*अमृत-बिन्दु - भक्त* जिस भक्तको अपनेमें कुछ भी विशेषता नहीं दीखती, अपनेमें किसी बातका अभिमान नहीं होता, उस भक्तमें भगवान् की विलक्षणता उतर आती है। *- श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज* 186 views05:59