जीवन का कड़वा सच एक बार कबीरने एक किसान से पूछा कि क्या तुम पूज | स्वयं निर्माण योजना
जीवन का कड़वा सच एक बार कबीरने एक किसान से पूछा कि क्या तुम पूजा - पाठ के लिए कुछ समय देते हो किसान ने कहा -- अभी बच्चे छोटे है ' जब वे जवान हो जाएंगे तब अवश्य भजन - पूजन करूंगा ! कुछ समय बाद ! तब कबीर ने किसान से वही प्रश्न पूछा ! किसान ने कहा - अभी बच्चों की शादी हो जाय फिर भजन करूंगा ! फिर कुछ बर्ष बाद पूछने पर किसान ने कहा कि पोतों के साथ खेलना अच्छा लगता है ! अभी समय नहीं मिल पाता ! और एक दिन उस किसान की मृत्यु हो गई ! कबीर ने ध्यान लगाकर देखा कि किसान ने घर मे एक गाय के बछड़े के रुप मैं जन्म लिया है बड़ा होने पर बछड़ा हल मैं जोता गया ! बुढ़ा होने पर कोल्हू मैं जोता गया ! बाद मैं वह जब किसी काम का न रहा तो किसान के लड़कों ने उसे एक कसाई को बेच दिया तथा उसका चमड़ा नगाड़े बनाने बालो को बेच दिया ! नगाड़ा बजाने बाले अब उसे ठोक - ठोककर बजाने लगे ! कबीर ने यही कहा बैल बने हल मैं जुते ले गाड़ी मैं दीन ! तेली के कोल्हू रहे पुनि कसाई लीन !! मांस कटा बोटी बिकी ' चमड़न मढी नक्कार !!! कुछ कुकरम बाकी रहे तिस पर पड़ती मार !!!! https://chat.whatsapp.com/GIZD97dNrwe6NLks3RTYKZ हम सबकी यही कथा है - यही व्यथा है ! समय रहते जो नहीं चेतेगा ' भगवद्जन मैं चित्त नहीं लगायेगा ' तो पछताने के लिए भी कुछ शेष नहीं रहेगा ! कल्याण