2023-03-26 06:03:32
इतिहास विषय में सेट परीक्षा के लिए कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
1.स्पेगंलर-Decline of the west नामक पुस्तक की रचना जिसमें उन्होंने संस्कृतियों का अध्ययन किया इस पुस्तक में निराशा वादी दृष्टिकोण तथा नियतिवाद की अवधारणा को शामिल किया गया है
प्रसिद्ध कथन
"इतिहास शाश्वत है जिसमें संस्कृति व सभ्यता तत्व हैं उनका उत्थान और पतन होता है"
"सभी संस्कृतियां अपने-अपने में भिन्न है और एक दूसरे पर प्रभाव नहीं डालती हैं"
इन्होंने कुल 9 संस्कृतियों का तुलनात्मक अध्ययन किया था
स्पैंगलर ने रैखिय सिद्धांत के स्थान पर चक्रिय सिद्धांत का समर्थन किया तथा संस्कृति की चार अवस्थाएं बताई
1. बसंत अवस्था-यह धार्मिक चेतना का काल है उदाहरण के लिए भारत की वैदिक सभ्यता
2. ग्रीष्म ऋतु-यह संशय/ आत्म बोध तथा आलोचनात्मक समय का काल होता है जैसे भारत में उपनिषद काल
3. पतझड़-इसमें संस्कृति पूर्णता को प्राप्त करने की है तथा तार्किक दृष्टिकोण पर बल दिया जाता है जैसे भारत में बौद्ध दर्शन
4. शीत ऋतु-इसमें ज्ञान संप्रदाय का उद्भव, धार्मिक मान्यताओं का खंडन तथा एक तरह से यह संस्कृति के समाप्ति का लक्षण है
2.टोयनबी
A study of history अर्नाल्ड टायनबी की महत्वपूर्ण कृति है
East and west इनकी अन्य रचना है, टायनबी ने सभ्यता का विस्तार पूरे महाद्वीप में मरना है इनके इतिहास दर्शन का आधार सभ्यता ही है इस अवधारणा को इन्होंने महाद्वीपीय अवधारणा या राष्ट्रीय राज्य के धारणा की संज्ञा दी है इनका मानना है कि प्रत्येक सभ्यता का विकास तथा पतन होता है जिसमें चुनौती व प्रतिक्रिया का सिद्धांत चलता है चुनौती एक प्रश्न होती है तथा प्रतिक्रिया एक समाधान अगर प्रतिक्रिया सफल है तो विकास संभव अन्यथा सभ्यता का पतन हो जाता है
3.हेरोडोटस-इन्हे इतिहास का पिता कहा जाता है इनके द्वारा हिस्टोरिका नामक पुस्तक लिखी गई थी हालांकि सिसरो ने इसे इतिहास का सबसे झूठा व्यक्ति भी कहा है हेरोडोटस नियमित रूप से इतिहास लिखने का प्रयास किया था हालांकि इनके द्वारा कुछ उटपटांग विवरण भी दिया है जैसे स्ट्रेबो लिखता है इनका मानना था कि इथोपिया के लोगों का वीर्य काला होता है मिस्र की बिलिया आग में कूद जाती है ऑल्पस पर एक नदी है
4.हीगल-इन के द्वारा लेक्चर ऑन द फिलोसोफी ऑफ हिस्ट्री नामक पुस्तक की रचना की गई थी इनको विचार वादी या आदर्शवादी माना जाता है हीगल को परिकल्पनात्मक दर्शन का पिता कहा जाता है हीगल इतिहासवाद के प्रणेता थे ईगल का कथन है इतिहासवाद एक ज्ञान है
5. विश्लेषणात्मक इतिहास दर्शन- विश्लेषणात्मक इतिहास दर्शन में सार्वभौमिक व्याख्या ,सत्य का अन्वेषण, ऐतिहासिक तथ्यों में स्पष्टता आधुनिकता तथा ऐतिहासिक तथ्यों का सार युक्त तथा सटीक विश्लेषण किया जाता है इस दर्शन की मान्यता है कि वैज्ञानिक अध्ययन के द्वारा ही सत्य का अन्वेषण किया जा सकता है तथा इतिहास के समक्ष जो समस्याएं हैं इन समस्याओं का वैज्ञानिक आधार पर समाधान करना चाहिए
6. समस्त इतिहास समसामयिक होता है -क्रोचे(इनकी पुस्तक History its theory and practice)
समस्त इतिहास विचारों का इतिहास है -कोलिंगवुड (इनकी पुस्तक The idea of history)
7. साहित्यिक स्रोत
प्राथमिक स्रोत-घटित घटना के समय का वर्णन इसमें तात्कालिक रूप से प्रत्यक्ष दर्शी का वर्णन शामिल होता है इसमें मुख्य रूप से आत्मकथाएं ,निजी पत्रावली ,डायरी, संग्रहालय में फोटो, राजकीय आदेश, गोपनीय प्रतिवेदन, सार्वजनिक प्रतिवेदन वगैरह शामिल होते हैं
द्वितीयक स्रोत-प्राथमिक स्रोतों के आधार पर जो लिखा जाता है जैसे संदर्भ पुस्तके ,शोध पत्रिकाएं
तृतीयक स्रोत-प्राथमिक तथा द्वितीयक स्रोत के आधार पर जैसे विकिपीडिया ,डिक्शनरी ,शोध पत्र की सूची, पंचांग
8. ऐतिहासिक वस्तुनिष्ठता- ऐसा इतिहास जिसमें निष्पक्षता शामिल होती है जैसे रांके ने लिखा है जैसे घटित हुआ वैसा ही प्रस्तुत करना ऐतिहासिक वस्तुनिष्ठता है
भारतीय परिप्रेक्ष्य में आर सी मजूमदार ने लिखा है हिंदू ,मुस्लिम और अंग्रेज इतिहासकार नहीं हो सकता
9. इतिहास में कारण-
E. H. कार के अनुसार "इतिहास का अध्ययन कारणों का अध्ययन है,"
E.H. कार एक अन्य महत्वपूर्ण कथन इतिहास कम या अधिक संयोगो का अध्ययन है
अरस्तु ने सर्वप्रथम कार्य करण सिद्धांत दिया था
10. मार्क्सवादी इतिहास लेखन- मार्क्सवादी इतिहास लेखक राजनीतिक पक्ष की बजाय तत्कालीन सामाजिक आर्थिक इतिहास लेखन पर जोर देते हैं
प्रमुख मार्क्सवादी इतिहासकार
१R.S. शर्मा
प्रमुख पुस्तकें- शुद्राज इन एसियंट इंडिया, इंडियन फ्युडिलीज्म
२. रोमिला थापर- इनके द्वारा लिखित प्रमुख पुस्तकें अशोका एंड डिक्लाइन ऑफ मोर्याज तथा हिस्ट्री ऑफ इंडिया है
३. विपिन चंद्र- द राइज एंड ग्रोथ ऑफ़ इकोनामिक नेशनलिज्म इन इंडिया
४. इरफान हबीब- प्रॉब्लम ऑफ मार्क्सिस्ट हिस्ट्रियोग्राफी
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