आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक अमेरिका और विकसित यूरोपीय देशों की अपनी विचारधारा और अपने नियम अपनाने के लिए की गई व्यवस्था है..जो गरीब देशों की मजबूरी का फायदा उठाकर अपना काम करते हैं..
अमेरिका और यूरोप के बीच एक अनौपचारिक समझौता है कि आईएमएफ़ का अध्यक्ष हमेशा यूरोप का होगा जबकि वर्ल्ड बैंक का प्रमुख हमेशा अमेरिकी होगा.
वैसे भी.. कर्ज़ देने वाले इन बैंकों पर ग़रीब देशों को क़र्ज़दार बनाने, इन देशों में आर्थिक सुधार और उदारीकरण लाने के बहाने पश्चिमी देशों के लिए फ़ायदेमंद बनाने का आरोप शुरू से ही लगता रहा है.
ये बैंक बड़े व्यापार के लिए विकासशील देशों में द्वार खोलने और निवेश करने पर ज़ोर देते हैं. यह इन देशों में लोगों के अधिकारों और जरूरतों की कीमत पर पश्चिमी देशों की कंपनियों के मुनाफ़े के लिए काम करते हैं..
इन्हीं शर्तों को मानना पाकिस्तान की बाध्यता है..