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1580 में अकबर ने अब्दुल रहीम खानखाना को प्रताप के विरुद्ध भेजा | Utkarsh Ramsnehi Gurukul

1580 में अकबर ने अब्दुल रहीम खानखाना को प्रताप के विरुद्ध भेजा। कुँवर अमरसिंह ने शेरपुर के मुगल शिविर पर आक्रमण कर खानखाना के परिवार की महिलाओं को बंदी बना लिया। यह सूचना जब राणा प्रताप को मिली तो उन्होंने तुरन्त मुगल महिलाओं को सम्मानपूर्वक वापस भेजने का आदेश दिया।
दिवेर का युद्ध (अक्टूबर, 1582) :-
कुँवर अमरसिंह ने अकबर के काका सेरिमा सुल्तान का वध कर दिवेर पर अधिकार किया।
कर्नल जेम्स टॉड ने इस युद्ध को ‘प्रताप के गौरव का प्रतीक’ और ‘मेवाड़ का मैराथन’ कहा।
5 दिसम्बर, 1584 को अकबर ने आमेर के भारमल के छोटे पुत्र जगन्नाथ कच्छवाहा को प्रताप के विरुद्ध भेजा। जगन्नाथ भी असफल रहा। जगन्नाथ की माण्डलगढ़ में मृत्यु हो गई।
जगन्नाथ कच्छवाहा की ’32 खम्भों की छतरी’ - माण्डलगढ़ (भीलवाड़ा) में स्थित है।
राणा प्रताप ने बदला लेने के लिए आमेर क्षेत्र के मालपुरा को लूटा और झालरा तालाब के निकट ‘नीलकंठ महादेव मंदिर’ का निर्माण करवाया।
1585 ई. से 1597 ई. के मध्य प्रताप ने चित्तौड़ एवं माण्डलगढ़ को छोड़कर शेष सम्पूर्ण राज्य पर पुन: अधिकार कर लिया था।
1585 ई. में लूणा चावण्डिया को पराजित कर प्रताप ने चावण्ड पर अधिकार किया तथा इसे अपनी नई राजधानी बनाया।
चावण्ड में प्रताप ने ‘चामुण्डा माता’ का मंदिर बनवाया।
चावण्ड 1585 से अगले 28 वर्षों तक मेवाड़ की राजधानी रहा।
1597 में धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते समय प्रताप को गहरी चोट लगी। जो उनकी मृत्यु का कारण बनी।
मृत्यु - 19 जनवरी, 1597, चावण्ड
अग्निसंस्कार - बांडोली
प्रताप की 8 खम्भों की छतरी - बांडोली (उदयपुर) में खेजड़ बाँध की पाल पर।
प्रताप की मृत्यु पर अकबर के दरबार में उपस्थित कवि दुरसा आढ़ा ने एक दोहा सुनाया –
गहलोत राणो जीत गयो दसण मूंद रसणा डसी।
नीलास मूक भरिया नयन तो मृत शाह प्रताप सी।।
महाराणा प्रताप के संदर्भ में कर्नल टॉड ने लिखा – “आलप्स पर्वत के समान अरावली में कोई भी ऐसी घाटी नहीं, जो प्रताप के किसी न किसी वीर कार्य, उज्ज्वल विजय या उससे अधिक कीर्तियुक्त पराजय से पवित्र न हुई हो। हल्दीघाटी ‘मेवाड़ की थर्मोपल्ली’ और दिवेर ‘मेवाड़ का मैराथन’ है।“
प्रताप के बारे में कहा गया है कि –
“पग-पग भम्या पहाड़, धरा छोड़ राख्यो धरम।
महाराणा मेवाड़, हिरदे बसया हिन्द रे।। ”
प्रताप कालीन रचनाएँ –
1. दरबारी पंडित चक्रपाणि मिश्र – विश्ववल्लभ, मुहूर्तमाला, व्यवहारादर्श व राज्याभिषेक पद्धति।
2. जैन मुनि हेमरत्न सूरी – गोरा-बादल, पद्मिनी चरित्र चौपाई, महिपाल चौपाई, अमरकुमार चौपाई, सीता चौपाई, लीलावती
प्रताप द्वारा निर्मित मंदिर –
1. चामुण्डा देवी (चावण्ड)
2. हरिहर मंदिर (बदराणा)
चित्रकला - चावण्ड शैली का जन्म
प्रमुख चित्रकार – निसारुद्दीन