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केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 25 जून, 2021 को यह कहा है | UPSC IAS (NCERT book and notes hindi and english medium)

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 25 जून, 2021 को यह कहा है कि, INS विक्रांत, जिसे IAC-1 के तौर पर भी जाना जाता है, यह वर्ष, 2022 तक भारतीय नौसेना में शामिल हो सकता है. रक्षा मंत्री ने भारत के इस पहले स्वदेशी विमान वाहक (IAC-1) INS विक्रांत के निर्माण की प्रगति की समीक्षा कोचीन शिपयार्ड, कोच्चि, केरल में की.

रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि, IAC-1 की लड़ाकू क्षमता, बहुमुखी प्रतिभा और पहुंच देश की रक्षा में जबरदस्त क्षमताएं जोड़ेगी. राजनाथ सिंह ने इस विमान को भारत का गौरव और आत्मानिर्भर भारत का उदाहरण भी बताया है.

INS विक्रांत के कब तैनात होने की उम्मीद है?

भारत का यह पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत (IAC-1) INS विक्रांत वर्ष, 2022 तक देश की आजादी के 75वीं वर्षगांठ के सम्मान के तौर पर तैनात होने की उम्मीद है.

INS विक्रांत: पृष्ठभूमि

• INS विक्रांत, जिसे स्वदेशी विमान वाहक (IAC-1) के तौर पर भी जाना जाता है, भारतीय नौसेना का एक विमान वाहक पोत है. यह विमान वाहक पोत कोचीन शिपयार्ड, कोच्चि, केरल में बनाया जा रहा है.
• INS विक्रांत पहला ऐसा विमान वाहक पोत है जिसे भारत में बनाया जा रहा है. विक्रांत नाम का अर्थ है 'साहसी' और इसका आदर्श वाक्य ‘जय मा सम युधि स्पर्धा है’ जिसे ऋग्वेद 1.8.3 से लिया गया है.
• यह विमान वाहक पोत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है. यह लगभग 40,000 मीट्रिक टन की आवाजाही करता है.
• इस विमान वाहक ने दिसंबर, 2020 में अपने बेसिन परीक्षण पूरे किए और वर्ष, 2021 के अंत तक इसके द्वारा समुद्री परीक्षण शुरू करने की उम्मीद है.
• इस विमानवाहक पोत को वर्ष, 2022 तक भारतीय नौसेना द्वारा कमीशन किया जा सकता है. प्रारंभ में, IAC-1 को वर्ष, 2018 में कमीशन/ तैनात किया जाना था.

भारतीय नौसेना का आधुनिकीकरण

• रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह कहा कि, भारतीय शिपयार्ड में 44 युद्धपोतों का निर्माण किया जा रहा है जो देश के आधुनिकीकरण और देश के स्वदेशी उद्योग की क्षमताओं का उपयोग करने के लिए, देश के लगातार प्रगति पथ पर आगे बढ़ने का प्रमाण हैं.
• इन सभी आधुनिकीकरण उपायों का उद्देश्य भारतीय नौसेना की परिचालन पहुंच को बढ़ाना और भारत के समुद्री हितों की रक्षा करना है.
• भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट सीबर्ड की समीक्षा के लिए 24 जून, 2021 को कर्नाटक के कारवार की अपनी यात्रा के दौरान, रक्षा मंत्री ने यह भी कहा, कारवार नौसेना बेस भारतीय नौसेना का एशिया में  सबसे बड़ा नौसेना बेस होगा.