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बंटवारा सुबह से ही घर में सारे पैतृक संपत्ति के | स्वयं निर्माण योजना

बंटवारा

सुबह से ही घर में सारे पैतृक संपत्ति के बटवारें को लेकर दोनों भाइयों में गाली गलौज हो चुकी थीं।गोतनियो में तो मार पीट तक हो जाती अगर मौसा मौसी चाचा चाची बीच में ना आ जाते तो।

पिता के जाने के बाद पैरालिसिस अटैक के कुछ करने या बोलने में असमर्थ माँ की आँखों से ऐसे बेटे बहुओं को लड़ते देख आँसू बह रहे थे।

जमीन, मकान ,बर्तन, जेवर बाँटने के बाद अब सिर्फ माँ का एक पुराना एल्मुनियम का संदूक रह गया था बॉटने को जिसमें माँ हमेशा ताला लगा कर रखती थी।

दोनों गोतनियो के मन में था जरूर सासू माँ ने इसमें बेशकीमती आभूषण और ढेर सारे पैसे छुपाए रखे होंगे तभी तो आज तक इस संदूक को खोलने न दिया।

आनन फानन में दोनों भाइयों ने चाभी न मिलने पर संदूक उठाकर ताले को पाटी से ठोक ठोक कर तोड़ डाला।

संदूक के अंदर का सामान देखकर अचंभित रह गए।एक पुरानी लेकिन कढ़ाई की हुई बेहद सुंदर साड़ी।एक छोटी पुरानी डायरी थी पहले पन्ने पर लिखा था शादी के बाद पति द्वारा दी गयी पहली सबसे सुंदर उपहार।

दूसरा समान में एक काजल की डिब्बी थी। इस काजल डिब्बी के संदर्भ में भी लिखा था सासू माँ द्वारा ससुराल में आने पर इसी काजल की डिब्बी से काजल लगाकर नज़र उतारी थीं मेरी।

तीसरा सामान एक पीतल की थाली निकली।थाली देख दोनों भाइयों को याद आया कैसे माँ बचपन में इसी थाली में दोनों को एक साथ खाना देतीं थीं और कभी भी उस खाने में कभी बॉटवारा नहीं होता था।अंतिम कौर तक दोनों भाई प्रेम से खाते।
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माँ ने यही बेशकीमती खज़ाना अपनी संदूको में छिपा रखा था दोनों भाइयों समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें ? दोनों ने शर्मिन्दगी से एक दूसरे को देखा और भीगें आँसुओ से एक दूसरे को गले लगाकर माँ के पैर पकड़ लिए।उन्हें समझ आ गया था कि प्यार और संस्कारों का बंटवारा नही होता।