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निपाह वायरस अभी देश कोरोना वायरस से जूझ रहा है. कोरोना वायरस | UPSC IAS (NCERT book and notes hindi and english medium)

निपाह वायरस

अभी देश कोरोना वायरस से जूझ रहा है. कोरोना वायरस की दूसरी लहर में हुई बड़ी तबाही के बाद तीसरी लहर का खतरा मंडराने के बीच अब एक और वायरस से खतरे की खबर आई है. महाराष्‍ट्र के सतारा जिले की महाबलेश्‍वर स्थित गुफाओं में निपाह वायरस होने की पुष्टि हुई है. वैज्ञानिकों ने इस वायरस को लेकर अलर्ट किया है. इस पुष्टि के बाद सतारा जिले के महाबलेश्‍वर-पंचगनी के पर्यटन स्‍थलों को फिलहाल बंद कर दिया गया है.

महाबलेश्‍वर को भारत में मिनी कश्‍मीर भी कहा जाता है. हर वर्ष वहां पर हजारों की संख्‍या में सैलानी पहुंचते हैं. दरअसल मार्च 2020 में पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के वैज्ञानिकों ने महाबलेश्वर की एक गुफा में चमगादड़ों के गले से स्वैब के नमूने लिए थे. इस सैंपल की जांच में पता चला कि चमगादड़ों के स्वैब में निपाह वायरस पाए गए.

वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व डॉक्टर प्रज्ञा यादव के मुताबिक, इससे पहले निपाह वायरस महाराष्ट्र के किसी भी चमगादड़ में नहीं मिला था. निपाह वायरस अगर इंसानों में फैलता है तो जानलेवा हो सकता है. निपाह वायरस का अभी तक कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है, इसलिए मृत्यु का जोखिम 65 प्रतिशत से 100 प्रतिशत है.

आपको बता दें कि ये कोई नया वायरस नहीं है ओर पूर्व में इसके संक्रमण को रोका जा चुका है. साल 2018 में निपाह वायरस की वजह से केरल में 17 लोगों की मौत हो गई थी. वर्ष 1998 में मलेशिया में इसकी वजह से 100 से अधिक लोगों की जान गई थी. यह रोग साल 2001 में और फिर साल 2007 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में भी सामने आया था. पहली बार भारत में टेरोपस गिगेंटस चमगादड़ में इस वायरस का पता चला था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार, निपाह वायरस एक नई उभरती बीमारी है. इसे 'निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस' भी कहा जाता है. निपाह वायरस एक तरह का दिमागी बुखार है. इसका संक्रमण तेजी से फैलता है. यह संक्रमण होने के लगभग 48 घंटे के भीतर व्यक्ति को कोमा में पहुंचा देता है.

यह एक ऐसा इंफेक्शन है जो फल खाने वाले चमगादड़ों द्वारा मनष्यों को अपना शिकार बनाता है. यह इंफेक्शन सबसे पहले सुअरों में देखा गया लेकिन बाद में यह वायरस इंसानों तक भी पहुंच गया. निपाह वायरस चमगादड़ों द्वारा किसी फल को खाने तथा उसी फल को मनुष्य द्वारा खाए जाने पर फैलता है. इसमें अधिकतर खजूर एवं ताड़ी शामिल है. यह वायरस इंसानों के साथ-साथ जानवरों को भी अपनी चपेट में ले लेता है. यह वायरस आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाता है.

इस संक्रमण का मुख्य लक्षण बुखार, खांसी, सिरदर्द, मानसिक भ्रम, दिमाग में सूजन, कोमा, उल्टी होना, सांस की तकलीफ आदि हैं. इनसे रोगी की मौत भी होने का खतरा बना रहता है. निपाह वायरस के रोगी 24-48 घंटों के भीतर कोमा में जा सकता है अथवा उसकी मृत्यु हो सकती है.

निपाह वायरस से संक्रमित होने से बचने के लिए संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें. यदि निपाह वायरस से मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर के आस-पास जाए तो अपने चेहरे को ठीक से ढक लें. संक्रमित चमगादड़, सूअरों और स्थानों से दूर रहें जहा की इस बीमारी की आशंका हो.

निपाह वायरस से बचने के लिए पेड़ से गिरे हुए फल न खाएं, सभी फलों को अच्छी तरह धो लें. खजूर के पेड़ से निकलने वाले रस पीने से बचें. निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति या जानवर के आस-पास आते हैं, तो आपको रोगी से दूरी बनाए रखना चाहिए और अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए.