार्ग मेँ पुरुषोत्तम मास मेँ दान-पुण्य आदि का महत्व होता है, उसी प्रकार पुरुषोत्तम संगमयुग, जिसमें ज्ञान स्नान करके बुराइयों का दान करने से, पुण्य का खाता जमा करने वाली हर आत्मा उत्तम पुरुष बन सकती है। इस दिन खिचड़ी और तिल का दान करते हैं, इसका भाव यह है कि मनुष्य के संस्कारों मेँ आसुरियता की मिलावट हो चुकी है, अर्थात उसके संस्कार खिचड़ी हो चुके हैं, जिन्हें परिवर्तन करके अब दिव्य संस्कार धारण करने हैं । इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक मनुष्य को ईर्ष्या-द्वेष आदि संस्कारों को छोडकर संस्कारों का मिलन इस प्रकार करना है, जिस प्रकार खिचड़ी मिलकर एक हो जाती है।


परमात्मा की अभी आज्ञा है कि तिल समान अपनी सूक्ष्म से सूक्ष्म बुराइयों को भी हमें तिलांजलि देना है। जैसे उस गंगा मेँ भाव-कुभाव से ज़ोर जबर्दस्ती से एक दो को नहलाकर खुश होते हैं और शुभ मानते हैं; इसी प्रकार अब हमें ज्ञान गंगा मेँ नहलाकर मुक्ति-जीवनमुक्ति का मार्ग दिखाना है। जैसे जब नयी फसल आती है तो सभी खुशियाँ मनाते हैं। इसी प्रकार वास्तविक और अविनाशी खुशी प्राप्त होती है, बुराइयों का त्याग करने से। फसल कटाई का समय देशी मास के हिसाब से पौष महीने के अंतिम दिन तथा अंग्रेजी महीने के 12,13, 14 जनवरी को आता है। इस समय एक सूर्य राशि से दूसरी राशि मेँ जाता है। इसलिए इसे संक्रमण काल कहा जाता है, अर्थात एक दशा से दूसरी दशा मेँ जाने का समय। यह संक्रमण काल उस महान संक्रमण काल का यादगार है जो कलियुग के अंत सतयुग के आरंभ मेँ घटता है। इस संक्रमण काल मेँ ज्ञान सूर्य परमात्मा भी राशि बदलते हैं। वे परमधाम छोड़ कर साकार वतन मेँ अवतरित होते हैं। संसार मेँ अनेक क्रांतियाँ हुई। हर क्रांति के पीछे उद्देश्य – परिवर्तन रहा है...

हथियारों के बल पर जो क्रांतियाँ हुई उनसे आंशिक परिवर्तन तो हुआ, किन्तु सम्पूर्ण परिवर्तन को आज मनुष्य तरस रहा है। सतयुग मेँ खुशी का आधार अभी का संस्कार परिवर्तन है, इस क्रांति के बाद सृष्टि पर कोई क्रांति नहीं हुई। संक्रांति का त्योहार संगमयुग पर हुई उस महान क्रांति की यादगार मेँ मनाया जाता है।



1) स्नान - ब्रह्म मुहूर्त मेँ उठ स्नान, ज्ञान स्नान का यादगार है।

2) तिल खाना - तिल खाना, खिलाना, दान करने का भी रहस्य है। वास्तव में छोटी चीज़ की तुलना तिल से की गयी है। आत्मा भी अति सूक्ष्म है। अर्थात तिल आत्म स्वरूप में टिकने का यादगार है।

3) पतंग उड़ाना - आत्मा हल्की हो तो उड़ने लगती है; देहभान वाला उड़ नहीं सकता है। जबकि आत्माभिमानी अपनी डोर भगवान को देकर तीनों लोकों की सैर कर सकता है।

4) तिल के लड्डू खाना - तिल को अलग खाओ तो कड़वा महसूस होता है। अर्थात अकेले मेँ भारीपन का अनुभव होता है। लड्डू एकता एवं मिठास का भी प्रतीक है।

5) तिल का दान - दान देने से भाग्य बनता है। अतः वर्तमान संगंयुग में हमें परमात्मा को अपनी छोटी कमज़ोरी का भी दान देना है।

6) आग जलाना - अग्नि मेँ डालने से चीज़ें पूरी तरह बदल जाती, सामूहिक आग - योगीजन संगठित होकर एक ही स्मृति से ईश्वर की स्मृति मे टिकते हैं, जिसके द्वारा न केवल उनके जन्म-जन्म के विकर्म भस्म होते हैं, बल्कि उनकी याद की किरणें समस्त विश्व में फाइल कर शांति, पवित्रता, आनंद, प्रेम, शक्ति की तरंगे फैलाती हैं।



यदि इस पर्व को निम्नलिखित विधि द्वारा मनाए तो न केवल हमें सच्चे सुख की प्राप्ति होगी बल्कि हम परमात्म दुआओं के भी अधिकारी बनेंगे !

आप सबको इस महान पर्व मकर सक्रांति की बहुत-बहुत शुभ कामनाएँ।
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2022-01-09 19:25:41
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2022-01-09 19:20:56 प्रश्न करो बस प्रश्न करो

मनुष्य अर्थात जो मननशील हो

तभी तुम विवेकवान बन सकोगे ओर तुम्हारे भीतर एक अध्यात्मिक ज्ञान का आरंभ होगा सत्य की प्राप्ति होगी

जो कुछ हो रहा हमारे भीतर बाहर उस देखो जानो समझो प्रश्न करो ये क्यों ,केसे,
किसलिए क्या होगा ?
मन में जो कुछ हो उसपर
प्रश्न अवश्य करे



मनुष्य वहीं जो प्रश्न कर सके जो कुछ हो रहा उसे जान सके सत्य असत्य को जांच ले

आज के बाद कभी भी तुम्हारे मन में हस्तमैथुन या वीर्य नाश करने की इक्षा हो या उत्तेजना उठे तो बस प्रश्न करना की यह क्या हो रहा है ?
इससे मुझे क्या प्राप्त होगा

ओर मुझे चाहिए क्या

मेरी मांग क्या है

हस्तमैथुन से क्या लाभ ओर क्या हानि होगी

क्या हस्तमैथुन के बाद मुझे शांति मिल जाएगी

क्या हस्तमैथुन से मुझे स्वास्थ्य लाभ होगा

क्या हस्तमैथुन से मुझे कुछ ज्ञान प्राप्त होगा

ओर आजतक कितनी ही बार वीर्य बहाया है क्या हाथ लगा दुख चिंता हताश कमजोरी तनाव पीड़ा इन सब के अलावा क्या मिला तुम्हे फिर क्यो अपनी कब्र खोदने में लगे हो


हमारी परेशानी यह नहीं कि हम हस्तमैथुन कर लेते है या हो जाता है
सबसे बड़ी तकलीफ यही है कि हम उसका परिणाम नहीं खोजते प्रश्न नहीं उठाते हम

जब तुम अपने से सही प्रश्न करने लग जाओ फिर कभी अनर्थकारी काम नहीं करोगे

हर मनुष्य की चाह कुछ ना कुछ पाने की हे लेकिन देखो क्या पाने योग्य है ओर वह क्या है जिसे प्राप्त करके में सदा आनंदित हो जाऊ
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2022-01-08 03:40:34 नहीं तो आजकल इस प्रकार की बहुत योजनाएं चलती हैं कि पैसे दे दो किसी संस्था को और वो आपके दिए पैसे से किसी बच्चे को खाना-पीना, शिक्षा प्रदान करेगी। मैं उस व्यवस्था की बात नहीं कर रहा। मैं किसी ऐसे का अभिभावक बनने की बात कर रहा हूँ जिससे आपका शरीर का रिश्ता नहीं है। उसको बच्चे की तरह पालना-पोसना। इसका मतलब ये आवश्यक नहीं है कि उसको आप अपने घर ही ले आयें।

अगर उसका अपने घर में ही पालन-पोषण हो रहा है तो कोई बात नहीं, पर आप ये सुनिश्चित करें कि उसको सही शिक्षा मिल रही है, उसका उचित विकास हो रहा है। सुनिश्चित करने के लिए केवल धन देना काफी नहीं होगा, उसे समय भी देना होगा।

इन 10 बातों का अगर आप सही से पालन कर पाए तो एक नए जीवन की शुरुआत होगी। होशपूर्ण जीवन, निर्भीक जीवन, मुक्त जीवन।



और जैसा आपको कल बताया था कि एक संकल्प और है जो आप अभी ले सकते हैं: साल में जो समय शेष है, उसे गीता, उपनिषद व संतवाणी के साथ बिताएँ।

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2022-01-08 03:40:34

नए साल पर लिए गए संकल्प (New Year Resolutions) पूरे क्यों नहीं हो पाते?

इस विषय में हमें यह बात अच्छी तरह जान लेनी चाहिए कि आमतौर पर हम जिस भी लक्ष्य के पीछे भागते हैं, वो हमें किसी और से मिला होता है। नतीजतन, ऐसे संकल्प में भी बहुत दम नहीं होता। वो संकल्प हमें बाहर से मिलते हैं, बाहर की ओर ही ले जाते हैं।

लेकिन जीवन का एक ही लक्ष्य हो सकता है—अपने तक वापिस आ जाना।

इसलिए अगर लक्ष्य बनाने ही हैं तो ऐसे लक्ष्य बनाएँ जो आपको आप तक ही वापस ले आएँ; अगर संकल्प लेने ही हैं तो ऐसे संकल्प लें जो प्रतिपल होश बनाए रखने में सहायक हों।

आइए जानते हैं ऐसी 5 बातें जो समझ के साथ जीवन में उतार ली जाएँ तो होशपूर्ण और ख़रा जीवन जीने में अत्यंत सहायक सिद्ध हो सकती हैं:

1. एक डायरी बनाएँ, जिसमें नियम से रोज़ रात को लिखें कि दिन के कितने मिनट अपनी समझ, अपने होश, अपनी मुक्ति के लिए बिताए।

उसी डायरी में रोज़ ये लिखें कि कितने काम थे जो आपको नहीं करने चाहिए थे, पर बाहरी प्रभाव में आकर आप वो काम कर गये। ईमानदारी से सारे कामों का विवरण लिखा करें।

कितने काम नहीं होने चाहिए थे, पर लालच करा गया, डर करा गया, देह करवा गयी, हॉर्मोन्स करवा गए। ये दोनों हिसाब हर हफ्ते किसी ऐसे को दिखायें जिसको दिखाने में खतरा हो।

जो तुम्हारी पोल-खोलकर रख दे, जो तुम्हें आईना दिखा सके। जो लिखा है, उसको हफ्ते-दर-हफ्ते नियमबद्ध तरीके से किसी ऐसे को दिखाएँ जो निर्भीक होकर आपकी वस्तुस्थिति पर प्रकाश डाल सके। वो कोई भी हो सकता है, अभिभावक, मित्र या गुरु।

2. अपने मासिक खर्चे में से इसका हिसाब रखें कि अपनी मुक्ति पर कितना खर्च कर रहे हैं।

महीने भर में जितना भी खर्च करा। उसमें से कितना पेट पर, कितना खाल पर, कितना गर्व पर, कितना मोह पर, कितना कामवासना पर खर्च करा, और ये सब करने के बाद ये देखें कि कुछ बचा भी मुक्ति पर खर्च करने के लिए!

3. समय को देख लिया, धन को देख लिया, अब अपनी उपस्थिति को देखें।

महीने भर में आपकी जहाँ कहीं भी मौजूदगी रही, आपकी मौजूदगी का कितना प्रतिशत आपने मुक्ति के लिए रखा?

आप यहाँ भी पाए जाते हैं, आप वहाँ भी पाए जाते हैं, क्या किसी जगह पर अपनी मुक्ति के लिए भी पाए गए?

इसमें फिर यात्रा आ जाती है…तो क्या आपने अपनी मुक्ति के लिए यात्रा करी? क्योंकि यात्रा तो आप करते ही हो, घर से दफ्तर तक की, दफ्तर से बाज़ार तक की, बाज़ार से घर तक की, रिश्तेदारों के घर तक की। ये भी तो यात्राएँ हीं हैं, तो इन यात्राओं में मुक्ति के लिए कौन-सी यात्रा की, इसका साफ़-साफ़ हिसाब रखें।

4. साल के अंत तक कोई एक कला खुद में विकसित करें। अगर वो कला किसी संगीत या वाद्ययंत्र से संबंधित हो तो सबसे अच्छा।

5. पर्यावरण और पशुओं के प्रति जागरूकता बढ़ाएँ। इसके लिए किसी सार्थक अभियान का हिस्सा बनें।



ऐसे ही और भी संकल्प हो सकते हैं, जो हम आपको आने वाले दिनों में सुझाते रहेंगे।

लेकिन एक संकल्प और है जो आप अभी ले सकते हैं: साल में जो समय शेष है, उसे गीता, उपनिषद व संतवाणी के साथ बिताएँ।

नए साल के साथ-साथ बोधमय जीवन में प्रवेश पाएँ।

6. प्रत्येक सप्ताह अपने लिए किसी ग्रंथ (उपनिषद्, संतों के वचन आदि) के कुछ अध्याय निर्धारित करें और डायरी में ईमानदारी से लिखें कि जितना निर्धारित किया, उतना पढ़ा कि नहीं पढ़ा। जो पढ़ें उसके नोट्स उसी डायरी में लिखें।

7. हर महीने खाने की किसी एक वस्तु का त्याग करें और किसी एक वस्तु को भोजन में शामिल करें। साल के अंत में 12 चीज़ें छोड़ देनी है और 12 नई चीज़ें शामिल करनी हैं। चीज़ खाने के अलावा, पीने की भी हो सकती हैं—छोड़ने की दिशा में ख़ासतौर पर। एक बात ध्यान रखिएगा कि छोड़ना बस उन चीज़ों को नहीं है जो आपको नुकसान पहुँचाती हैं, छोड़ना उन चीज़ों को भी है जो पशुओं को, पक्षियों को, पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रही हैं।

8. प्रतिदिन दुनिया के बारे में, किसी भी क्षेत्र में (इतिहास, विज्ञान, भूगोल, राजनीति, धर्म, समाजशास्त्र, खगोलशास्त्र, पुरातत्वशास्त्र इत्यादि), किसी भी दिशा से, कोई एक ज्ञान की बात पता करनी है और उसे डायरी में लिख लेना है। ऑनलाइन ज्ञानकोष बहुत है, आज के ज़माने में कोई नई बात पता करना 5 से 15 मिनट की बात होनी चाहिए।

9. किसी एक शारीरिक खेल (टेनिस, स्क्वाश, बैडमिंटन, फुटबॉल इत्यादि) में साल खत्म होने से पहले इतनी योग्यता हासिल कर लेनी है कि उसे सम्मानपूर्वक किसी के भी साथ खेल सकें।

10. अगर आपके पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है तो किसी गरीब बच्चे के भरण-पोषण और शिक्षा की जिम्मेदारी अपने ऊपर लें। इसका ये मतलब नहीं है कि पैसे दे आये और काम पूरा हो गया; इसका मतलब ये है कि आपको एक अभिभावक की तरह ये सुनिश्चित करना होगा कि उस बच्चे का विकास हो रहा है।

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