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जनिये प्रभु राम के बारे में, आज के नायक और विष्णु के दशावतारों | स्वयं निर्माण योजना

जनिये प्रभु राम के बारे में, आज के नायक और विष्णु के दशावतारों में से सप्तम राम के बारे में... मेरे बचपन के राम वो जो सौम्य, सम्पूर्ण और पुरुषोत्तम हैं।

गीता में भी द्वापर युग के अवतार श्रीकृष्ण उनका वर्णन करते हैं।

यह पोस्ट उनके लिए भी है जो रावण के गुण गिनाते नही थकते और नई पीढ़ी को एन्टीहीरो रावण के गुण बताकर उसे हीरो बनाने के लिए लगे हए हैं।

असली हीरो तो वो नायक ही होता है जो दिव्यता का समर्थक और सत्य की राह पर हो, जानिए क्यों त्रेता युग के श्री राम नायक हैं आज के त्योहार के...और यदि उन के गुण युवा और हम सभी अपनाए तो हम हर रावण (दुर्गुणों) का संहार कर सकते हैं।

श्रीराम के सोलह गुण, जो हममें होने चाहिए

वाल्मीकि रामायण में श्रीराम के ऐसे ही सोलह गुण बताए गए हैं, जो लोगों में नेतृत्व क्षमता बढ़ाने व किसी भी क्षेत्र में अगुवाई करने के अहम सूत्र हैं।

- गुणवान (ज्ञानी व हुनरमंद)

- किसी की निंदा न करने वाला (सकारात्मक)

- धर्मज्ञ (धर्म के साथ प्रेम, सेवा और मदद करने वाला)

- कृतज्ञ (विनम्रता और अपनत्व से भरा)

- सत्य (सच बोलने वाला, ईमानदार)

- दृढ़प्रतिज्ञ (मजबूत हौंसले वाला)

- सदाचारी (अच्छा व्यवहार, विचार)

- सभी प्राणियों का रक्षक (मददगार)

- विद्वान (बुद्धिमान और विवेक शील)

- सामथ्र्यशाली (सभी का भरोसा, समर्थन पाने वाला)

- प्रियदर्शन (खूबसूरत)

- मन पर अधिकार रखने वाला (धैर्यवान व व्यसन से मुक्त)

- क्रोध जीतने वाला (शांत और सहज)

- कांतिमान (अच्छा व्यक्तित्व)

- वीर्यवान (स्वस्थ्य, संयमी और हष्ट-पुष्ट)

- युद्ध में जिसके क्रोधित होने पर देवता भी डरें (जागरूक, जोशीला, गलत बातों का विरोधी)

भगवान विष्णु के 7वें अवतार माने गए श्रीराम हमारे इतिहास के सबसे आदर्श पुरुषों में गिने जाते हैं। पुराणों में उन्हें श्रेष्ठ राजा बताया गया है। उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है।

वह मनुष्य रूप में जन्मे और ऋषि विश्वामित्र से विद्योपार्जन के उपरांत पृथ्वी पर उन्होंने असंख्य राक्षसों का संहार कर किया। सत्य, धर्म, दया और मर्यादाओं पर चलते हुए राज किया।उन्होंने जिस तरह राज किया, उसे राम-राज कहा गया। हमारी संस्कृति और सदाचार की जब भी बात होती है तो राम का नाम​ लिया जाता है। बड़े-बुजुर्ग कहते दिख जाते हैं- बेटा हो तो राम जैसा, राजा हो तो राम जैसा, चरित्र हो तो राम जैसा...।

ऐसे श्रीराम जो ईश्वरीय अवतार थे का गुणगान करें, उन जैसा बनने का प्रयास करें यही सच्ची भक्ति और पूजा होगी।

मैं दशम अवतार कल्कि का अनुगामी होकर और श्री राम के व्यक्तित्व बचपन से अभिभूत हूँ और प्रार्थना करता हूँ कि उनकी कृपा सभी पर बनी रहे। हम उनके गुणों को पोस्ट या बातों में न रखकर चरित्र में उतारें, जैसे प्रभु भक्त हनुमान ने किया था।
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यही विजया दशमी है।